तेल-तिलहन बाजार में गिरावट जारी
punjabkesari.in Tuesday, Feb 28, 2023 - 09:07 PM (IST)

नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को गिरावट का रुख कायम रहा तथा मूंगफली तेल-तिलहन को छोड़कर बाकी लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। निर्यात की हल्की मांग के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंने रहे।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में दो प्रतिशत की गिरावट रही जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात 1.5-1.75 प्रतिशत की गिरावट रही और फिलहाल यहां 0.25 प्रतिशत की गिरावट है। लेकिन स्थानीय बाजार में विदेशों की घट-बढ़ का अब कोई खास असर नहीं हो रहा है।
सूत्रों ने कहा कि साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने सस्ते आयात और घरेलू तेल-तिलहनों पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है जो उचित है। एसईए ने सुझाव दिया है कि सरकार रिफाइंड पाम तेल के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में रखकर या कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलिन के बीच आयात शुल्क के अंतर को कम से कम 20 प्रतिशत तक बढ़ाकर देशी तेल-तिलहनों की गिरावट को रोके।
एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, सस्ते आयातित तेलों के कारण देशी तेल-तिलहन कीमतों में ‘‘आगे और गिरावट आने से इनकार नहीं किया जा सकता है।’’ एसईए ने कीमतों में गिरावट को रोकने के उपायों के तहत रिफाइंड पाम तेल का आयात रोकने और सरकार द्वारा सरसों की खरीद शुरू करने को भी कहा है।
सूत्रों ने कहा कि पाम और पामोलीन तेल कमजोर आय वर्ग के लोगों के खपत की चीज है और इसका उपयोग खानपान सामग्री बनाने वाली कंपनियों में होता है। इससे देशी तेल-तिलहनों को विशेष फर्क नहीं आता। एसईए को वास्तव में सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे ‘सॉफ्ट’ तेल के सस्ते आयात पर रोक लगाने की मांग करनी चाहिये जो देशी तेल-तिलहनों की खपत को प्रभावित कर रहे हैं। इस बारे में कोई नहीं बोल रहा जो चिंताजनक है। हमारे देशी सॉफ्ट आयल (मूंगफली, सरसों, सोयाबीन और बिनौला) का बाजार इन्हीं (सूरजमुखी और सोयाबीन तेल) खाद्य तेलों की वजह से टूट रहा है जिसकी खपत ज्यादातर ठीक-ठाक आयवर्ग के बीच होती है।
सूत्रों ने कहा कि विगत अनुभवों को देखते हुए कहा जा सकता है कि सरकार की ओर से नेफेड जैसी संस्थाओं द्वारा ज्यादा से ज्यादा 25-30 लाख टन सरसों की खरीद की जा सकती है। बाकी सरसों कहां जाएगी? उन्हें कहां खपाया जायेगा? देश को अपने खाद्य तेलों के लिए बाजार पहले बनाने की ओर ध्यान देना पड़ेगा और उसका एकमात्र रास्ता सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे सस्ते आयातित तेलों की बाढ़ को नियंत्रित करने से शुरू होना चाहिये।
इसके अलावा देशी तेल मिलों की बुरी हालत है और किसान अभी से अपनी फसलों के बाजार में खपने की चिंता कर रहे हैं। उच्च अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) निर्धारित किये जाने की वजह से विदेशों में खाद्य तेलों में आई गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है। इस सबके पीछे मुख्य कारण सूरजमुखी और सोयाबीन के शुल्कमुक्त आयात से बाजार का पटा होना है। ऐसे में एसईए को निश्चित तौर पर इन तेलों पर लगाम लगाने की बात करनी चाहिये थी और इस संदर्भ में उनकी चुप्पी चिंता पैदा करने वाली है।
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 5,370-5,420 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,775-6,835 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,550 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,540-2,805 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 11,060 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,795-1,825 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,755-1,880 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,680 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,350 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,350 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 5,330-5,460 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 5,070-5,090 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में दो प्रतिशत की गिरावट रही जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात 1.5-1.75 प्रतिशत की गिरावट रही और फिलहाल यहां 0.25 प्रतिशत की गिरावट है। लेकिन स्थानीय बाजार में विदेशों की घट-बढ़ का अब कोई खास असर नहीं हो रहा है।
सूत्रों ने कहा कि साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने सस्ते आयात और घरेलू तेल-तिलहनों पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है जो उचित है। एसईए ने सुझाव दिया है कि सरकार रिफाइंड पाम तेल के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में रखकर या कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलिन के बीच आयात शुल्क के अंतर को कम से कम 20 प्रतिशत तक बढ़ाकर देशी तेल-तिलहनों की गिरावट को रोके।
एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, सस्ते आयातित तेलों के कारण देशी तेल-तिलहन कीमतों में ‘‘आगे और गिरावट आने से इनकार नहीं किया जा सकता है।’’ एसईए ने कीमतों में गिरावट को रोकने के उपायों के तहत रिफाइंड पाम तेल का आयात रोकने और सरकार द्वारा सरसों की खरीद शुरू करने को भी कहा है।
सूत्रों ने कहा कि पाम और पामोलीन तेल कमजोर आय वर्ग के लोगों के खपत की चीज है और इसका उपयोग खानपान सामग्री बनाने वाली कंपनियों में होता है। इससे देशी तेल-तिलहनों को विशेष फर्क नहीं आता। एसईए को वास्तव में सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे ‘सॉफ्ट’ तेल के सस्ते आयात पर रोक लगाने की मांग करनी चाहिये जो देशी तेल-तिलहनों की खपत को प्रभावित कर रहे हैं। इस बारे में कोई नहीं बोल रहा जो चिंताजनक है। हमारे देशी सॉफ्ट आयल (मूंगफली, सरसों, सोयाबीन और बिनौला) का बाजार इन्हीं (सूरजमुखी और सोयाबीन तेल) खाद्य तेलों की वजह से टूट रहा है जिसकी खपत ज्यादातर ठीक-ठाक आयवर्ग के बीच होती है।
सूत्रों ने कहा कि विगत अनुभवों को देखते हुए कहा जा सकता है कि सरकार की ओर से नेफेड जैसी संस्थाओं द्वारा ज्यादा से ज्यादा 25-30 लाख टन सरसों की खरीद की जा सकती है। बाकी सरसों कहां जाएगी? उन्हें कहां खपाया जायेगा? देश को अपने खाद्य तेलों के लिए बाजार पहले बनाने की ओर ध्यान देना पड़ेगा और उसका एकमात्र रास्ता सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे सस्ते आयातित तेलों की बाढ़ को नियंत्रित करने से शुरू होना चाहिये।
इसके अलावा देशी तेल मिलों की बुरी हालत है और किसान अभी से अपनी फसलों के बाजार में खपने की चिंता कर रहे हैं। उच्च अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) निर्धारित किये जाने की वजह से विदेशों में खाद्य तेलों में आई गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है। इस सबके पीछे मुख्य कारण सूरजमुखी और सोयाबीन के शुल्कमुक्त आयात से बाजार का पटा होना है। ऐसे में एसईए को निश्चित तौर पर इन तेलों पर लगाम लगाने की बात करनी चाहिये थी और इस संदर्भ में उनकी चुप्पी चिंता पैदा करने वाली है।
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 5,370-5,420 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,775-6,835 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,550 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,540-2,805 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 11,060 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,795-1,825 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,755-1,880 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,680 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,350 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,350 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 5,330-5,460 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 5,070-5,090 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।