‘बसों में आग लगने की घटनाएं’ बन रही यात्रियों की जान की दुश्मन!
punjabkesari.in Sunday, Dec 07, 2025 - 06:21 AM (IST)
अब तक तो रेलगाडिय़ों में ही आग लगने की घटनाएं सुनने में आती थीं, परन्तु पिछले कुछ समय से यात्री बसों में भी आग लगने की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है, जिससे यात्रियों के प्राण जोखिम में पड़ रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में हुई बसों में आग लगने की घटनाएं निम्न में दर्ज हैं :
* 28 नवम्बर को ‘कानपुर’ (उत्तर प्रदेश) में ‘दिल्ली’ से ‘वाराणसी’ जा रही एक स्लीपर बस में आग लग जाने से पूरी बस ही जल कर राख हो गई।
* 2 दिसम्बर को ‘महाराजगंज’ (उत्तर प्रदेश) के ‘सोनोली’ से ‘दिल्ली’ जा रही बस की एक ट्रक से टक्कर हो जाने के कारण बस में आग लग जाने से 2 यात्री जिंदा जल गए जबकि एक अन्य यात्री की ट्रक के नीचे दब जाने से जान चली गई और 24 अन्य यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए।
* 3 दिसम्बर को ‘दिल्ली-कटड़ा’ रूट पर चलने वाली ए.सी. स्लीपर बस में अचानक भीषण आग लग जाने से पूरी बस जल कर राख हो गई।
* 4 दिसम्बर को ‘हरदोई’ (उत्तर प्रदेश) में सड़क किनारे खड़ी एक बस से अचानक धुआं निकलने लगा। देखते ही देखते बस आग का गोला बन गई और जल कर राख हो गई।
* 4 दिसम्बर को ही ‘बरगड़’ (ओडिशा) के ‘बीजेपुर’ में एक यात्री बस में भीषण आग लग गई। समय रहते ही चालक द्वारा बस रोक कर सभी यात्रियों को नीचे उतार देने के परिणामस्वरूप प्राण हानि टल गई।
* 4 दिसम्बर को ही ‘चंडीगढ़’ से ‘बङ्क्षठडा’ जा रही एक स्लीपर बस में अचानक आग लग जाने से बस जल कर राख हो गई।
* 5 दिसम्बर को ‘दिल्ली’ के जनकपुरी में तमिलनाडु पुलिस की बस में आग लग जाने से बस पूरी तरह जल कर राख हो गई।
* और अब 5 दिसम्बर को ही जालौन (उत्तर प्रदेश) के ‘उमरी’ गांव में एक बस में शार्ट सॢकट होने से आग लग जाने से बस पूरी तरह जल कर राख हो गई।
उल्लेखनीय है कि ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज करने, ट्रांसपोर्ट आप्रेटरों द्वारा सुरक्षा नियमों का पालन न करने और सही ढंग से रख-रखाव न करने के कारण इस तरह की दुर्घटनाएं हो रही हैं।
विशेष रूप से ए.सी. बसों में अक्सर खराब या घटिया वायरिंग की समस्या देखी जाती है। ढीले कनैक्शन तथा फ्यूज प्रोटैक्शन का न होना शॉर्ट सॢकट से आग लगने के बड़े कारण हैं।
खराब कूलिंग सिस्टम या रेडिएटर में रिसाव के कारण इंजन अधिक गर्म हो सकता है। इससे आसपास के प्लास्टिक या तेल में आग लग सकती है। वाहनों की टक्कर से भी ईंधन टैंक में रिसाव होने, वाहनों में बैटरी में शार्ट सॢकट या खराबी भी आग लगने का कारण बन सकती है।
प्रतिबंधित ज्वलनशील पदार्थ लेकर यात्रा करना भी दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है। बसों के आग की चपेट में आने से अब यह प्रश्न उठने लगा है कि क्या हमारी यात्राएं सुरक्षित हैं? इसी मुद्दे पर अब ‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग’ ने कड़ा रुख अपनाते हुए सभी राज्यों को अवैध या नॉन स्टैंडर्ड स्लीपर बसों पर तुरंत कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
आयोग को मिली शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कई बसों का डिजाइन भी जानलेवा है। विशेष रूप से उन बसों में जहां ड्राइवर कैबिन और पैसेंजर कम्पार्टमैंट के बीच पूरी तरह दीवार बनी होती है। इससे आग लगने जैसी एमरजैंसी में ड्राइवर को समय रहते पता ही नहीं लगता और यात्री बाहर नहीं निकल पाते।
बसों में आग लगने से हानि इसलिए भी अधिक हो जाती है क्योंकि इनमें आग बुझाने के इंतजाम नहीं होते। कुल मिला कर ये घटनाएं बस बॉडी बिल्डरों, अप्रूवल देने वाली एजैंसियों तथा सिस्टम की लापरवाही का परिणाम हैं।
अत: बसों के रख-रखाव की ओर ध्यान न देकर यात्रियों के प्राणों को संकट में डालने वाले ट्रांसपोर्ट आप्रेटरों के विरुद्ध तुरंत कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। इसके साथ ही ट्रांसपोर्ट विभाग को भी इन घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा मानकों का रिव्यू करना चाहिए और मानकों को सख्ती से लागू करना चाहिए।—विजय कुमार
