कुंडली में छुपे यह योग देते हैं ब्लड प्रैशर का रोग
punjabkesari.in Thursday, Aug 20, 2015 - 03:49 PM (IST)

रक्त संचार होने से जो दबाव रक्त वाहिकाओं पर पड़ता है वही ब्लड प्रैशर कहलाता है। रक्त शरीर के पोषक घटकों को सूक्ष्म कोषों तक पहुंचाता है। किंतु रक्त को वहन करने में हृदय व रक्तवाही संस्थान मुख्य भूमिका निभाते हैं। रक्त निश्चित दबाव से बहता है। हृदय का बायां भाग तेज संकुचित होकर रक्त को महाधमनी में धकेलता है व रक्त वाहिनियों से हो कर आगे गतिमान होता है। इसे संकोच कालीन रक्त भार कहते हैं। दो संकुचन के बीच का काल शिथिलन काल कहलाता है। इसमें संकुचन के दौरान आगे बढ़ा हुआ रक्त जब धमनियों के रिक्त स्थान में प्रवेश पाता है, तब धमनी की दीवार व रक्त में संघर्ष होता है व रक्त का दबाव बढ़ जाता है।
अतः हृदय के दो संकुचन के बीच धमनियों में जो रक्त भार रहता है, उसे विश्रामकालीन ब्लड प्रैशर कहते हैं। रक्त के परिमाण जब उचित हों व रक्त वाहिनियों में जब कोई रुकावट नहीं हो, तब नॉर्मल ब्लड प्रैशर रहता है तथा जब इन परिमाणों में विकृति उत्पन्न होती है, तब हाइ ब्लड प्रैशर बढ़ता है।
ज्योतिषीय के काल पुरुष सिद्धांत अनुसार चतुर्थ, पंचम, छठा भाव रक्त संवहन तंत्र के कारक हैं। चतुर्थ भाव हृदय, धमनियों, पंचम भाव यकृत, पाचन, अग्नाशय व छठा भाव पेट, बड़ी आंत, गुर्दे का नेतृत्व करते हैं व इन भावों के कारक क्रमशः चंद्र, बृहस्पति व मंगल हैं। सूर्य हृदय की धमनियों, चंद्र-बृहस्पति धमनियों में लचीलापन व मंगल रक्त में ऊर्जा व दबाव के कारक हैं। रक्त का संचार हृदय व धमनियों से पूरे शरीर में एक निश्चित दबाव से होता है। इसलिए चतुर्थ, पंचम, छठा भाव, लग्न, इनके स्वामी, सूर्य, चंद्र, गुरु, मंगल ब्लड प्रैशर को घटाने-बढ़ाने में विशेष भूमिका निभाते हैं। राहु इनके प्रभाव को गति प्रदान करता है।
अतः कुंडली में दुष्प्रभाव से व ग्रहों की दशा-अंर्तदशा में ब्लड प्रैशर से व्यक्ति पीड़ित होता है। जब इन्हीं ग्रहों से संबंधित दशा-अंतर्दशा रहती है व गोचर ग्रह स्थिति प्रतिकूल हो तो व्यक्ति को ब्लड प्रैशर होता है। यदि कुंडली में सभी ग्रह स्थितियां प्रतिकूल हों, तो रोग जीवन भर रहता है अन्यथा संबंधित ग्रह की दशा-अंतर्दशा के समय प्रभाव देता है।
जन्म लग्न अनुसार ब्लड प्रैशर
मेष: राहु, सूर्य, चंद्र चतुर्थ भाव में, बुध पंचम भाव व मंगल छठे भाव में हो तो ब्लड प्रैशर से व्यक्ति को समय-असमय प्रभावित होना पड़ता है।
वृष: गुरु चतुर्थ में चंद्र के साथ हो, मंगल राहु से दृष्ट व त्रिक स्थानों पर हो, शुक्र अस्त हो व सूर्य पर शनि की दृष्टि हो, तो ब्लड प्रैशर होता है।
मिथुन: मंगल-राहु लग्न में व लग्नेश अष्ट भाव में, सूर्य सप्तम में रहे व गुरु चतुर्थ या पंचम में दृष्टि लगाए, तो ब्लड प्रैशर होता है।
