राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास को सरयू तट पर दी गई जल समाधि, भारी संख्या में उमड़े लोग (VIDEO)
punjabkesari.in Thursday, Feb 13, 2025 - 06:03 PM (IST)
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नेशनल डेस्क: अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के दिवंगत मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास को बृहस्पतिवार की शाम जल समाधि दी गयी। आचार्य सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर को पालकी में रखकर उनके निवास स्थान से सरयू नदी के तट पर ले जाया गया, जहां तुलसीदास घाट पर उन्हें जल समाधि दी गयी। इससे पहले दोपहर बाद सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर को रथ पर रखकर नगर भ्रमण कराया गया। उनके उत्तराधिकारी प्रदीप दास ने सुबहबताया था कि रामानंदी संप्रदाय की परंपराओं के अनुसार दास को जल समाधि दी जाएगी। उन्होंने कहा था कि उनके पार्थिव शरीर को हनुमानगढ़ी और राम जन्मभूमि ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा था, ‘‘तैयारियां अंतिम चरण में हैं। आचार्य सत्येंद्र दास की अंतिम यात्रा जल्द शुरू होगी।''
पार्थिव शरीर को जुलूस के रूप में घुमाया गया
प्रदीप दास ने बताया था कि जल समाधि के तहत शव को नदी के बीच में प्रवाहित करने से पहले उसके साथ भारी पत्थर बांधे जाते हैं। रामानंदी संप्रदाय की परंपराओं के अनुसार, जल समाधि देने से पहले रामलला के मुख्य पुजारी के पार्थिव शरीर को जुलूस के रूप में घुमाया गया, ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें। अयोध्या नगरी का भ्रमण कराते हुए सत्येंद्र दास का पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान पर पहुंचा, फिर पालकी में रखकर नदी में ले जाया गया। जल समाधि से पहले उनके पार्थिव शरीर को हनुमानगढ़ी और राम जन्मभूमि के दर्शन के लिए ले जाया गया।
#WATCH | Acharya Satyendra Das, the chief priest of Ayodhya Ram temple, who passed away yesterday, given 'Jal Samadhi' in Saryu river in UP's Ayodhya pic.twitter.com/zrYkaLZUrT
— ANI (@ANI) February 13, 2025
लोगों ने पुष्प वर्षा कर दी श्रद्धांजलि
बैंड-बाजों के साथ सत्येंद्र दास की अंतिम यात्रा शुरू हुई। इस दौरान लोगों ने पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि दी। मुख्य पुजारी के अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोग सरयू तट पर खड़े थे। फैजाबाद/अयोध्या से समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने जल समाधि से पहले आचार्य सत्येंद्र दास को श्रद्धांजलि दी। सत्येंद्र दास (85) को इस महीने की शुरुआत में मस्तिष्काघात के बाद संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में भर्ती कराया गया था, जहां बुधवार को उनका निधन हो गया। अस्पताल के अनुसार, उन्हें तीन फरवरी को मस्तिष्काघात के बाद गंभीर हालत में ‘न्यूरोलॉजी वार्ड' के ‘एचडीयू (हाई डिपेंडेंसी यूनिट)' में भर्ती कराया गया था।
20 वर्ष की आयु में लिया था ‘संन्यास'
सत्येंद्र दास ने 20 वर्ष की आयु में ‘संन्यास' ले लिया था। उन्होंने छह दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दौरान भी पुजारी के रूप में सेवा की थी। बाद में जब सरकार ने परिसर को अपने नियंत्रण में ले लिया, तो उन्हें अस्थायी मंदिर का मुख्य पुजारी बना दिया गया। सत्येंद्र दास ने 2022 में एक बातचीत में कहा था कि वह 1992 में अस्थायी रामलला मंदिर के पुजारी के रूप में शामिल हुए थे। उसी वर्ष बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था। सत्येंद्र दास से जब पूछा गया था कि क्या मस्जिद गिराए जाने के समय वह मौजूद थे, तो उन्होंने कहा था, ‘‘मैं वहां था।
#WATCH | Mortal remains of Chief Priest of Ayodhya Ram temple, Acharya Satyendra Das, being taken for last rites in Ayodhya pic.twitter.com/yYDUHA6CcK
— ANI (@ANI) February 13, 2025
यह मेरे सामने हुआ। मैं इसका गवाह था। तीन गुंबदों में से उत्तरी और दक्षिणी गुंबदों को ‘कार सेवकों' ने ध्वस्त कर दिया था। मैंने रामलला को उनके सिंहासन के साथ अपने हाथ में ले लिया।'' उन्होंने कहा था, ‘‘बाद में ‘कार सेवकों' ने एक तंबू लगाया और उस स्थान को समतल कर दिया तथा शाम सात बजे तक मैंने रामलला को वहीं स्थापित कर दिया।'' निर्वाणी अखाड़े से आने वाले सत्येंद्र दास अयोध्या के सबसे सुलभ संतों में से एक थे और अयोध्या एवं राम मंदिर के घटनाक्रमों के बारे में जानकारी चाहने वाले देश भर के कई मीडियाकर्मियों के लिए संपर्क व्यक्ति थे। छह दिसंबर, 1992 को जब बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, तब उन्हें मुख्य पुजारी के रूप में सेवा करते हुए मुश्किल से नौ महीने हुए थे।