Puri Rath Yatra Stampede: पुरी रथ यात्रा भगदड़ में 3 की मौत, 10 से ज़्यादा घायल; श्रीगुंडिचा मंदिर के पास हुआ हादसा
punjabkesari.in Sunday, Jun 29, 2025 - 08:57 AM (IST)
नेशनल डेस्क। ओडिशा के पुरी में चल रही वार्षिक भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान आज सुबह एक दुखद घटना सामने आई है। श्रीगुंडिचा मंदिर के रथ के सामने भगदड़ मचने से तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई है जबकि 10 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। घायलों को तुरंत पुरी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहाँ उनका इलाज जारी है।
रथ गंतव्य तक पहुंचे, अब मंदिर प्रवेश की तैयारी
भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ शनिवार को ही अपने गंतव्य गुंडिचा मंदिर पहुँच गए थे। गुंडिचा मंदिर को देवताओं की 'मौसी' का घर माना जाता है जहाँ वे हर साल जगन्नाथ मंदिर से निकलकर जाते हैं। यह मंदिर 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर से 2.6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। औपचारिक शोभायात्रा के बाद देवताओं को रविवार को मंदिर के अंदर ले जाया जाएगा। इस बीच भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है और हर कोई 'जय जगन्नाथ' और 'हरि बोल' के जयकारों के बीच आतुर दिख रहा है।

रथ यात्रा में पहले भी हुईं स्वास्थ्य संबंधी घटनाएं
इससे पहले शनिवार को रथ यात्रा के दौरान 600 से अधिक श्रद्धालु बीमार पड़े जिनका पुरी के विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया गया। इनमें से कई लोग धक्का-मुक्की के कारण घायल हुए जबकि 200 से अधिक लोग गर्मी और उमस भरे मौसम के कारण बेहोश हो गए।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम, AI कैमरों से रखी जा रही भीड़ पर नजर
वार्षिक रथ यात्रा ओडिशा पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के लगभग 10,000 जवानों की तैनाती के साथ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आयोजित की जा रही है। पुलिस ने रथ यात्रा के सुचारु संचालन के लिए सभी प्रबंध किए हैं। पुलिस महानिदेशक खुरानिया ने बताया कि भीड़ पर लगातार नज़र रखने के लिए 275 से अधिक AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से लैस सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

रथ यात्रा में आई थी बाधा
पुरी में 27 जून की रात रथ यात्रा को बीच में ही रोकना पड़ा था क्योंकि भगवान बलभद्र का तालध्वज रथ एक मोड़ पर फंस गया था। इसके कारण अन्य दो रथ, देवी सुभद्रा का 'दर्पदलन' और भगवान जगन्नाथ का 'नंदीघोष' भी आगे नहीं बढ़ पाए थे और श्रद्धालुओं को ग्रैंड रोड पर रुकना पड़ा था। परंपरा के अनुसार सबसे आगे 'तालध्वज' रहता है उसके बाद 'दर्पदलन' और फिर 'नंदीघोष'।
देवता नौ दिन बाद मुख्य मंदिर वापस चले जाएंगे। वापसी की रथ यात्रा को 'बहुदा यात्रा' कहा जाता है जो इस साल पांच जुलाई को होगी। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में मौसम और भीड़ प्रबंधन बेहतर होगा ताकि श्रद्धालु सुरक्षित रूप से दर्शन कर सकें।
