युवराज सिंह के पिता योगराज ने हिंदी को बताया 'औरतों की भाषा', पंजाबी को 'मर्दों की भाषा' कहकर छेड़ा विवाद
punjabkesari.in Sunday, Jan 12, 2025 - 11:30 PM (IST)
नेशनल डेस्कः टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह के पिता और पूर्व क्रिकेटर योगराज सिंह अपने विवादित बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं। इस बार उनका बयान क्रिकेट से हटकर हिंदी भाषा को लेकर है, जिसने सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर बहस छेड़ दी है। एक यूट्यूब चैनल ‘अनफिल्टर्ड विद समधीश’ पर दिए इंटरव्यू में योगराज ने हिंदी को 'औरतों की भाषा' और 'कमज़ोर' करार दिया, जबकि पंजाबी को 'मर्दों की भाषा' बताया।
योगराज का बयान: हिंदी से 'जान' गायब है
योगराज सिंह ने इंटरव्यू के दौरान कहा,“मुझे हिंदी ऐसी लगती है, जैसे कोई औरत बोल रही हो। जब महिलाएं हिंदी बोलती हैं तो अच्छा लगता है, लेकिन जब मर्द हिंदी बोलते हैं, तो लगता है कि कौन आदमी है ये, ये क्या बोल रहा है?” उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी में ताकत और मर्दानगी की कमी है। इसके उलट उन्होंने पंजाबी भाषा को 'मर्दों की भाषा' बताया और इंटरव्यू में पंजाबी में बोलते हुए कहा कि पंजाबी में ऊर्जा और ताकत झलकती है।
मुगल-ए-आजम का उदाहरण
योगराज सिंह ने यह भी तर्क दिया कि पुरानी हिंदी फिल्मों में जो संवाद दिलचस्प लगते थे, उसमें हिंदी नहीं बल्कि उर्दू और फारसी का मिश्रण होता था। उन्होंने कहा, “मुगल-ए-आजम जैसी फिल्मों में जो बोला गया, उसमें जान थी क्योंकि उसमें उर्दू और फारसी का मिश्रण था। आज की हिंदी में वो बात नहीं है।”
सोशल मीडिया पर आलोचना
उनकी इस टिप्पणी की एक क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। कई लोग उनके बयान को भाषा-आधारित भेदभाव और हिंदी भाषी लोगों का अपमान मान रहे हैं। इस बयान के बाद योगराज सिंह को लेकर ट्विटर पर बहस छिड़ गई है।
हिंदी बनाम क्षेत्रीय भाषाओं का मुद्दा
योगराज सिंह का यह बयान ऐसे समय आया है, जब हाल ही में टीम इंडिया के स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने भी हिंदी को लेकर बयान दिया था। अश्विन ने चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि, “हिंदी देश की राष्ट्रीय भाषा नहीं है, बल्कि एक राजकीय भाषा है।” इस बयान के बाद अश्विन को भी सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ा।
योगराज का विवादों से पुराना नाता
यह पहली बार नहीं है जब योगराज सिंह अपने बयानों को लेकर विवादों में आए हैं। वह पहले भी एमएस धोनी और कपिल देव पर कई तीखे आरोप लगा चुके हैं। उनके बयानों में अक्सर आक्रामकता और तीखी आलोचना नजर आती है।
भाषा पर बहस का बढ़ता दायरा
योगराज सिंह के इस बयान ने भाषाई असमानता और क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति संवेदनशीलता के मुद्दे को फिर से उजागर कर दिया है। भारत में भाषाई विविधता हमेशा से चर्चा का विषय रही है, लेकिन इस तरह के बयान समाज में नकारात्मक धारणाएं पैदा कर सकते हैं।
योगराज सिंह के बयान को लेकर बढ़ती आलोचना के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या सार्वजनिक हस्तियों को भाषा जैसे संवेदनशील विषयों पर बोलने से पहले अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। फिलहाल, उनका यह बयान बहस और विवाद का कारण बना हुआ है।