#ElectionDiary: शास्त्री जी का रेल मंत्री के पद से इस्तीफा और PM की कुर्सी
punjabkesari.in Monday, Mar 18, 2019 - 12:01 PM (IST)

जालंधर(नरेश कुमार): देश के तीसरे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का ‘जय जवान-जय किसान’ नारा तो शायद सबको याद होगा और कुछ को शायद देश के रेल मंत्री रहते उनके कार्यकाल में हुए रेल हादसे के बाद उनके इस्तीफे की घटना भी याद हो, लेकिन बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि उनका यही इस्तीफा उन्हें आगे चल कर प्रधान मंत्री बनवाने में सहायक बना था। लाल बहादुर शास्त्री जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में रेल मंत्री थे। नवम्बर 1956 में तमिलनाडु के अरियालुर में रेल हादसे में 142 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए शास्त्री ने इस्तीफा दे दिया था और उनकी छवि ऐसे नेता की बनी जो कुर्सी के लिए लालायित नहीं था।
शास्त्री जी के प्रधान मंत्री बनने के पीछे दूसरा सबसे बड़ा कारण उन्हें कांग्रेस के सिंडीकेट का समर्थन रहा। तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू का जब निधन हुआ था तो उस समय कांग्रेस पार्टी के भीतर एक सिंडीकेट काम करता था जिसमें उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष के कामराज के अलावा मुम्बई कांग्रेस के अध्यक्ष एस.के. पाटिल, मैसूर कांग्रेस के अध्यक्ष एस. निजलिंगप्पा, आंध्र प्रदेश के एन. संजीव रैड्डी और पश्चिम बंगाल के अतुल्य घोष शामिल थे।
शास्त्री जी को इस सिंडीकेट के अलावा कांग्रेस के अन्य नेताओं का समर्थन भी हासिल था, लिहाजा देश के उस नाजुक दौर में इस सिंडीकेट ने ही शास्त्री जी के नाम पर सहमति बनाई और उन्हें देश का प्रधान मंत्री बनाया गया। यह फैसला लेते समय शास्त्री जी की साधारण जीवन शैली काफी सहायक साबित हुई। प्रधान मंत्री बनने के बाद जब देश में अकाल की स्थिति आई तो उन्होंने देश को ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया और देशवासियों से हफ्ते में एक दिन का उपवास रखने की अपील की तो देशवासियों ने उनकी अपील का सम्मान किया।