सास की मौत के बाद उसकी ज्वैलरी का कौन होता है हकदार? बेटी या बहू... जानिए नियम

punjabkesari.in Tuesday, Nov 18, 2025 - 04:53 PM (IST)

नेशनल डेस्क : देश में अक्सर प्रॉपर्टी और ज्वैलरी को लेकर परिवार में विवाद देखने को मिलते हैं। खासकर सास की मौत के बाद, बहू और बेटी में ज्वैलरी के बंटवारे को लेकर उलझन हो जाती है। कई बार लोग मान लेते हैं कि जिस पर सास का अधिक भरोसा था, वही ज्वैलरी का मालिक बनेगा। लेकिन वास्तविक हक कानून और वसीयत तय करते हैं।

वसीयत होने पर ज्वैलरी का हक

अगर सास ने अपनी मौत से पहले वसीयत तैयार की है, तो ज्वैलरी उसी व्यक्ति को मिलेगी जिसका नाम वसीयत में दर्ज है। इसमें बहू या बेटी होना मायने नहीं रखता। सास अपनी जरूरत या भरोसे के अनुसार ज्वैलरी अलग-अलग सदस्यों को दे सकती हैं। वसीयत कानूनी रूप से सबसे मजबूत दस्तावेज है और इसे कोई चुनौती नहीं दे सकता, जब तक कि धोखाधड़ी का सबूत न हो।

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वसीयत न होने पर ज्वैलरी का बंटवारा

अगर सास ने वसीयत नहीं बनाई है, तो ज्वैलरी उनके कानूनी वारिसों में बराबर हिस्सों में बांटी जाती है। वारिसों में पति, बेटे, बेटियां और मां शामिल होती हैं। यहां बहू शामिल नहीं होती, सिवाय इसके कि उसका पति यानी सास का बेटा अपनी हिस्सेदारी उसे दे दे।

अगर सास के पति और मां नहीं हैं और केवल बच्चे ही वारिस हैं, तो ज्वैलरी बेटे और बेटियों में बराबर बांटी जाती है। कानून के अनुसार शादीशुदा बेटी को कम हिस्सा नहीं मिलता, बल्कि उसका हक बेटे जितना ही मजबूत होता है।

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Mehak

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