बंगाल में 23 BLO की मौत का कारण क्या SIR है? सुप्रीम कोर्ट ने EC से मांगा जवाब

punjabkesari.in Wednesday, Nov 26, 2025 - 02:42 PM (IST)

नेशनल डेस्क : सुप्रीम कोर्ट में आज चुनाव आयोग (EC) और राज्य चुनाव आयोग (SEC) से संबंधित विभिन्न मामलों पर महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है। इससे पहले अन्य राज्यों से जुड़े मामलों पर भी सुनवाई हुई, जिसमें वोटर लिस्ट संशोधन (SIR), पश्चिम बंगाल में बीएलओ की मौतों और केरल व तमिलनाडु के मुद्दों पर राजनीतिक दलों और एडीआर ने गंभीर सवाल उठाए। इस दौरान कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण अपनी दलीलें पेश करने वाले हैं, जबकि चुनाव आयोग ने आरोपों को राजनीतिक बताते हुए खारिज किया है।

कोर्ट ने चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग दोनों को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। वहीं, पश्चिम बंगाल में बीएलओ की मौत के संबंध में भी राज्य चुनाव कार्यालय से 1 दिसंबर तक जवाब तलब किया गया है।

23 बीएलओ की मौत के बाद बढ़ी चिंता
वोटर लिस्ट संशोधन प्रक्रिया के दौरान अब तक कई राज्यों में बीएलओ की मौत के मामले सामने आए हैं। सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही 23 बीएलओ की मौत हो चुकी है। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि केरल राज्य चुनाव आयोग को भी जवाब दाखिल करने की अनुमति दी जाए। इस पर सीजेआई ने सहमति जताई। सीजेआई ने स्पष्ट किया कि केरल मामले में भी 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करना होगा। चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं और असल में कोई समस्या नहीं है।

कपिल सिब्बल की दलील
कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि बीएलओ को केवल 50 फॉर्म अपलोड करने की अनुमति है। इस पर चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि राजनीतिक दल बेवजह डर पैदा कर रहे हैं। सिब्बल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह चुनाव आयोग के ही निर्देश हैं और किसी राजनीतिक दल से इनका संबंध नहीं है।

तमिलनाडु मामले पर सोमवार को सुनवाई
सीजेआई ने बताया कि तमिलनाडु SIR मामले की सुनवाई सोमवार को होगी। वहीं, केरल SIR मामला स्थानीय निकाय चुनावों के कारण प्रक्रिया स्थगित करने से जुड़ा है। चुनाव आयोग ने कहा कि दोनों आयोग समन्वय में काम कर रहे हैं। बताया गया कि 99% मतदाताओं को फॉर्म मिल चुके हैं और 50% से अधिक प्रक्रिया डिजिटल हो चुकी है। इसके लिए अलग से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं।

SIR प्रक्रिया में जल्दबाजी
ADR की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बहुत जल्दबाजी में की जा रही है, जिसके चलते कई बीएलओ आत्महत्या तक कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि असम में गणना फॉर्म की आवश्यकता नहीं है, जबकि बाकी राज्यों में इसे अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि वे चुनाव आयोग के अपने मैनुअल को आधार बनाकर अपनी आपत्ति दर्ज कर रहे हैं।

कोर्ट ने आदेश में कहा कि चुनाव आयोग 1 दिसंबर तक जवाबी हलफनामा दाखिल करे। तमिलनाडु SIR मामले से जुड़े सभी वकीलों को इसकी सॉफ्ट कॉपी उपलब्ध कराई जाए। इसका जवाब 3 दिसंबर तक दाखिल किया जाए और मामला 4 दिसंबर को सूचीबद्ध किया जाएगा।


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Content Editor

Shubham Anand

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