पाकिस्तान के करीबी तुर्की ने भारत के एहसान के बदले पीठ में घोंपा छुरा

punjabkesari.in Friday, May 09, 2025 - 08:48 PM (IST)

नेशनल डेस्क: फरवरी 2023 में तुर्की में आए जबरदस्त भूचाल के दौरान मानवीय आधार पर सहायता भेजने वाला सबसे पहला देश भारत था। इस भूचाल में 55000 लोगों की मौत हुई थी।  भारत ने तुर्की पर आई इस प्राकृतिक आपदा के दौरान " आपरेशन दोस्त " चलाया था और पाँच सी -17 विमानों के माध्यम से 250 से अधिक कर्मी, विशेष उपकरण और 135 टन से अधिक राहत सामग्री भेजी थी। इसके अलावा भारत ने एन डी आर एफ की तीन टीमों के साथ साथ प्रशिक्षित कर्मी, डॉग स्क्वाड, विशेष उपकरण, वाहन और अन्य आवश्यक आपूर्ति भी की थी। भारतीय सेना ने इस दौरान  30-बेड वाला फील्ड अस्पताल स्थापित करने के लिए 99 विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मियों की टीम भेजी ।

इसमें आवश्यक दवाइयाँ, अत्याधुनिक उपकरण, वाहन और एंबुलेंस शामिल रही। लेकिन तुर्की ने अब इसका बदला पाकिस्तान को ड्रोन भेज कर चुकाया है।  यह ड्रोन 7 और 8 मई को भारत के खिलाफ किए गए हमलों में इस्तेमाल किए गए।  रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी ,विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि पाक्सितान ने भारत पर 300 से लेकर 400 की संख्या में ड्रोन हमले किए और ड्रोनों के मलबे से पता चला है कि यह ड्रोन तुर्की में बने हैं।

तुर्की की कंपनी एसिसगार्ड के बने ड्रोन का हुआ इस्तेमाल

बताया जा रहा है कि यह ड्रोन तुर्की की कंपनी एसिसगार्ड द्वारा बनाए गए हैं और इन्हे 2020 में तुर्की की सेना में शामिल किया गया था , तुर्की के अलावा यह ड्रोन यूक्रेन भी इस्तेमाल कर रहा है और इसके अलावा नाइजीरिया और कई अफ्रीकी देश भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। यह ड्रोन पोर्टेबल है और आसानी से फोल्ड हो जाता है। इसे मेनुअल और आटोमेटिक दोनों तरीकों से संचालित किया जा सकता है। इस ड्रोन में आधुनिक नेविगेशन और जी पी एस सिस्टम लगा हुआ है और इसके कैमरे लगातार लाइव वीडियो फुटेज मुहैया ट्रांसफर करते हैं ।

पाकिस्तान  द्वारा इनका इस्तेमाल करने के मकसद वीडियो फुटेज के जरिए भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों की स्टीक जानकारी हासिल करना भी था।  इसमें एंटी-जैमिंग के लिए सी आर पी ए विकल्प के साथ एनालॉग/डिजिटल संचार विकल्प मौजूद हैं। सुरक्षा के लिहाज से, इसमें लिंक हानि या बैटरी स्तर कम होने पर घर वापसी की कार्यक्षमता और बहु-स्तरीय अग्नि सुरक्षा प्रोटोकॉल शामिल हैं।

खतरनाक और घातक सोनगर ड्रोन क्यों चिंता का विषय

हथियारों से लैस हो सकता है ड्रोन
इस में 200 राउंड तक की क्षमता वाली 5.56×45mm नाटो  मशीन गन शामिल है, जो सिंगल और 15-राउंड बर्स्ट मोड में फायरिंग कर सकती है। इसके अतिरिक्त, इसे दो 40 मिमी ग्रेनेड लांचर या एक वैकल्पिक ड्रम ग्रेनेड लांचर प्रणाली से लैस किया जा सकता है, जो 6 ग्रेनेड ले जा सकती है। इसकी मदद से यह इंसानों, गाड़ियों और हल्के सुरक्षा वाले ठिकानों पर आसानी से हमला कर सकता है।

25 से 30 मिनट तक  भर सकता है उड़ान
इस ड्रोन का मैक्सिमम टेकऑफ वेट 45 किलो है। ये बिना हथियार के 25 से 30 मिनट तक उड़ान भर सकता है। इसकी ऑपरेशनल रेंज 3 से 5 किलोमीटर तक है। ये समंदर के लेवल से 2,800 मीटर और जमीन से 400 मीटर तक ऊपर उड़ सकता है।

रीयल-टाइम इंटेलिजेंस में मददगार
इस ड्रोन में लगे कैमरा के जरिए लाइव वीडियो फुटेज और तस्वीरों को लाइव ट्रांसफर किया जा सकता है  जिससे  निगरानी,लक्ष्य को पहचानना और ऑपरेशन के बाद एनालिसिस करना आसान हो जाता है। इसमें दिन और रात दोनों के लिए कैमरे लगे होते हैं, जो हर मौसम में काम करते हैं।

आटोमेटिक संचालन की सुविधा
यह पूरी तरह से आटोमेटिक मोड़ में भी काम करता है और खुद ही रुट प्लानिंग भी करता है , बैटरी कम होने या सिग्नल कटने पर इसमें अपने आप वापिस लौटने की सुविधा है। इस से आपरेटर के लिए इसे ऑपरेट करना आसान हो जाता है।


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News Editor

Parveen Kumar

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