उद्धव ठाकरे को फिलहाल राहत नहीं, शिंदे गुट के पास ही रहेंगे 'शिवसेना' और 'धनुष-बाण'

punjabkesari.in Wednesday, Feb 22, 2023 - 09:39 PM (IST)

नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके खेमे के विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता की कार्यवाही तय करने के शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के सुझाव को बुधवार को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका नहीं निभा सकती क्योंकि ऐसा करने के ‘‘गंभीर परिणाम'' होंगे। ठाकरे खेमा ने मंगलवार को जोर दिया था कि अदालत अयोग्यता की कार्यवाही का फैसला करे क्योंकि ‘‘संविधान की लोकतांत्रिक भावना को बनाए रखने'' का यही एकमात्र तरीका है।

शीर्ष अदालत ने बुधवार को कहा, ‘‘सही या गलत, यह वह प्रणाली है जिसे अपनाया गया। क्या कोई अदालत इस प्रणाली को भंग करने की कोशिश कर सकती है? क्या अदालत को उस क्षेत्र में प्रवेश करना चाहिए? यह एक ऐसा क्षेत्र है जो हमें चिंतित कर रहा है।'' जून 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने उद्धव ठाकरे नीत गुट की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि यह विधानसभा अध्यक्ष को ही तय करना है कि शिंदे खेमे की बगावत से अयोग्यता कानून के प्रावधान लागू होते हैं या नहीं।

पीठ ने कहा, ‘‘आप कह रहे हैं कि जो कुछ भी करना है वह पार्टी के इशारे पर किया जाता है। आपकी दलील है कि उन्होंने (महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खेमे) ने पार्टी के हित के विपरीत काम किया।'' पीठ ने कहा, ‘‘उन्होंने अपना व्हिप और पार्टी का नेता नियुक्त किया तथा उनके व्यवहार और आचरण से अयोग्यता का मामला बना, लेकिन यह सब हमें ऐसे क्षेत्र में ले जाता है कि यह सदन के अध्यक्ष को तय करना है कि कोई अयोग्यता का मामला है या नहीं। यह वह क्षेत्र है जिसका हम उल्लंघन नहीं कर सकते हैं।'' पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी थे।

पीठ ने कहा कि वह सिब्बल की दलीलों को समझती है कि संसदीय लोकतंत्र में, राजनीतिक दल सर्वोच्च है। ठाकरे गुट ने पीठ को बताया कि राज्यपाल सक्रिय रूप से एक भूमिका निभा रहे हैं जो राज्यों की शासन व्यवस्था में व्यवधान डाल रहा है। ठाकरे गुट ने महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा 30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाने की आलोचना की। सिब्बल ने पीठ को बताया कि कोश्यारी ने शिंदे से यह पूछे बिना ही शपथ दिला दी कि वह और उनका समर्थन करने वाले अन्य विधायक किस पार्टी के हैं।

सिब्बल ने कहा, ‘‘राज्यपाल को एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में यह पूछे बिना शपथ नहीं दिलानी चाहिए थी कि वह और उनका समर्थन करने वाले अन्य विधायक किस पार्टी के हैं। एकनाथ शिंदे किस हैसियत से राज्यपाल के पास गए थे? राज्यपाल जानते थे कि उनके खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही लंबित थी लेकिन उन्होंने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई।''

सिब्बल ने 2016 के नबाम रेबिया मामले का भी जिक्र किया जहां अदालत ने अरुणाचल प्रदेश सरकार को बहाल करके यथास्थिति का आदेश दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘यह अरुणाचल प्रदेश में भी हुआ है। पद के लिए कोई अनादर नहीं है, लेकिन दुर्भाग्य से, हमने देखा है कि राज्यपाल सक्रिय रूप से एक भूमिका निभा रहे हैं जो राज्यों की शासन व्यवस्था में व्यवधान डाल रहा है।''

शिवसेना में बगावत के बाद महाराष्ट्र में एक राजनीतिक संकट शुरू हो गया था और 29 जून, 2022 को शीर्ष अदालत ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण करने के लिए 31 महीने पुरानी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। शक्ति परीक्षण से पहले ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने 23 अगस्त, 2022 को कानून के कई सवाल तैयार किए और शिवसेना के दो गुटों द्वारा दायर याचिकाओं को पांच-न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज दिया था। याचिकाओं में दलबदल, विलय और अयोग्यता से जुड़े कई संवैधानिक प्रश्न उठाए गए थे।


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Content Writer

Yaspal

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