देश में बढ़ रहा है डमी स्कूलों का प्रचलन, सी.बी.एस.ई. को रिपोर्ट देने के बावजूद नहीं हो रही है कार्रवाई

punjabkesari.in Sunday, Mar 03, 2024 - 09:02 AM (IST)

नेशनल डेस्क: देश में बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स स्कूली पढ़ाई के साथ ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर देते हैं। 12वीं की बोर्ड परीक्षा के साथ ही वह जेईई-नीट परीक्षाओं की तैयारी भी करते रहते हैं। कई स्टूडेंट्स को तो 8वीं-9वीं कक्षा से ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग में एडमिशन दिला दिया जाता है। जिसके चलते देश में डमी स्कूलों में एडमिशन का प्रचलन बढ़ रहा है। दिल्ली में बीते साल प्रिंसिपलों के एक पैनल ने डमी स्कूलों को लेकर दिल्ली में निरीक्षण किया था, लेकिन उनके द्वारा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.ई.) को भेजी रिपोर्ट  के बाद उन स्कूलों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है, जो 11वीं और 12वीं के छात्रों को मोटी फीस के एवज में एडमिशन दे रहे हैं।

कैसे चलाए जाते हैं डमी स्कूल
डमी स्कूल आम स्कूलों की तरह होते हैं। बस यहां नियमित क्लासेस नहीं चलती हैं। इन्हें नॉन-अटेंडिंग स्कूल भी कहा जाता है।  इन स्कूलों में एडमिशन तो नियमित स्कूलों की तरह दिया जाता है, लेकिन स्टूडेंट्स को रेगुलर क्लास अटेंड नहीं करनी होती हैं। इससे वे जेईई मेन, जेईई एडवांस, नीट परीक्षा आदि की तैयारी पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं। बोर्ड परीक्षाओं में बैठने में सक्षम होने के लिए छात्रों को 75 फीसदी अनिवार्य उपस्थिति की आवश्यकता होती है।

दिन में होती हैं सिर्फ 2 क्लासेस
 इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए माता-पिता अपने बच्चों को डमी स्कूलों में डालने का विकल्प चुनते हैं। डमी स्कूलों में आमतौर पर एक दिन में 2 क्लासेस होती हैं। बोर्ड परीक्षा और स्कूल सिलेबस पर ध्यान केंद्रित करते हुए हर दिन एक या दो घंटे तक क्लासेस चलती हैं। स्टूडेंट्स बाकी समय का उपयोग अपने कोचिंग सेंटर में पढ़ने के लिए करते हैं। अधिकतर स्टूडेंट्स कोचिंग सेंटर में रोजाना 8-9 घंटे बिताते हैं।

34 स्कूलों का किया गया था निरीक्षण
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दिसंबर में सी.बी.एस.ई. द्वारा दिल्ली में डमी स्कूलों का निरीक्षण करने के लिए  प्रिंसिपलों एक पैनल तैयार किया था।पैनल ने राज्य के आसपास 34 स्कूलों का निरीक्षण किया और 23 को डमी संस्थान के अनुरूप माना था। पैनल के सदस्यों का कहना था कि निरीक्षण के वक्त एक स्कूल में पाया गया कि वहां 9 वीं और 10 वीं कक्षा में 60 छात्र थे, लेकिन 11वीं और 12वीं में यह संख्या बढ़कर 500 हो गई। एन.के. बागडोरिया स्कूल के निदेशक और सीबीएसई की निरीक्षण पैनल के सदस्य राजी एन. कुमार के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें ग्यारहवीं कक्षा में कोई छात्र उपस्थित नहीं मिला और बारहवीं कक्षा में लगभग 50 छात्र उपस्थित थे।

कई मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सी.बी.एस.ई. व अन्य बोर्ड डमी स्कूलों के खिलाफ हैं। इनसे स्टूडेंट्स प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी तो कर लेते हैं, लेकिन अन्य गतिविधियों में पीछे रह जाते हैं। ज्यादातर डमी स्कूल भारत के उन्हीं शहरों में हैं, जहां कोचिंग सेंटर प्रमुखता से हैं।

 


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Content Editor

Mahima

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