हजारों ने अपना लहू देकर भारतीय सेना से जोड़ा ‘खून का रिश्ता'

punjabkesari.in Monday, Aug 12, 2019 - 11:09 AM (IST)

नेशनल डेस्क: रक्तदान को महादान का दर्जा दिया गया है और यदि आपका खून देश की हिफाजत करने वाले जवानों के काम आए तो निश्चय ही इससे भारत माता के इन सच्चे सपूतों के साथ आपका खून का रिश्ता जुड़ जाता है। देश का एक गैर सरकारी संगठन 2016 के उरी हमले के बाद से समय समय पर सेना के लिए रक्तदान शिविरों का आयोजन कर रहा है और इस हवन में अब तक करीब 5000 लोग अपने रक्त की आहूति दे चुके हैं। 

 

गैर सरकारी संगठन आई एम स्टिल ह्यूमन ने हाल ही में दिल्ली में भारतीय सेना के साथ सातवें शौर्य रक्तदान शिविर का आयोजन किया। संगठन के संस्थापक विवेक मेहरा ने बताया कि इस शिविर के दौरान विभिन्न ब्लड ग्रुप का 300 यूनिट खून जमा किया गया है, जिसे सेना के ब्लड बैंक एएफटीसी भेजा गया, ताकि जरूरत पड़ने पर सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह मात्र रक्तदान शिविर न होकर युवकों को सेना में शामिल करने के लिए प्रेरित करने का एक प्रयास भी है।

 

दिल्ली में आयोजित शिविर में लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह :सेवानिवृत्त: ने रक्तदान के जज्बे को सलाम करते हुए कहा कि सीमा पर तैनात सैनिक को कभी अपने प्राणों का भय नहीं होता क्योंकि वह इस जुनून के साथ आगे बढ़ता है कि उसपर अपने देश और समाज की रक्षा का दायित्व है और पूरा देश उसके साथ है। उन्होंने कहा कि अपने शरीर का खून देकर हमारे राष्ट्रभक्त नागरिकों ने सीमा पर कठिन परिस्थितियों में तैनात सैनिकों के लिए अपने हिस्से का दायित्व निभाया है। 

 

सशस्त्र सेनाओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बाइक रैली का आयोजन किया गया, जिसमें तकरीबन 500 प्रोफेशनल बाइक राइडर्स ने हिस्सा लिया, जिनमें 70 से अधिक महिला बाइकर्स थीं। समारोह में बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक और उनके परिवार के लोगों के साथ ही शहीद स्क्वाड्रन लीडर समीर अबरोल के पिता संजीव अबरोल भी इस मौके पर मौजूद थे। सेना में अपने अदम्य साहस के लिए परम विशिष्ट सेवा चक्र से नवाजे गए 21 सैनिकों की याद में कैंपस ग्राउंड में 21 पेड़ भी लगाए गए ताकि देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों की याद देशवासियों के जहन में सदा जिंदा रहे। उम्मीद है कि नीम और पीपल के यह पेड़ हर गुजरते साल के साथ बढ़ते रहेंगे और इनकी हर शाख आने वाली पीढ़ियों को भारतीय सेना के शौर्य और साहस की कहानी सुनाएगी। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

vasudha

Recommended News

Related News