कर्क: बुध लग्न में, गुरु चतुर्थ में, शुक्र-चंद्र अस्त हो, मंगल त्रिक स्थानो पर, शनि से युक्त या दृष्ट हो, तो व्यक्ति ब्लड प्रैशर से पीड़ित होता है।
सिंह: राहु-बुध लग्न में हो, चंद्र-शनि चतुर्थ भाव में हों व मंगल षष्ठ भाव में गुरु के साथ युति कर रहा हो तो ब्लड प्रैशर पैदा करता है।
कन्या: बुध, शनि छठे भाव में, सूर्य पंचम में, चंद्र पंचम में अस्त स्थिति में, मंगल चतुर्थ स्थान में गुरु से दृष्ट युक्त हो, तो ब्लड प्रैशर होता है।
तुला: गुरु चतुर्थ या पंचम में हो तथा सूर्य लग्न में हो, चंद्र व राहु दशम् भाव में, शुक्र अस्त हो, तो ब्लड प्रैशर व्यक्ति को पीड़ा देता है।
वृश्चिक: मंगल छठे भाव में राहु से युक्त हो, बुध चतुर्थ या पंचम भाव में उदय हो व शनि से युक्त हो, तो ऐसी स्थिति में ब्लड प्रैशर देता है।
धनु: लग्नेश त्रिक स्थान में अस्त हो, चंद्र व शुक्र एक दूसरे से युक्त या दृष्ट हों, चतुर्थ भाव पर शनि या राहु की दृष्टि हो, तो ब्लड प्रैशर देता है।
मकर: सूर्य, बुध लग्न में, शनि चतुर्थ में गुरु से दृष्ट हो, चंद्र छठे भाव में राहु से दृष्ट या युक्त हो व मंगल पंचम में हो, तो ब्लड प्रैशर देता है।
कुंभ: गुरु, चंद्र चतुर्थ भाव में, शुक्र अस्त हो, शनि-सूर्य एक दूसरे से युक्त, या एक दूसरे से सप्तम हो, मंगल पंचम में रहे, तो ब्लड प्रैशर होता है।
मीन: सूर्य पंचम या चतुर्थ में हों, बृहस्पति अस्त हो, शनि मंगल से युक्त व राहु से दृष्ट हो, तो व्यक्ति ब्लड प्रैशर से पीड़ित होता है।
ब्लड प्रैशर के ज्योतिषी उपाय
- रविवार का व्रत रखें व एक समय का नमक रहित भोजन कर आदित्य हृदय स्तोत्रम का पाठ करें।
- चंद्रमा के कारण ब्लड प्रैशर की समस्या हेतु दोमुखी रुद्राक्ष माला से महामृत्युंजय मंत्र का 11 माला नित्य जाप करें।
- गुरु के कारण ब्लड प्रैशर की समस्या हेतु पंचमुखी रुद्राक्ष की माला से मृतसंजीवनी मंत्र का 11 माला नित्य जाप करें।
- शनि के कारण ब्लड प्रैशर की समस्या हेतु काले शिवलिंग पर सरसों के तेल का अभिषेक करते हुए नमक-चमक का पाठ करें।
- शुक्र के कारण ब्लड प्रैशर की समस्या हेतु सफ़ेद शिवलिंग पर गाय के शुद्ध घी से अभिषेक करते हुए नमक-चमक का पाठ करें।
- शुक्र के कारण ब्लड प्रैशर की समस्या हेतु सफ़ेद शिवलिंग पर गाय के शुद्ध घी से अभिषेक करते हुए नमक-चमक का पाठ करें।
- राहू-केतू के कारण ब्लड प्रैशर की समस्या हेतु प्राण प्रतिष्ठित किया हुआ 8मुखी+10मुखी+9मुखी रुद्राक्ष का बंध गले में धरण करें।
- सूर्य-चंद्र-मंगल के कारण ब्लड प्रैशर की समस्या हेतु प्राण प्रतिष्ठित किया हुआ 3मुखी+1मुखी+2मुखी रुद्राक्ष का बंध गले में धरण करें।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com