'हम किसी को निशाना नहीं बना रहे, विपक्ष माहौल बनाना चाहता है', वक्फ बिल पर मचे बवाल पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी

punjabkesari.in Thursday, Aug 08, 2024 - 02:22 PM (IST)

नेशनल डेस्क : केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन लाकर किसी को निशाना नहीं बना रही है और विपक्षी दल "केवल माहौल बनाना चाहते हैं।" प्रह्लाद जोशी ने कहा, "हम किसी को निशाना नहीं बना रहे हैं। वे (विपक्ष) केवल माहौल बनाना चाहते हैं। हमारे मंत्री बिल पेश करते समय विस्तार से बताएंगे। वे समुदाय के कुछ लोगों को गुमराह करना चाहते हैं। वे भारत की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। हम दुनिया के सबसे अच्छे लोकतंत्रों में से एक हैं।"

रिजिजू ने लोकसभा में पेश किया बिल 
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने सदन में विधेयक का विरोध किया और इसे "संघीय व्यवस्था पर हमला" करार दिया। वेणुगोपाल ने सदन में विधेयक पर बोलते हुए कहा, "हम हिंदू हैं, लेकिन साथ ही हम दूसरे धर्मों की आस्था का भी सम्मान करते हैं। यह विधेयक महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों के लिए खास है। आप नहीं समझते कि पिछली बार भारत की जनता ने आपको सबक सिखाया था। यह संघीय व्यवस्था पर हमला है।"
 

यह अनुच्छेद 30 का उल्लंघन- डीएमके सांसद
डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा कि यह अनुच्छेद 30 का सीधा उल्लंघन है, जो अल्पसंख्यकों को अपने संस्थानों का प्रशासन करने से संबंधित है। उन्होंने कहा, "यह विधेयक एक खास धार्मिक समूह को लक्षित करता है।" जेएमएम सांसद महुआ माजी ने कहा कि किसी खास धर्म को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।

आरजेडी इस बिल का विरोध करेंगे
आरजेडी सांसद मीसा भारती ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और आरजेडी इस बिल का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा, "सरकार बेरोजगारी, महंगाई के मुद्दों पर बात नहीं कर रही है।" टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा, "यह संशोधन बिल स्थायी समिति के माध्यम से आना चाहिए। हम (विपक्ष) एकजुट होकर इस बिल का विरोध करेंगे।" भाजपा नेताओं ने वक्फ बोर्ड अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों का समर्थन किया, जिसे आज निचले सदन में पेश किया गया।
 

यह समय की मांग- अब्बास नकवी
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह बिल वक्फ बोर्ड व्यवस्था के नाम पर हो रहे उत्पीड़न का समाधान प्रदान करने के लिए है। उन्होंने कहा, "यह समय की मांग है। संविधान के दायरे में यह विधेयक लाया जा रहा है और यह विकास के मार्ग को मजबूत करेगा। इस पर उचित चर्चा होनी चाहिए लेकिन आप इसे रोक नहीं सकते, आप इसे गुमराह नहीं कर सकते।"

जानिए वक्फ अधिनियम के बारे में?
वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन के लिए आज लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया गया। विधेयक का उद्देश्य राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण तथा अतिक्रमण हटाने से संबंधित "मुद्दों का प्रभावी ढंग से समाधान" करना है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024, वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करने का प्रावधान करता है। यह स्पष्ट रूप से "वक्फ" को किसी भी व्यक्ति द्वारा कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन करने और ऐसी संपत्ति का स्वामित्व रखने के रूप में परिभाषित करने और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि वक्फ-अल-औलाद के निर्माण से महिलाओं को उत्तराधिकार के अधिकारों से वंचित नहीं किया जाता है।

इसमें "उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ" से संबंधित प्रावधानों को हटाने, सर्वेक्षण आयुक्त के कार्यों को कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा विधिवत् नामित उप कलेक्टर के पद से नीचे न होने वाले किसी अन्य अधिकारी को सौंपने, केन्द्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की व्यापक संरचना के लिए प्रावधान करने तथा मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का भी प्रावधान है। इसमें मुस्लिम समुदायों में शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी और अन्य पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व करने, एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करने और राजस्व कानूनों के अनुसार म्यूटेशन के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया प्रदान करने का प्रावधान है, जिसमें किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित सूचना दी जाएगी।
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विधेयक में आगे बोर्ड की शक्तियों से संबंधित धारा 40 को हटाने का प्रयास किया गया है, जिसमें यह तय करने की शक्ति है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं, मुतवल्लियों द्वारा अपनी गतिविधियों पर बेहतर नियंत्रण के लिए केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से बोर्ड को वक्फ के खाते दाखिल करने का प्रावधान है, दो सदस्यों के साथ न्यायाधिकरण संरचना में सुधार और नब्बे दिनों की निर्दिष्ट अवधि के भीतर न्यायाधिकरण के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने का प्रावधान है। 

 

 


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Content Editor

rajesh kumar

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