मरकर भी लौट सकेंगे लोग? इतने करोड़ का आएगा खर्चा, 650 से ज्यादा लोग कर चुके रजिस्ट्रेशन
punjabkesari.in Monday, Aug 04, 2025 - 01:09 PM (IST)

नेशनल डेस्क: विज्ञान और तकनीक की रफ्तार अब इंसानी जीवन की सीमाओं को भी चुनौती दे रही है। जर्मनी की राजधानी बर्लिन में एक स्टार्टअप ऐसा विकल्प दे रहा है, जो अब तक सिर्फ साइंस फिक्शन फिल्मों में देखने को मिलता था। इस कंपनी का दावा है कि आप अपनी मृत्यु के बाद भी ‘भविष्य’ में जीवित हो सकते हैं—बशर्ते आप अपने शरीर को आज ही फ्रीज करवा दें।
मौत के बाद ‘रिवाइवल’ की उम्मीद: फुल बॉडी क्रायोप्रिजर्वेशन
‘Tomorrow Bio’ नाम की यह स्टार्टअप कंपनी फुल बॉडी क्रायोप्रिजर्वेशन की सेवा देती है, जिसमें इंसान के पूरे शरीर को बेहद कम तापमान पर संरक्षित किया जाता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति के कानूनी रूप से मृत घोषित होने के कुछ ही मिनट बाद शुरू की जाती है, ताकि शरीर की कोशिकाएं और अंग सड़न और क्षति से बचाए जा सकें। इसके लिए कंपनी की ओर से 24x7 एक इमरजेंसी मेडिकल टीम तैयार रहती है, जो किसी भी समय डेड बॉडी को रिसीव कर क्रायो स्टोरेज की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
लागत और सुविधा: करोड़ों में है भविष्य को पकड़ने का सपना
इस सेवा के लिए इच्छुक लोगों को लगभग $200,000 (करीब ₹1.74 करोड़ रुपये) खर्च करने होते हैं। अब तक करीब 650 से ज्यादा लोग इस सेवा के लिए पंजीकरण कर चुके हैं। कंपनी ने अब तक तीन से चार इंसानों और पांच पालतू कुत्तों का क्रायोप्रिजर्वेशन किया है।
क्या कहता है विज्ञान?
हालांकि विचार क्रांतिकारी लगता है, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय इसे लेकर काफी संदेह में है।
किंग्स कॉलेज लंदन के न्यूरोसाइंटिस्ट प्रोफेसर क्लाइव कोएन के अनुसार, "वर्तमान में ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो यह साबित करे कि इंसानों जैसे जटिल जीवों को इस तकनीक से भविष्य में जीवित किया जा सकता है। यह कल्पना के अधिक करीब है।"
वहीं कंपनी के को-फाउंडर और कैंसर रिसर्चर रह चुके एमिल केंडजिओरा का कहना है कि यह शरीर को जमाने का नहीं, बल्कि उसे क्रायोप्रिजर्व करने का विज्ञान है। उन्होंने चेताया कि गलत प्रक्रिया से शरीर में बर्फ के क्रिस्टल बनने लगते हैं, जो ऊतकों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
क्रायोप्रिजर्वेशन क्या है और कैसे काम करता है?
परिभाषा: यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जीवित कोशिकाएं, ऊतक या पूरा शरीर बहुत कम तापमान पर संरक्षित किया जाता है, जिससे उनकी जैविक गतिविधियाँ रुक जाती हैं और वे वर्षों तक सुरक्षित रह सकते हैं।
कैसे किया जाता है:
आमतौर पर इन नमूनों को लिक्विड नाइट्रोजन में रखा जाता है, जिसका तापमान -196°C होता है। इससे कोशिकाएं एक तरह से 'स्लीप मोड' में चली जाती हैं।
क्या भविष्य में संभव है पुनर्जीवन?
वर्तमान में इस सवाल का उत्तर "नहीं" है। कोई भी व्यक्ति जिसे क्रायोप्रिजर्व किया गया हो, उसे अब तक सफलतापूर्वक दोबारा जीवन में नहीं लाया गया है। हालांकि वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दशकों में तकनीकी प्रगति के साथ ऐसा संभव हो सकता है।