नाना-नानी की संपत्ति में नाती-नातिन का होता है हक? जानिए क्या कहता है कानून

punjabkesari.in Monday, Apr 14, 2025 - 05:53 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कई बार मन में ये सवाल उठता है कि क्या नाना-नानी की प्रॉपर्टी में नाती या नातिन का कोई कानूनी हक होता है? खासकर तब जब नाना-नानी की संपत्ति अच्छी-खासी हो और माता-पिता या रिश्तेदार इस मुद्दे पर कुछ भी स्पष्ट न कहें। भारत में अक्सर इस बात को लेकर असमंजस बना रहता है क्योंकि लोगों को सही कानूनी जानकारी नहीं होती। तो चलिए इस खबर में हम आपका यह भ्रम पूरी तरह से दूर करते हैं।

पहले जानिए – प्रॉपर्टी कितनी तरह की होती है?

कानून के हिसाब से संपत्ति दो तरह की होती है:

  1. एनसेस्टरल प्रॉपर्टी (पुश्तैनी संपत्ति)
    यह वो संपत्ति होती है जो लगातार चार पीढ़ियों से मेल लाइन (पुरुष वंश) में बिना किसी बंटवारे के ट्रांसफर होती रहती है। इसे पुश्तैनी संपत्ति कहते हैं।

  2. सेल्फ-एक्वायर्ड प्रॉपर्टी (स्व-हासिल संपत्ति)
    ऐसी प्रॉपर्टी जिसे किसी व्यक्ति ने अपनी मेहनत की कमाई से खरीदा हो या तोहफे, दान या वसीयत के रूप में प्राप्त किया हो।

इन दोनों में अधिकार का नियम अलग होता है।

नाना-नानी की संपत्ति में कब मिलता है हक?

हिंदू सक्सेशन एक्ट 1956 के अनुसार, अगर नाना-नानी की संपत्ति सेल्फ-एक्वायर्ड है तो वो अपनी मर्जी से उसे किसी को भी दे सकते हैं। यानी उनके नाती या नातिन को सीधा हक नहीं मिलेगा जब तक नाना-नानी ने वसीयत में उनका नाम न लिखा हो। लेकिन अगर वसीयत नहीं बनाई गई है और नाना-नानी की मृत्यु हो जाती है तो फिर संपत्ति उनके कानूनी वारिसों में बंटेगी। यानी उनकी बेटी (आपकी मां) को हिस्सा मिलेगा और अगर आपकी मां जीवित नहीं हैं तो फिर आप यानी नाती या नातिन कानूनी रूप से उत्तराधिकारी बन सकते हैं।

पुश्तैनी संपत्ति में क्या है नियम?

अगर प्रॉपर्टी एनसेस्टरल है तो हिंदू लॉ के तहत नाती या नातिन को हक मिल सकता है। इस प्रकार की संपत्ति में व्यक्ति अपनी मर्जी से किसी को बाहर नहीं कर सकता।
यह संपत्ति सर्वाइवरशिप राइट्स के तहत अपने-आप अगली पीढ़ी को ट्रांसफर होती है। ऐसे में अगर आपकी मां अकेली संतान हैं तो उन्हें पूरा हिस्सा मिलेगा और आप भी उस हिस्से के वारिस होंगे।

क्या मां की स्थिति भी असर डालती है?

जी हां, अगर आपकी मां नाना पर आर्थिक रूप से निर्भर थीं या वो कमाने में सक्षम नहीं थीं तो इस स्थिति में भी आपको हक मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
साथ ही यदि मां की मृत्यु हो चुकी है लेकिन वो नाना-नानी की कानूनी वारिस थीं, तब भी आप नाती-नातिन के रूप में उत्तराधिकारी हो सकते हैं।

क्या वसीयत जरूरी है?

अगर नाना-नानी अपनी संपत्ति को वसीयत के जरिए बांटते हैं तो फिर संपत्ति उसी के अनुसार वितरित होगी। यानी अगर नाना-नानी ने वसीयत में नाती का नाम लिखा है तो वह उसका कानूनी हकदार होगा।
पर अगर वसीयत नहीं बनाई गई है तो संपत्ति हिंदू सक्सेशन एक्ट के अनुसार बंटेगी।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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