रत्न वाली अंगूठी पहनने के बाद मुट्ठी में रहते हैं रोग, ट्राई करें और देखें कमाल

punjabkesari.in Saturday, Nov 18, 2017 - 12:47 PM (IST)

रत्न स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं, दवा के साथ-साथ रत्न का प्रयोग या फिर रोग से बचाव के लिए हमें रत्न अवश्य धारण कर लेना चाहिए। ये सारे रत्न स्वास्थ्य के अतिरिक्त भी हमारे जीवन की कई समस्याएं दूर करते हैं। जैसे सूर्य रत्न हमें यश प्रदान करते हैं। चंद्र हमारे मन को ताकत देते हैं। मंगल हमें शारीरिक शक्ति प्रदान करते हैं। बुध हमें वाणी एवं बुद्धि प्रदान करते हैं, गुरु हमें ज्ञान प्रदान करते हैं। शुक्र हमें सौंदर्य प्रदान करते हैं। शनि हमें सेवा भाव से कर्म करना सिखाते हैं। इस प्रकार सारे रत्न हमारा जीवन खुशियों से भरते हैं।   


माणिक्य (हृदय रोग/नेत्र रोग) यह सूर्य का रत्न है। इसका रंग लाल होता है जो व्यक्ति हृदय रोग अथवा निम्र रक्तचाप से पीड़ित हैं, उनके लिए माणिक्य धारण करना अच्छा रहता है। यह रत्न आंख के रोग एवं नेत्र ज्योति के लिए भी धारण किया जा सकता है।


मोती (मानसिक रोग) यह चंद्रमा का रत्न है। यह सफेद रंग का होता है, जिनका मन बेचैन रहता है या मानसिक तनाव रहता है क्योंकि तनाव से बहुत-सी बीमारियां होती हैं इस रोग से बचने के लिए उन्हें मोती धारण करना चाहिए। निराशा, श्वास संबंधी रोग, सर्दी जुकाम के लिए मोती पहनना गुणकारी है।


मूंगा (लकवा, मिर्गी, पीलिया) यह मंगल का रत्न लाल होता है। यह व्यक्ति को ऊर्जावान बनाता है। किडनी के रोग के अलावा अन्य कई रोगों जैसे लकवा, मिर्गी, पीलिया में भी इसे धारण करना लाभकारी है। बच्चों को मूंगा पहनाने से ‘बालारिष्ट’ रोग से बचाव होता है।


पन्ना (त्वचा, दमा, खांसी, अनिद्रा टांसिल) यह रत्न बुध का है और हरे रंग का होता है। इस रत्न को धारण करने से त्वचा संबंधी रोग एवं दमा, खांसी, मिचली, अनिद्रा, टांसिल जैसे रोगों से बचाव होता है। इस रत्न के प्रभाव से लिवर एवं किडनी स्वस्थ रहते हैं और तेजी से सुधार होता है।


पुखराज (सेहत, अल्सर, रक्तचाप) यह गुरु का रत्न पीले रंग का होता है, जिसे आप मोटापे को नियंत्रित करने और सेहत में सुधार के लिए पहन सकते हैं। इसे धारण करने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है, अल्सर एवं सन्निपात रोग के लिए भी पुखराज धारण कर सकते हैं।


हीरा (सौंदर्य, नपुंसकता, हिस्टीरिया, क्षय रोग) शुक्र ग्रह का यह रत्न सौंदर्य में वृद्धि करता है। शरीर में रक्त की कमी, मोतियाबिंद, नपुंसकता, एनीमिया, हिस्टीरिया, क्षय रोग आदि से बचाव करता है।


नीलम (मिर्गी, ज्वर, गठिया, हड्डी के रोग) यह शनि का नीले रंग का रत्न है जो हड्डियों के रोग, मिर्गी, ज्वर, गठिया, बवासीर में लाभकारी है। सन्धिवात से पीड़ित रोगी भी इसे धारण कर सकते हैं।


गोमेद (पेट, बवासीर, पित्त, कफ) राहू का यह रत्न शहद के समान भूरे रंग का होता है, पेट एवं पाचन के रोग, बवासीर, सर्दी, कफ, पित्त के रोगों में लाभकारी है।

 

लहसुनिया (संतान, मुख रोग, चेचक, बवासीर) ये केतु का रत्न है। ये रत्न खांसी, संतान सुख, मुख के रोग, चेचक, बवासीर, एनीमिया आदि रोगों में पहनना लाभप्रद होता है।


ये रत्न आप किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर ही पहनें, क्योंकि वही आपकी जन्मपत्री से बता सकेंगे कि कौन-सा ग्रह कमजोर है।  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News