अयोध्या: राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की तबीयत बिगड़ी, लखनऊ रेफर
punjabkesari.in Monday, Feb 03, 2025 - 05:48 AM (IST)
नेशनल डेस्कः अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। पता चला है कि उनकी हालत गंभीर है क्योंकि उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है। सांस लेने में दिक्कत होने पर दास को तुरंत श्री राम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उन्हें पहले ट्रॉमा सेंटर और फिर बेहतर इलाज के लिए लखनऊ पीजीआई रेफर कर दिया गया। राम मंदिर के सहायक पुजारी प्रदीप दास ने भी सत्येंद्र दास के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी थी।
अयोध्या शहर के न्यूरो सेंटर के डॉक्टर अरुण कुमार सिंह ने कहा, "सत्येंद्र दास की हालत गंभीर है। सीटी स्कैन से पता चला है कि उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ है और यह दिमाग के कई हिस्सों में फैल गया है।" सिंह ने कहा कि अस्पताल ने उन्हें लखनऊ पीजीआई रेफर कर दिया है, ताकि उन्हें वहां बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके। अयोध्या में राम मंदिर प्रशासन और आचार्य सत्येंद्र दास के भक्तों में भारी चिंता है, जिन्होंने राम जन्मभूमि परिसर में पूजा-अर्चना कर उनके स्वस्थ होने की कामना की।
आचार्य सत्येंद्र दास की हालत स्थिर है और उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। आचार्य सत्येंद्र दास को राम मंदिर निर्माण की शुरुआत से ही मुख्य पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया था और वे श्री राम जन्मभूमि मंदिर की पूजा गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, 15 अक्टूबर, 2024 को अयोध्या राम मंदिर के 84 वर्षीय मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, चिकित्सा अधिकारियों ने पुष्टि की है कि उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।
संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) के निदेशक आरके धीमान ने बताया, "अयोध्या के श्री राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को डॉ. प्रकाश चंद्र पांडे की देखरेख में एसजीपीजीआई के न्यूरोलॉजी वार्ड के एक निजी कमरे में भर्ती कराया गया है।" आचार्य सत्येंद्र दास बचपन से ही अयोध्या के निवासी हैं। वे करीब 32 साल से राम लला मंदिर से जुड़े हुए हैं और 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस से पहले उन्होंने यहीं पूजा-अर्चना शुरू की थी।