पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान की बढ़ीं 5 मुश्किलें, अब सबकुछ खतरे में

punjabkesari.in Friday, May 02, 2025 - 03:02 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के संबंधों को फिर एक बार तनाव की कगार पर ला दिया है। भारत ने हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ बताते हुए कई सख्त कदम उठाए हैं, जिनका असर अब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, कूटनीतिक रिश्तों और सामाजिक हालात पर साफ दिखने लगा है। भारत ने सिंधु जल समझौता स्थगित किया है, अटारी-वाघा सीमा बंद कर दी है और व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इससे पाकिस्तान पर पांच बड़े स्तरों पर संकट गहराने लगा है। आइए एक-एक करके समझते हैं कि कैसे ये पांच मोर्चे पाकिस्तान के लिए आने वाले दिनों में भारी पड़ सकते हैं।

1. पानी पर दबाव: सिंधु जल समझौता रोकने से पाकिस्तान में अन्न और बिजली संकट

भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित करना पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। पाकिस्तान की 80% कृषि इन्हीं नदियों पर निर्भर है, जो 40% रोजगार और 18% जीडीपी में योगदान देती है। अगर भारत पानी का प्रवाह कम करता है तो सिंध और पंजाब में फसलें 20-30% तक घट सकती हैं। इससे अनाज की भारी कमी और महंगाई हो सकती है। वहीं कराची और लाहौर जैसे बड़े शहरों में पीने के पानी की समस्या और गहरा सकती है। जलविद्युत से बनने वाली 30% बिजली भी प्रभावित हो सकती है, जिससे औद्योगिक उत्पादन और रोजगार पर असर पड़ेगा। अगर यही हालात बने रहते हैं, तो पाकिस्तान की जीडीपी वृद्धि दर 2.6% से भी नीचे जा सकती है। विश्व बैंक ने पहले ही अनुमान लगाया था कि 2025 के अंत तक 74% पाकिस्तानी भुखमरी के कगार पर होंगे। पानी की कमी से यह स्थिति और बिगड़ सकती है, जिससे जीडीपी में 5-7% तक की गिरावट और हो सकती है।

2. व्यापार पर वार: भारत से आयात बंद होने से महंगाई चरम पर

भारत ने अटारी-वाघा सीमा बंद कर द्विपक्षीय व्यापार रोक दिया है। पाकिस्तान भारत से दवाएं, कपास और आवश्यक वस्तुएं आयात करता रहा है। इनके न मिलने से कीमतें 30-50% तक बढ़ चुकी हैं। हमले के बाद पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (PSX) का KSE-100 इंडेक्स 3500 अंक गिर चुका है और ट्रेडिंग वैल्यू 9.05% घटकर 27.76 अरब रुपये पर आ गई है। आईएमएफ ने 2025 के लिए पाकिस्तान की जीडीपी वृद्धि दर 3% से घटाकर 2.6% कर दी है। इसके अलावा, फिच रेटिंग्स ने रुपये के और कमजोर होने की आशंका जताई है। भारत से व्यापार बंद होने और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की चिंताओं के कारण पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (जो पहले ही केवल 8 अरब डॉलर था) तेजी से खत्म हो सकता है। इसके कारण पाक अर्थव्यवस्था में 2-3% अतिरिक्त गिरावट और मुद्रास्फीति 30% तक जा सकती है।

3. परिवहन संकट: हवाई और थल मार्गों के बंद होने से निर्यात को झटका

भारत-पाक के बीच हवाई मार्ग और अटारी बॉर्डर पूरी तरह बंद हो चुके हैं। इससे पाकिस्तान को न केवल व्यापारिक झटका लगा है, बल्कि आयात-निर्यात की लागत भी बढ़ गई है। पाकिस्तान का टेक्सटाइल निर्यात, जो उसकी जीडीपी का 10% है, 10-15% तक घट सकता है। वैकल्पिक मार्गों से व्यापार महंगा हो गया है जिससे पाकिस्तान को 1-2 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। उद्योगों के लिए कच्चा माल महंगा पड़ रहा है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ेगा और लोगों की नौकरियां जा सकती हैं।

4. आंतरिक तनाव: आर्थिक संकट के बीच आंदोलन और सेना पर दबाव

पाकिस्तान पहले से ही बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध में चल रहे आंदोलन से जूझ रहा है। अब जब पानी और रोजगार की समस्या बढ़ रही है, तो इन इलाकों में प्रदर्शन और हिंसा और तेज हो सकते हैं। ऐसे समय में जब भारत के साथ तनाव है, पाकिस्तान को सीमाओं पर सेना तैनात करनी पड़ रही है, लेकिन उसे अब भीतर से भी खतरा बढ़ता दिख रहा है। इससे सेना को दोतरफा दबाव झेलना पड़ेगा। पाकिस्तान का रक्षा बजट, जो पहले ही 7.6 अरब डॉलर है, और बढ़ सकता है। इससे पहले से ही 7.4% पर खड़ा राजकोषीय घाटा 8-9% तक जा सकता है।

5. वैश्विक स्तर पर अलगाव: भारत के साक्ष्यों के बाद समर्थन घटा

भारत ने संयुक्त राष्ट्र और 13 से ज्यादा देशों को पहलगाम हमले से जुड़े सबूत सौंपे हैं और पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थक करार दिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ की कबूलनामा वाली टिप्पणी और लंदन में एक अधिकारी द्वारा प्रदर्शनकारियों को धमकाने वाला वीडियो इसकी कूटनीतिक छवि को और खराब कर रहे हैं। FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) में भारत की मजबूत भूमिका और उसके प्रमाणों के चलते पाकिस्तान पर फिर से ग्रे लिस्ट में डालने का खतरा मंडरा रहा है। पहले भी 2008 से ग्रे लिस्ट में रहने से पाकिस्तान को 38 बिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है। बिलावल भुट्टो तक ने माना है कि पाकिस्तान ने आतंकियों को पनाह दी है, जिससे विश्व समुदाय में उसका भरोसा और गिरा है। अंतरराष्ट्रीय निवेश में 20-30% तक की कमी हो सकती है और बेलआउट पैकेज में भी देर होने के आसार हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Ashutosh Chaubey

Related News