दुश्मन की तबाही का नया जरिया बना पानी, जानिए वॉटर वेपन तकनीक और इसकी खौफनाक हकीकत
punjabkesari.in Saturday, May 31, 2025 - 12:10 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आज पूरी दुनिया पानी के गंभीर संकट से जूझ रही है। ताजे पानी का तेजी से प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या और मांग ने इस संकट को और गहरा बना दिया है। आंकड़े बताते हैं कि बीते 40 सालों में कृषि, उद्योग और जनसंख्या की ज़रूरतों के चलते पानी की खपत हर साल लगभग 1% की दर से बढ़ रही है। इसका सीधा असर मानव जीवन पर दिख रहा है दुनिया की 26% आबादी को आज भी साफ पीने का पानी नहीं मिलता और 46% लोग मूलभूत स्वच्छता सुविधाओं से वंचित हैं।
जब युद्ध में पानी बना हथियार
जहां लड़ाई और युद्ध चल रहे हैं, वहां जल संकट की मार और भी घातक होती है। 2015 में आई रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध-प्रभावित इलाकों में 38% लोगों को सुरक्षित पीने का पानी नहीं मिल पाता और 61% लोग शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। यूनिसेफ की रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए युद्धग्रस्त क्षेत्रों में 15 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत, गोली या बम से कम बल्कि दस्त जैसी जलजनित बीमारियों से तीन गुना ज़्यादा होती है। वहीं 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत दर सामान्य क्षेत्रों की तुलना में 20 गुना ज़्यादा है।
पानी को हथियार बनाने की तकनीक और इरादे
साल 2023 के अंत में Pacific Institute की रिपोर्ट "Water Conflict Chronology" ने यह खुलासा किया कि कैसे पानी अब सिर्फ जीवन का स्रोत नहीं रहा, बल्कि यह राजनीति और युद्ध का हथियार बनता जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि पानी को तीन तरीकों से संघर्ष में इस्तेमाल किया जाता है —
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कारण के रूप में: जब पानी की उपलब्धता को लेकर झगड़े होते हैं
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रणनीतिक हथियार के रूप में: जब जानबूझकर पानी की आपूर्ति रोकी जाती है
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खुद एक शिकार के रूप में: जब जल संरचनाएं हमला झेलती हैं
इतिहास से सबक: पानी से मचाई तबाही
पानी को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का इतिहास बहुत पुराना है।
1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने जर्मनी के रूह्र डैम पर बमबारी की थी जिसमें 1,300 से ज़्यादा नागरिकों की मौत हुई थी।
Pacific Institute के आंकड़ों के अनुसार-
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2000 से 2009 के बीच पानी से जुड़ी 32 सैन्य घटनाएं दर्ज हुईं।
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2020 के बाद से अब तक ऐसे कम से कम 28 मामले सामने आ चुके हैं।
वॉटर वेपन रणनीति के चार चेहरे
विशेषज्ञ Marwa Daoudy के अनुसार, पानी को हथियार बनाने की मंशा चार प्रकार की हो सकती है —
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राजनीतिक नियंत्रण
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सैन्य रणनीति
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सैन्य लक्ष्य
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सहयोग की संभावना खत्म करना
यानी यह खतरा सिर्फ युद्धक्षेत्र तक सीमित नहीं है। किसी देश की जल आपूर्ति को बाधित करना, बांधों को उड़ाना या पाइपलाइन तोड़ना एक बेहद सटीक और खतरनाक युद्धनीति बन चुकी है।
जलवायु परिवर्तन से और बिगड़े हालात
जलवायु परिवर्तन ने पानी की उपलब्धता और सुरक्षा को और जटिल बना दिया है।
बांध, जल वितरण नेटवर्क और पानी की पाइपलाइनों पर हमले अब आम हो चले हैं। इससे लाखों लोगों का जीवन प्रभावित होता है और कई वर्षों तक इन इलाकों की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाती है।
यूक्रेन में वॉटर वेपन का भयावह उदाहरण
रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को दिखाया कि पानी को कैसे एक 'मूक हथियार' की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
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Nova Kakhovka बांध पर 2022 में हमला हुआ
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इससे 80 से अधिक कस्बों के 3,600 लोग बेघर हुए
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10 लाख से अधिक लोग पीने के पानी से वंचित हो गए
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यह बांध दक्षिण यूक्रेन में कृषि सिंचाई का मुख्य स्रोत था
शोधकर्ता Marcus King के अनुसार यह केवल बमबारी नहीं थी, बल्कि आम लोगों की जिंदगी को बंधक बनाने की रणनीति थी। विशेषज्ञ Erika Weinthal बताती हैं कि यह रणनीति नई नहीं है। साल 2014 में क्रीमिया पर कब्ज़े के दौरान भी रूस ने जल संरचनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया था।