भारत-अमेरिका व्यापार समझौता करीब, कृषि और डेयरी पर भारत की सख्ती बनी चुनौती
punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 11:44 AM (IST)

नेशलन डेस्क: भारत और अमेरिका के बीच अंतरिम व्यापार समझौते को लेकर बातचीत अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। खबर है कि यह समझौता अगले 48 घंटों में हो सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए पारस्परिक टैरिफ (प्रतिशोधी शुल्क) की 9 जुलाई को समाप्त हो रही समय सीमा से पहले इस समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है। हालांकि, बातचीत में कुछ अहम मुद्दों पर मतभेद अभी भी बने हुए हैं। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को अमेरिका के लिए पूरी तरह से नहीं खोलेगा। वहीं दूसरी ओर भारत चाहता है कि अमेरिका उसके श्रम-प्रधान उद्योगों को अधिक बाज़ार पहुंच (market access) दे।
क्या है अंतरिम व्यापार समझौता?
यह कोई स्थायी समझौता नहीं होता, बल्कि दो देशों के बीच सीमित और विशेष व्यापारिक मामलों पर आपसी सहमति होती है। इसका मकसद यह होता है कि मुख्य व्यापार समझौते से पहले दोनों देश कुछ जरूरी मुद्दों पर सहमति बना लें, जिससे व्यापार में तेजी आए और विवाद कम हो।
भारत की क्या मांगें हैं?
भारत चाहता है कि अमेरिका उसके कुछ महत्वपूर्ण श्रम-प्रधान उद्योगों जैसे वस्त्र उद्योग, चमड़ा उद्योग, गहने, हस्तशिल्प और फर्नीचर को अपने बाजार में ज्यादा पहुंच दे। इससे भारत के छोटे और मध्यम उद्योगों को बड़ा फायदा मिल सकता है और रोजगार भी बढ़ेगा।
अमेरिका की क्या मांगें हैं?
अमेरिका की ओर से यह मांग की जा रही है कि भारत अपने कृषि और डेयरी बाजार को अमेरिका की कंपनियों के लिए खोले ताकि वहां के किसान और उत्पादक भारत जैसे बड़े बाजार में अपने सामान बेच सकें। मगर भारत इस मांग को लेकर रेड लाइन (अंतिम सीमा) पर अड़ा हुआ है। भारत का कहना है कि अगर अमेरिका की सस्ती और बड़े पैमाने पर उत्पादित कृषि व डेयरी वस्तुएं भारत में आ गईं तो इससे घरेलू किसानों और छोटे डेयरी उत्पादकों को नुकसान हो सकता है।
क्यों है 9 जुलाई की तारीख अहम?
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका ने भारत से आने वाले कई उत्पादों पर पारस्परिक शुल्क (retaliatory tariffs) लगाए थे। अब यह शुल्क 9 जुलाई को समाप्त होने वाला है। इससे पहले अगर समझौता हो जाता है तो दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में नया मोड़ आ सकता है।