विदेश मंत्रालय का अमेरिका को दो टूक जवाब, एंटनी ब्लिंकन के बयान को बताया पक्षपातपूर्ण और वोट बैंक की सोच से प्रेरित

punjabkesari.in Friday, Jun 28, 2024 - 09:55 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भारत ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट में अपनी आलोचना पर शुक्रवार को असधारण तरीके से कड़ी प्रतिक्रिया दी। भारत ने रिपोर्ट के तथ्यों को ‘पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण', ‘वोट बैंक' की सोच से प्रेरित और आरोप एवं चुनिंदा तथ्यों के चुनाव का मिश्रण करार दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने रिपोर्ट खारिज करते हुए कहा कि इसमें ‘‘पहले से ही तय विमर्श'' को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को चुना गया है और यहां तक ​​कि भारतीय अदालतों द्वारा सुनाए गए कुछ कानूनी निर्णयों की सत्यनिष्ठा को भी चुनौती दी गई है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की धार्मिक स्वतंत्रता-2023 की रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों की हत्याओं और हमलों सहित हिंसक हमलों का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसा का भी हवाला दिया गया है।

जायसवाल ने कहा, ‘‘अतीत की तरह, यह रिपोर्ट भी अत्यधिक पक्षपातपूर्ण है, इसमें भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव है तथा यह स्पष्ट रूप से वोट बैंक की सोच और निर्देशात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित है। इसलिए हम इसे खारिज करते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरा उपक्रम अपने आप में आरोप-प्रत्यारोप, गलतबयानी, तथ्यों के चयनात्मक उपयोग, पक्षपातपूर्ण स्रोतों पर निर्भरता और मुद्दों को एकतरफा तरीके से पेश करने का मिश्रण है।'' जायसवाल ने कहा, ‘‘यह हमारे संवैधानिक प्रावधानों और भारत के विधिवत अधिनियमित कानूनों के चित्रण तक गया है। इसमें पूर्व में तय विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को चुना गया है।''

प्रवक्ता ने तर्क दिया कि यह रिपोर्ट भारतीय न्यायालयों द्वारा दिए गए कुछ कानूनी निर्णयों की ईमानदारी को ‘चुनौती' देती प्रतीत होती है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ मामलों में, रिपोर्ट में कानूनों और विनियमों की वैधता पर भी सवाल उठाया गया है। साथ ही उन्हें लागू करने के विधायिकाओं के अधिकार पर भी सवाल उठाया गया है।''

जायसवाल ने कहा, ‘‘रिपोर्ट में उन विनियमों को भी लक्षित किया गया है जो भारत में वित्तीय प्रवाह के दुरुपयोग की निगरानी करते हैं। यह सुझाव देते हुए कि अनुपालन का तरीका अतार्किक है, यह ऐसे उपायों की आवश्यकता पर सवाल उठाने का प्रयास करता है।'' उन्होंने कहा कि अमेरिका में तो और भी अधिक कठोर कानून और नियम हैं तथा वह निश्चित रूप से अपने लिए ऐसे समाधान नहीं सुझाएगा। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार और विविधता के प्रति सम्मान भारत और अमेरिका के बीच चर्चा का वैध विषय रहा है और रहेगा।

जायसवाल ने कहा, ‘‘भारत ने 2023 में आधिकारिक रूप से अमेरिका में घृणा अपराधों, भारतीय नागरिकों और अन्य अल्पसंख्यकों पर नस्लीय हमलों, पूजा स्थलों पर तोड़फोड़ और उन्हें निशाना बनाने, कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा हिंसा और दुर्व्यवहार के साथ-साथ विदेशों में चरमपंथ और आतंकवाद के समर्थकों को राजनीतिक शरण देने के कई मामलों को उठाया था।'' जायसवाल ने कहा, ‘‘हालांकि, इस तरह की बातचीत को अन्य राजनीतिक व्यवस्थाओं में विदेशी हस्तक्षेप का लाइसेंस नहीं बनना चाहिए।'' अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को रिपोर्ट जारी करने के अवसर पर कहा था कि भारत में धर्मांतरण विरोधी कानूनों, नफरती भाषण और अल्पसंख्यक समुदायों के घरों एवं पूजा स्थलों को ध्वस्त करने की घटनाओं में ‘‘चिंताजनक वृद्धि'' हुई है।


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Content Writer

Yaspal

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