दुनियाभर में प्रीमेच्योर बच्चों की मौत को लेकर सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट, वायु प्रदूषण बना वजह

punjabkesari.in Sunday, May 21, 2023 - 03:57 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दुनियाभर में समय पूर्व जन्मे (born prematurely) जिन बच्चों की मौत का संबंध वायु प्रदूषण से है, उनमें से 91 प्रतिशत शिशुओं की मौत कम एवं मध्यम आय वाले देशों में होती है। संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसी की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन (Climate change) के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार अमीर देश हैं, लेकिन इसका खामियाजा इस संकट के लिए सबसे कम जिम्मेदार देशों को भुगतना पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (unicef) और मातृ नवजात एवं बाल स्वास्थ्य साझेदारी (Maternal Newborn and Child Health Partnership) ने हाल में ‘बॉर्न टू सून: डिकेड ऑफ एक्शन ऑन प्रीटर्म बर्थ' (Born Too Soon: Decade of Action on Preterm Birth) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें गर्भावस्था पर जलवायु परिवर्तन के कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों के कारण मृत शिशुओं के जन्म, समय पूर्व जन्म और गर्भावस्था के कम समय को रेखांकित किया गया है।

 

विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन गर्मी, तूफान, बाढ़, सूखे, जंगल में लगने वाली आग और वायु प्रदूषण के अलावा खाद्य असुरक्षा, दूषित पानी एवं भोजन से होने वाली बीमारियों, मच्छर जनित बीमारियों, पलायन और संघर्ष के जरिए गर्भावस्था को प्रभावित करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जोखिम को उल्लेखनीय रूप से कम करने के लिए और निवेश करने और जलवायु आपात संबंधी नीतियों एवं कार्यक्रमों में महिलाओं एवं बच्चों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसा अनुमान है कि वायु प्रदूषण के कारण हर साल 60 लाख शिशुओं का समय से पहले जन्म होता है। ‘लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन' में चिकित्सकीय अनुसंधान इकाई की डॉ. एना बोनेल ने कहा कि जो असमानता का सबसे अधिक शिकार हैं, उन्हें जलवायु परिवर्तन के कारण सबसे अधिक नुकसान होता है।

 

रिपोर्ट के अनुसार, प्रसव काल पर जलवायु परिवर्तन का हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इससे जीवाश्म ईंधन जलने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण जैसे प्रत्यक्ष तरीकों से अस्थमा पीड़ित माताओं में शिशुओं के समय पूर्व जन्म का खतरा 52 प्रतिशत बढ़ जाता है और अत्यधिक गर्मी के कारण यह खतरा 16 प्रतिशत बढ़ जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हालांकि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव दुनिया के सभी क्षेत्रों में महसूस किया जाता है, लेकिन इस संकट के लिए सबसे कम जिम्मेदार देशों को सर्वाधिक खामियाजा भुगतना पड़ता है। उदाहरण के लिए, समय पूर्व जन्मे जिन बच्चों की मौत का संबंध वायु प्रदूषण से है, उनमें से 91 प्रतिशत शिशुओं की मौत कम एवं मध्यम आय वाले देशों में हुई, जबकि जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार उच्च आय वाले देश हैं।''


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Content Writer

Seema Sharma

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