‘प्याज की बढ़ी हुई कीमतें’ अभी ‘लोगों के आंसू’ निकालती रहेंगी

punjabkesari.in Friday, Nov 29, 2019 - 12:34 AM (IST)

देश में प्याज की आकाश छूती कीमतों के कारण लोगों की सब्जी से प्याज कई महीनों से गायब है और 80 से 120 रुपए किलो या उससे भी अधिक भाव पर बिक रहा है जिसके चलते लोगों में भारी रोष व्याप्त है। 1981 में अच्छी-भली चल रही केंद्र की जनता सरकार को गिराने में प्याज की बढ़ी कीमतों का भी बड़ा योगदान था और 1977 में बुरी तरह हार कर सत्ताच्युत हुई इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हो गई थी।
 
लेकिन प्याज की बढ़ती कीमतों ने इंदिरा सरकार के भी आंसू निकाले और नवम्बर, 1981 में प्याज 6 रुपए किलो हो जाने पर रोष स्वरूप लोकदल के रामेश्वर सिंह राज्यसभा में प्याजों की माला पहन कर आए थे। लगभग 3 महीनों से प्याज की बढ़ी हुई कीमतों पर नियंत्रण पाने में केंद्र व राज्य सरकारों के विफल रहने के कारण एक बार फिर वही कहानी दोहराई जा रही है तथा इस ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए राजद विधायक शिवचंद्र राम 27 नवम्बर को 100 रुपए किलो खरीदे प्याजों की माला पहन कर बिहार विधानसभा में पहुंचे।

विशेषज्ञों के अनुसार मंडियों में सप्लाई में सुधार न होने पर इसकी कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। जो खुदरा दुकानदार और ठेले वाले पहले रोज 30-35 किलो प्याज बेच लेते थे, अब 10 किलो प्याज ही बेच पा रहे हैं। प्याज को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर दिल्ली सरकर को नियंत्रित दाम वाले प्याज की आपूर्ति रोकने का आरोप लगाया है जबकि केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने कहा है कि ‘सरकार के हाथ में सब कुछ नहीं है।’

दूसरी ओर झारखंड, जहां शीघ्र ही चुनाव होने वाले हैं, की भाजपा सरकार द्वारा मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए सस्ते दाम पर प्याज बेचने की शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग ने सरकारी एजैंसियों ‘नैफेड’ और ‘बिस्कोमान’ द्वारा राज्य में गली-गली घूम कर 35 रुपए किलो के सस्ते भाव प्याज बेचने पर रोक लगा दी है।

उल्लेखनीय है कि मिस्र से आयात किए जाने वाले 6500 मीट्रिक टन प्याज की पहली खेप 12 दिसम्बर तक ही भारत पहुंच पाएगी अत: मध्य दिसम्बर से पहले प्याज की कीमतों में कमी होने के कोई आसार नहीं हैं । —विजय कुमार


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