रेल हादसे पर राजनीति करने वाले उपलब्धियां भूले
punjabkesari.in Thursday, Jun 08, 2023 - 04:05 PM (IST)

ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसा पूरे देश के लिए असहनीय घटना है। हादसे में जिन परिवारों ने अपनों को खोया है उनसे हर देशवासी की संवेदना है। लेकिन कई राजनीतिक दल इस हादसे पर भी राजनीति करने से चूक नहीं रहे। घटना के तुरंत बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटनास्थल पर पहुंच कर जैसे स्थिति को काबू किया यह बात भी विपक्ष को नहीं भूलनी चाहिए। हादसे में जख्मी हुए लोगों को राहत देने और अन्य कामों में तेजी आने से कई लोगों की जान बच पाई ऐसा विपक्षी नेता क्यों नहीं समझते।
इस हृदयवेद घटना पर राजनीति करने वाले पिछले 9 वर्षों में रेलवे में आए क्रांतिकारी बदलाव को क्यों भूल गए? यहां हम इस बात पर चर्चा करेंगे। बैंक ऑफ अमरीका सिक्योरिटीज इंडिया की एक रिपोर्ट में रेलवे लाइन के निर्माण और विस्तार के बारे में जो आंकड़े दिए गए हैं, वो विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ते भारत के उज्ज्वल भविष्य और मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1950 से 2015 के बीच यानी 65 साल में जितना रेलवे लाइन का निर्माण हुआ, उससे ज्यादा 2025 में खत्म होने जा रहे दशक के दौरान बनकर तैयार हो जाएंगे।
रिपोर्ट में कहा गया कि 1950 तक देश में सिर्फ 10,000 किलोमीटर की रेलवे लाइन बिछी थी, जो 2015 में 63,000 कि.मी. तक पहुंच गई और 2025 तक इसके 1.2 लाख कि.मी. तक पहुंच जाने का अनुमान है। सेमी हाई स्पीड ट्रेन ‘वंदे भारत एक्सप्रैस’ को मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है। ज्ञात रहे कि दुनिया के केवल 8 देशों के पास ‘वंदे भारत’ जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ट्रेन को बनाने की क्षमता है। 160-180 कि.मी. प्रति घंटा की स्पीड से दौडऩे वाली ऐसी ट्रेन के बारे में कभी सोचा भी नहीं गया था।
पहले नॉर्थ-ईस्ट तक सरकारी योजनाएं सबसे अंत में मिलती थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काल में इस सोच में बड़ा बदलाव आया है। नॉर्थ-ईस्ट को भी देश के साथ ही ‘वंदे भारत’ की सुविधा मिली है। रेलवे अगले साल के मध्य तक देश के 200 शहरों को कवर करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। 2014 से पहले, कुल 21,000 किलोमीटर रेलवे लाइनों का विद्युतीकरण किया गया था, जबकि पिछले 9 वर्षों में यह संख्या 37,000 किलोमीटर तक पहुंच गई है। आज करीब 800 करोड़ लोग सालाना ट्रेन से यात्रा करते हैं, 250 करोड़ लोग सड़क से यात्रा करते हैं और 30 करोड़ लोग हवाई यात्रा करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 वर्षों में जिस तरह से रेलवे के हर क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव किए गए। अब पहाड़ों पर भी ट्रेन चलाने का भारत सरकार सोच रही है। जम्मू कश्मीर से लेकर हिमाचल, उत्तराखंड से लेकर पूरे नॉर्थ ईस्ट में हजारों किलोमीटर की संख्या में काम हो रहा है। नॉर्थईस्ट में पिछले 6 वर्षों में 1600 किलोमीटर के नए ट्रैक बने हैं। रेलवे ने 1 साल में 81 किलोमीटर की टनल बनाई। साथ ही वंदे भारत के बाद अब 2 नई ट्रेनों का डिजाइन चल रहा है जो अत्याधुनिक संसाधनों से लैस होगी। भारतीय रेलवे ‘वंदे मैट्रो’ और ‘वंदे स्लीपर’ पर काम कर रहा है। देश भर के स्टेशनों को बेहतर प्रतीक्षालयों, बेहतर स्वच्छता सुविधाओं और एस्केलेटर और लिफ्ट जैसी सुविधाओं का आधुनिकीकरण किया गया।
डिजिटल सिस्टम से अब फिजिकल टिकट काऊंटरों पर निर्भरता कम हो गई है। रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई सेवाओं ने उन्हें डिजिटल हब में बदल दिया है।2004-05 से लेकर 2013-14 तक यू.पी.ए. सरकार थी, जिसने सुरक्षा कार्यों और आधारभूत संरचना में 70,274 करोड़ खर्च किए। नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2014-15 से 2023-24 तक के वित्तीय वर्ष तक 1 लाख 78 हजार 12 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। लोकतंत्र में विरोध करना उचित है लेकिन दुखद घटना पर राजनीति देश और समाज हित में नहीं है।
(लेखक हरदीप सिंह गिल, पूर्व मान्यता प्राप्त पत्रकार अमृतसर)