जजों, वकीलों पर हमलों और धमकियों का ‘खतरनाक बढ़ता रुझान’

punjabkesari.in Thursday, Apr 04, 2024 - 05:08 AM (IST)

हालांकि अदालतों का उद्देश्य सभी तरह के विवादों और लड़ाई-झगड़ों का निपटारा करना है, परन्तु पिछले कुछ समय से न्याय प्रक्रिया से जुड़े जजों और वकीलों पर ही हमले हो रहे और उन्हें धमकियां दी जाने लगी हैं। यह भी विडम्बना ही है कि इसमें आम लोगों के अलावा चंद वकील भी शामिल पाए जा रहे हैं। स्थिति कितना गंभीर रूप धारण करती जा रही है, यह निम्न चंद घटनाओं से स्पष्ट है : 

* 15 जून, 2023 को समस्तीपुर (बिहार) की अदालत में एक जज को एर्नाकुलम से भेजा गया धमकी भरा पत्र मिला। इसमें लिखा था, ‘‘मैं तुझे जान से मार दूंगा। तू मरेगा जरूर।’’ नीचे भेजने वाले ने नाम लिखा था-शालिग्राम कनौजिया। 
* 14 जुलाई, 2023 को बेंगलूरू (कर्नाटक) हाईकोर्ट के प्रैस सूचना अधिकारी के. मुरलीधर ने पुलिस में खुद के अलावा 6 अन्य न्यायाधीशों को जान का खतरा होने संबंधी शिकायत दर्ज कराई। इसमें कहा गया था कि उसे एक अंतर्राष्ट्रीय नम्बर से भेजे गए धमकी भरे संदेश में पाकिस्तान के एक बैंक खाते में 50 लाख रुपए जमा कराने को कहा गया है। 

* 15 अक्तूबर, 2023 को बाम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के 2 जजों को भेजे गए एक पत्र में उन्हें बम से उड़ा देने की धमकी मिली। पत्र भेजने वाले ने लिखा था कि यदि उन्होंने अदालत में विचाराधीन एक मामले में उसके हितों के प्रतिकूल फैसला सुनाया तो उन पर बम से हमला किया जाएगा। 
* 28 नवम्बर, 2023 को सीतापुर (उत्तर प्रदेश) न्यायालय में एस.सी.-एस.टी. एक्ट के विशेष न्यायाधीश राम बिलास सिंह को न्यायालय में सरकारी कामकाज निपटाने के दौरान स्पीड पोस्ट से भेजे पत्र में उन्हें जान से मारने की धमकी देने के आरोप में एक व्यक्ति व उसके साथी वकील को गिरफ्तार किया गया।
* 10 दिसम्बर, 2023 को बलिया (उत्तर प्रदेश) के जिला जज अशोक कुमार को फोन पर किसी व्यक्ति द्वारा उनके बेटेका एन्काऊंटर करने की धमकी देने से सनसनी फैल गई। 

* 10 जनवरी, 2024 को रतलाम (मध्य प्रदेश) जिला न्यायालय में एक महिला मैजिस्ट्रेट को किसी व्यक्ति द्वारा रजिस्टर्ड डाक से जहर की पुडिय़ा वाला लिफाफा भेजे जाने से हड़कंप मच गया। 
* 18 जनवरी, 2024 को जोधपुर स्थित राजस्थान उच्च न्यायालय के नए परिसर में आसाराम बापू के समर्थकों ने आसाराम के वकील के साथ मारपीट कर डाली। उनका कहना था कि इतने वर्षों बाद भी वह न्याय नहीं दिला पाया। 
* 1 फरवरी, 2024 को अलाप्पुझा (केरल) में पुलिस ने ओ.बी.सी. मोर्चा के नेता रंजीत श्रीनिवासन की हत्या के मामले में प्रतिबंधित संगठन पी.एफ.आई. से जुड़े 15 लोगों को मौत की सजा सुनाने वाली अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी.जी. श्रीदेवी को धमकी देने व इंटरनैट मीडिया में उनके विरुद्ध अपमानजनक पोस्ट डालने के आरोप में 4 लोगों को गिरफ्तार किया।
* 21 मार्च, 2024 को ग्रेटर नोएडा की एक अदालत में एक केस की पैरवी के लिए पहुंचे वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया पर वहां मौजूद स्थानीय वकीलों ने हमला कर दिया और उनके साथ बदसलूकी की। 

* और अब 1 अप्रैल को बांदा (उत्तर प्रदेश) में एक महिला सिविल जज को उनके आवास पर आर.एन. उपाध्याय के नाम से किसी व्यक्ति द्वारा रजिस्टर्ड डाक से भेजे पत्र में जान से मारने की धमकी देने का मामला सामने आया है। महिला जज ने इस मामले में 3 लोगों पर आरोप लगाया है। चूंकि जज और वकील न्यायिक प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा हैं जो पीड़ितों को न्याय दिलाने का काम करते हैं, इसीलिए न्याय से जुड़े व्यवसाय को एक आदर्श व्यवसाय माना जाता है। परंतु यदि न्यायपालिका से जुड़े लोगों को ही धमकियां मिलने लगेंगी तो फिर न्याय कौन देगा? अत: न्यायपालिका में इस तरह की बुराइयों का प्रवेश किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। ऐसे धमकीबाज लोगों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करना और न्यायपालिका से जुड़े महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा के अचूक प्रबंध करना आवश्यक है, ताकि वे किसी भी धमकी से प्रभावित हुए बिना अपना कत्र्तव्य निभा सकें।—विजय कुमार


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