BJP in Tamil Nadu: स्टालिन की सरकार खतरे में? सिर्फ 5% वोट शिफ्ट और पलट सकती है सरकार...
punjabkesari.in Saturday, Apr 12, 2025 - 09:21 AM (IST)

नेशनल डेस्क: तमिलनाडु की राजनीति में इस वक्त बड़ी हलचल मची हुई है। राज्य में चुनाव भले ही कुछ महीने दूर हों, लेकिन राजनीतिक मोर्चे अब से ही सजने लगे हैं। बीजेपी ने एआईएडीएमके के साथ हाथ मिलाकर एक बड़ा दांव खेला है, जिसने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की चिंता बढ़ा दी है। वजह साफ है—राज्य की राजनीति में वोटों का मामूली बदलाव भी सत्ता की तस्वीर बदल सकता है।
गृहमंत्री अमित शाह और पीएम मोदी दोनों ने तमिलनाडु में NDA सरकार की वापसी का दावा कर दिया है, लेकिन असली सवाल यह है—क्या ये गठबंधन वाकई डीएमके के मजबूत गढ़ को ढहा सकता है?
Stronger together, united towards Tamil Nadu’s progress!
— Narendra Modi (@narendramodi) April 11, 2025
Glad that AIADMK joins the NDA family. Together, with our other NDA partners, we will take Tamil Nadu to new heights of progress and serve the state diligently. We will ensure a government that fulfils the vision of the…
आंकड़ों की जुबानी: किसका वोट बैंक कितना मज़बूत?
2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में 11.24% वोट शेयर हासिल किया, जो 2019 के मुकाबले तीन गुना से भी अधिक है। वहीं, एआईएडीएमके को 20.46% वोट मिले। दोनों को जोड़ें तो कुल वोट शेयर 31.70% तक पहुंच जाता है। दूसरी ओर, डीएमके का वोट शेयर 2019 के 33.52% से घटकर 2024 में 26.93% रह गया-यानी 6.59% की गिरावट। अगर बीजेपी और एआईएडीएमके को पीएमके (7-8%) और कुछ छोटे दलों का साथ मिल जाए, तो ये गठबंधन 40% से ज्यादा वोट शेयर छू सकता है-जो डीएमके को कड़ी टक्कर देने के लिए पर्याप्त है।
5% वाला खेल: सत्ता की चाबी बन सकता है मामूली शिफ्ट
2021 के विधानसभा चुनाव में डीएमके को 45.38% और बीजेपी-एआईएडीएमके को मिलकर 40% से ज्यादा वोट मिले थे। यानी सिर्फ 5.38% का फासला तय करने की जरूरत थी।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2021 डीएमके के लिए "पीक मोमेंट" था। अब भ्रष्टाचार, बिजली दरों और अन्य लोकल मुद्दों को लेकर सरकार पर जनता की नाराजगी बढ़ रही है। ऐसे में यदि 2-5% वोट भी NDA की तरफ शिफ्ट होते हैं, तो सत्ता का पलड़ा बदल सकता है।
बीजेपी-AIADMKका संतुलन
बीजेपी ने कोयंबटूर, चेन्नई और तिरुनेलवेली जैसे शहरी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत की है, वहीं एआईएडीएमके का प्रभाव आज भी ग्रामीण तमिलनाडु में गहरा है। ये संतुलन एनडीए को पूरे राज्य में एक वाइड कवरेज देता है। बीजेपी की रणनीति अब 5% अतिरिक्त वोट जुटाने की है, जो पीएमके जैसे दलों के साथ achievable दिखता है। इससे एनडीए 40% से ऊपर वोट शेयर तक पहुंच सकता है-यानी जीत की रेखा के बेहद करीब।
स्टालिन की मुश्किलें: घटता समर्थन और बढ़ती नाराजगी
DMK के लिए सबसे बड़ी चुनौती उसका गिरता वोट शेयर है। 2019 में 33.52% से गिरकर 2024 में यह 26.93% हो गया है। यानी 6.59% का नुकसान। बिजली दरों में बढ़ोतरी, कथित घोटाले और शासन पर सवालों की वजह से सरकार के प्रति जनता का भरोसा डगमगाने लगा है। यही वजह है कि बीजेपी और एआईएडीएमके के गठबंधन ने स्टालिन सरकार की नींद उड़ा दी है।
क्या 2026 में बदलेगा तमिलनाडु का राजनीतिक नक्शा?
अब यह साफ है कि बीजेपी-AIADMK का गठबंधन केवल 'सांकेतिक' नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से बेहद मजबूत होता जा रहा है। आंकड़े कह रहे हैं कि अगर कुछ प्रतिशत वोट भी इस ओर झुके, तो डीएमके की सत्ता खतरे में पड़ सकती है। राज्य की राजनीति में आने वाले महीने बेहद निर्णायक होने वाले हैं। तमिलनाडु का 2026 विधानसभा चुनाव सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने वाली लड़ाई बनता जा रहा है।