जातिगत जनगणना पर कांग्रेस की तीन मांगें, खरगे ने PM मोदी को फिर लिखा पत्र
punjabkesari.in Tuesday, May 06, 2025 - 12:45 PM (IST)

नेशलन डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर जातिगत जनगणना को लेकर पत्र लिखा है। 6 मई 2025 को लिखे इस पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री से तीन ठोस सुझाव भी साझा किए हैं। साथ ही यह भी कहा कि उन्होंने पहले भी 16 अप्रैल 2023 को इस मुद्दे पर पत्र भेजा था, लेकिन आज तक उसका कोई उत्तर नहीं मिला। इस नई चिट्ठी में उन्होंने सरकार द्वारा घोषित जातिगत जनगणना को लेकर अपनी चिंताएं और अपेक्षाएं साफ शब्दों में रखी हैं।
पुराने पत्र का जवाब अब तक नहीं मिला: खरगे
खरगे ने पत्र की शुरुआत इसी मुद्दे से की कि उन्होंने 16 अप्रैल 2023 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जाति जनगणना की मांग को औपचारिक रूप से रखा था, लेकिन उन्हें आज तक उसका कोई उत्तर नहीं दिया गया। उन्होंने अफसोस जताते हुए लिखा कि न केवल उनके पत्र का जवाब नहीं आया बल्कि बीजेपी नेताओं ने इस मुद्दे को उठाने पर कांग्रेस को निशाना भी बनाया। लेकिन अब जब खुद प्रधानमंत्री ने अगली जनगणना में जाति को शामिल करने की बात कही है, तो उन्हें यह मुद्दा फिर से उठाना ज़रूरी लगा।
तीन सुझाव जो देश के लिए अहम बताए गए
मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पत्र में प्रधानमंत्री को तीन ठोस सुझाव भी दिए हैं:
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जनगणना प्रश्नावली का उचित डिज़ाइन जरूरी है –
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय को तेलंगाना मॉडल से सीख लेनी चाहिए। प्रश्नावली को तैयार करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और उद्देश्य होना चाहिए ताकि सभी जातियों की सटीक जानकारी सामने आ सके। -
50% आरक्षण सीमा खत्म होनी चाहिए –
खरगे ने कहा कि जाति जनगणना से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को 50% की सीमा से ऊपर ले जाने के लिए संविधान संशोधन जरूरी है। उन्होंने अनुच्छेद 15(5) का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह खंड पहले ही टिक चुका है और इसे निजी शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया जाना चाहिए। -
सभी राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श हो –
उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वे जातिगत जनगणना पर सभी दलों के साथ चर्चा करें ताकि यह प्रक्रिया निष्पक्ष और सर्वमान्य हो।
जातिगत जनगणना को विभाजनकारी नहीं माना जा सकता
खरगे ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि जातिगत जनगणना का मकसद समाज को तोड़ना नहीं बल्कि पीछड़े, शोषित और हाशिए पर खड़े वर्गों को अधिकार दिलाना है। उन्होंने लिखा कि ऐसी कोई भी प्रक्रिया जो सामाजिक न्याय की दिशा में काम करे, उसे कभी भी विभाजनकारी नहीं कहा जाना चाहिए।
पहलगाम हमले का हवाला देकर एकता की मिसाल दी
पत्र में उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत के लोग जब भी ज़रूरत पड़ी, एकजुट होकर खड़े हुए हैं। जातिगत जनगणना को लेकर भी ऐसी ही एकता और समझ की ज़रूरत है, ताकि सभी वर्गों को बराबरी का हक़ मिल सके।
मल्लिकार्जुन खरगे ने यह भी कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का यह मानना है कि जाति जनगणना कराना संविधान में निहित सामाजिक और आर्थिक न्याय के उद्देश्यों की पूर्ति करता है। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में समान अवसर और समान स्थिति की बात की गई है, जिसे बिना ठोस आंकड़ों के हासिल करना असंभव है।
आखिर में प्रधानमंत्री से उम्मीद
पत्र के अंत में खरगे ने लिखा, "मुझे विश्वास है कि मेरे सुझावों पर आप गंभीरता से विचार करेंगे। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इस विषय पर जल्द ही सभी राजनीतिक दलों के साथ चर्चा की जाए, ताकि एक लोकतांत्रिक और न्यायसंगत रास्ता निकले।"