''80 साल की उम्र...50 साल का राजनीतिक करियर'', अध्यक्ष बनने के बाद खरगे के सामने ये बड़ी चुनौतियां
punjabkesari.in Wednesday, Oct 19, 2022 - 05:03 PM (IST)

नेशनल डेस्कः कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सोमवार को हुए चुनावों के नतीजे बुधवार को घोषित कर दिए गए। मल्लिकार्जुन खरगे ने बड़े अंतर से शशि थरूर हो पटखनी देकर चुनाव जीता है। 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई अध्यक्ष बना है। खरगे को 7897 वोट मिले, जबकि थरूर को 1072 वोट मिले और 416 वोट खारिज हुए। 80 वर्षीय खरगे का राजनीति में करीब 50 साल का अनुभव है। वह कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। खरगे के अध्यक्ष चुने जाने पर सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी ने आवास पर जाकर बधाई दी। राहुल गांधी ने ट्विटर के जरिए उनको बधाई दी।
खरगे के सामने ये चुनौती
कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ ही खरगे के सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं। हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव उनके सामने हैं तो दूसरी ओर राजस्थान सबसे बड़ी चुनौती है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में खरगे के पास खुद को साबित करने का यह पहला अवसर होगा। हिमाचल में भाजपा सरकार में है। यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही माना जा रहा है। लेकिन आम आदमी पार्टी कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकती है। उधर, गुजरात में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस पिछले 27 सालों से सत्ता से बाहर है। एक तरफ भाजपा और AAP गुजरात में धुआंधार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। कांग्रेस अभी गुजरात में कहीं नजर नहीं आ रही है।
राजस्थान संकट
कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अगली चुनौती राजस्थान में जारी खींचतान को सुलझाना और मुख्यमंत्री के मुद्दे को सुलझाना होगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट दोनों ही जोर दे रहे हैं। पायलट चुप हैं और गहलोत कांग्रेस संस्कृति के विपरीत अधिक मुखर हैं।
गांधी परिवार विद्रोह जैसी स्थिति से परेशान थी, लेकिन गहलोत ने आकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगी और यह तय किया गया कि नए अध्यक्ष के चुने जाने तक नेतृत्व के मुद्दे को ठंडे बस्ते में रखा जाएगा। गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में मतदान के बाद जयपुर में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि अनुभव सबसे ज्यादा मायने रखता है और युवा नेताओं को अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए।
पायलट पर अप्रत्यक्ष हमले में गहलोत ने कहा था कि युवा कड़ी मेहनत कर सकता है, लेकिन अनुभव का कोई विकल्प नहीं हो सकता है। गांव, शहर या पार्टी हो, सब कुछ अनुभव पर आधारित है। हालांकि, उनके विचारों का पायलट खेमे के नेता राजेंद्र गुढ़ा ने ²ढ़ता से विरोध किया, उन्होंने कहा कि जैसे कोई अनुभव को दरकिनार नहीं कर सकता, वैसे ही युवाओं को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है।