दशहरा पर पहली बार कब हुआ था रावण दहन? जानें परंपरा की शुरुआत और महत्व

punjabkesari.in Wednesday, Oct 01, 2025 - 10:30 PM (IST)

नेशनल डेस्कः देशभर में इन दिनों उत्सव का माहौल है और इसकी सबसे बड़ी वजह है दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है। हर साल यह त्योहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार दशहरा 2 अक्टूबर 2025 को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन भगवान राम की विजय के प्रतीक स्वरूप रावण का पुतला दहन किया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि – पहली बार रावण दहन कब हुआ था और इसकी शुरुआत कैसे हुई?

रावण दहन की शुरुआत कब हुई?

आज देशभर में हजारों स्थानों पर रावण दहन होता है, लेकिन इसकी शुरुआत को लेकर ऐतिहासिक जानकारी सीमित है। माना जाता है कि 1948 में रांची (तब बिहार, अब झारखंड) में पहली बार रावण दहन किया गया। यह आयोजन पाकिस्तान से आए शरणार्थियों द्वारा किया गया था, जिन्होंने भारत विभाजन के बाद इस परंपरा को जीवित रखा। राजधानी दिल्ली में 17 अक्टूबर 1953 को रामलीला मैदान में पहली बार रावण का पुतला जलाया गया। यह आयोजन बाद में पूरे देश में लोकप्रिय हो गया और आज दिल्ली का रामलीला मैदान रावण दहन का सबसे प्रसिद्ध स्थल माना जाता है।

दशहरे को विजयदशमी क्यों कहते हैं?

दशहरे को ‘विजयदशमी’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह विजय का दसवां दिन है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने लंका के राक्षस राजा रावण का वध किया था, जिससे सत्य और धर्म की बुराई पर जीत हुई। यही नहीं, मां दुर्गा ने भी इसी दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसलिए यह दिन शक्ति और धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों की साधना और उपवास के बाद यह दसवां दिन विजय का प्रतीक बनता है।

रावण दहन का महत्व

दशहरे पर रावण का पुतला जलाना केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश भी देता है। यह बुराई, अहंकार और अन्याय के अंत का प्रतीक है। रावण का दहन इस बात का स्मरण कराता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में जीत सदैव अच्छाई की ही होती है। आजकल रावण के साथ-साथ मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले भी जलाए जाते हैं, ताकि संदेश और भी गहरा हो सके।

आज का दशहरा: सांस्कृतिक उत्सव

भारत में सबसे बड़े रावण दहन का आयोजन दिल्ली के रामलीला मैदान, वाराणसी, कोलकाता, जयपुर, लखनऊ और अमृतसर जैसे शहरों में होता है। कई जगहों पर रावण दहन को आतिशबाजी और मेले के साथ बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है। विदेशों में बसे भारतीय समुदाय भी दशहरा मनाते हैं और रावण दहन की परंपरा निभाते हैं। 

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. पंजाब केसरी इसकी पुष्टि नहीं करता है)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Pardeep

Related News