कमल हसन की मूवी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कर्नाटक हाईकोर्ट को तलख टिप्पणी, जानिए क्या है पूरा मामला

punjabkesari.in Tuesday, Jun 17, 2025 - 01:35 PM (IST)

नेशनल डेस्क : साउथ इंडस्ट्री के सुपर स्टार कमल हासन की फिल्म 'ठग लाइफ' के कर्नाटक में रिलीज न होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रूख अपनाया है। कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट में लंबित याचिका को अपने पास ट्रांसफर कर लिया और गुरुवार (19 जून , 2025) को सुनवाई इस पर सुनवाई करेगा। कोर्ट ने राज्य सरकार से कल तक जवाब दाखिल करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने उस बात पर भी ऐतराज जताया है, जिसमें हाईकोर्ट ने कमल हसन को कर्नाटक की जनता से माफी मांगने की सलाह दी थी।

जजों ने कहा, 'सीबीएफसी का सर्टिफिकेट मिलने के बाद किसी फिल्म को प्रदर्शित होने से नहीं रोका जा सकता. अगर किसी को कमल हासन के बयान से समस्या है तो वह उसके जवाब में अपनी तरफ से बयान जारी कर सकता है। मुद्दे पर बहस हो सकती है, लेकिन उग्र विरोध का बहाना बना कर राज्य सरकार फिल्म का प्रदर्शन सुनिश्चित करने के दायित्व से पल्ला नहीं झाड़ सकती।'


सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट की उस सलाह पर आपत्ति जताई है, जिसमें हाईकोर्ट ने फिल्म से जुड़े लोगों से कर्नाटक के निवासियों से माफी मांगने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी मामले में इस तरह की सलाह देना हाईकोर्ट का अधिकार नहीं है।

कमल हासन ने 24 मई को चेन्नई में अपनी फिल्म ‘ठग लाइफ’ के ऑडियो लॉन्च के दौरान कन्नड़ भाषा को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि कन्नड़ भाषा तमिल भाषा से निकली है। इस बयान से कर्नाटक की जनता नाराज हो गई, और राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के साथ-साथ कांग्रेस और भाजपा के कई नेताओं ने भी इसका विरोध किया।

कमल हासन के इस बयान के कारण कर्नाटक में उनकी फिल्म ‘ठग लाइफ’ के प्रदर्शन का विरोध शुरू हो गया। कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स ने यह ऐलान किया कि जब तक कमल हासन माफी नहीं मांगते, उनकी फिल्म कर्नाटक में रिलीज नहीं होगी। इसके जवाब में कमल हासन की प्रोडक्शन कंपनी ‘राजकमल फिल्म्स इंटरनेशनल’ ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया।

3 जून को हुई सुनवाई में कर्नाटक हाईकोर्ट ने कमल हासन को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि वे कर्नाटक की जनता से माफी मांगकर इस विवाद को समाप्त कर सकते हैं। जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि कमल हासन के बयान से कर्नाटक के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि ‘जला, नेला, बशे’ यानी जल, भूमि और भाषा ऐसे मुद्दे हैं जो लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि देश में कई राज्य भाषा के आधार पर बनाए गए हैं और किसी भी नागरिक को जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है।


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News Editor

Rahul Rana

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