जस्टिन ट्रूडो की कुंडली में शनि की साढ़ेसती, 30 अक्तूबर के बाद गिरेगी लोकप्रियता
punjabkesari.in Thursday, Sep 21, 2023 - 10:22 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कैनेडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपने निजी और राजनीतिक जीवन में लगातार विवादों में घिरते जा रहे हैं। हाल ही में जस्टिन ट्रूडो का अपनी पत्नी के साथ तलाक हुआ है और इसके बाद उनके भारत दौरे के दौरान भी उनके साथ कई विवाद जुड़ गए। ऐसा उनकी कुंडली में चल रही शनि की साढ़ेसती के कारण हो रहा है। जस्टिन ट्रूडो का जन्म 25 दिसम्बर 1971 को रात 9 बजकर 27 मिनट पर ओटावा में हुआ है।
जस्टिन ट्रूडो की कुंडली सिंह लगन, मीन राशि की है। कनाडा देश का लगन और जस्टिन की जन्म राशि दोनों के होने के कारण देश पर इस समय गंभीर समय आया है। दोनों शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में है। इनकी जन्म राशि से शनि बारहवें गोचर कर रहे हैं और साढ़ेसाती का प्रथम चरण वैसे भी कष्टकारी होता है। इस समय शनि वक्री भी है अतः कष्ट अत्यंत गंभीर हो सकते हैं, ऐसे में इन्हें देश और विदेश दोनों जगह आलोचनाओं का सामना करना पड़ सकता है।
गोचर में राहु द्वितीय भाव मेष राशि पर गोचर पर इनके दशम भाग पर अपनी नमन दृष्टि से रहे हैं, इस योग से ये अपनी बात को सही साबित करने के लिए साम, दाम, दंड, भेद का प्रयोग अवश्य करेंगे। परन्तु गोचर में मंगल और केतु दोनों ग्रहों का सहयोग प्राप्त न होने के कारण, ये अपनी साजिशों में सफल नहीं हो पाएंगे। कुल मिलाकर देखा जाए तो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कनाडा की फजियत जस्टिन कराने वाले हैं। उन्होंने कमजोर ग्रह योग में एक गलत मुद्दा उठाकर बहुत बड़ी गलती की है। अशुभ ग्रहों के समय में भारत पर आरोप लगाना, इनके लिए कुल्हाड़ी पर पैर मारने जैसा साबित हो सकता है।
कूटनीति में भारत को हराना इनके लिए नामुमकिन जैसा है और युद्ध के लिए मंगल मंजबूत होना चाहिए। जो इनकी कुंडली में नहीं है। कहीं कनाडा के ही दो भाग न हो जाएं, इस बात का ख्याल कनाडा को अवश्य रखना चाहिए। कनाडा का कुंडली का शत्रु भाव प्रबल है और केतु और मंगल का साथ इन्हें मिल नहीं रहा है। ऐसे में इनकी हर मोर्चे पर हार निश्चित है। अब अपने देश में ही अपने सांसदों व अपने मुख्यमंत्री को लोगों का विरोध झेलना पड़ सकता है। भारत से पंगा लेना इन्हें महंगा पड़ सकता है। इन्हें अपने पूर्व प्रधानमंत्री पिता के नक्शे कदम पर चलना छोड़ना होगा। ऐसा कुंडली के ग्रह योग कहते हैं।
कनाडा देश की कुंडली का विश्लेषण
कनाडा में 1 जुलाई 1867 को कनाडा देश की स्थापना हुई। इस विवरण अनुसार कनाडा की जन्मकुंडली मीन लगन और मिथुन राशि की है। कुंडली में दशमेश गुरु द्वादश भाव में वक्री अवस्था में शनि की कुंभ राशि में केतु के साथ है। जहां वर्तमान में शनि वक्री गोचर कर रहे हैं। सत्ता कारक ग्रह सूर्य कुंडली में चतुर्थ भाव में चंद्र के साथ है, जिन पर केतु की पंचम दृष्टि है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि मीन लगन के लिए सूर्य रिपु भाव के स्वामी होते हैं और इस कुंडली में रिपु भाव कर राहु का अधिकार है जिन्हें द्वितीयेश मंगल जो मारकेश है का साथ मिला हुआ है।
छठे में राहु की स्थिति और सूर्य पर केतु का प्रभाव देश में अशांति और वैचारिक मतभेद की स्थिति बना रहा है। सूर्य की राशि में राहु, होने से सत्ता पक्ष में बाहरी लोगों का प्रभाव, हस्तक्षेप स्पष्ट दिखाई दे रहा है। सूर्य चौथे होकर केतु से पीड़ित है, ऐसे में राष्ट्र में सत्ता पक्ष के निर्णयों को लेकर गृह युद्ध की स्थिति भी नजर आ रही है। इस जन्म कुंडली पर आज 21 सितम्बर 2023 का ग्रह गोचर लगाने पर हम पाते हैं कि शनि इस समय बारहवें भाव पर वक्री अवस्था में गोचर और द्वितीय भाव पर तीसरी दृष्टि देकर गृह अशांति बना रहे हैं, द्वितीय भाव जो कुटुंब भाव अर्थात संप्रभुता का भाव है, वहां राहु का गोचर हो रहा है, जिनके साथ गुरु ग्रह गोचर में राहु के साथ युति में है।
राहु और गुरु दोनों छठे भाव, दशम भाव और अष्टम भाव को अपनी दृष्टि दे रहे हैं, 6, 8, 10 पर राहु का यह प्रभाव, शत्रुओं द्वारा छुपी हुई साजिश के तहत सत्ता को अपने अनुसार चलाने का प्रयास दृष्टगोचर हो रहा है। अर्थात सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि कनाडा की सरकार ने जो बयान दिए वे स्वयं के न होकर बाहरी शक्तियों के थे और सत्ता पक्ष पूर्ण रूप से बाहरी शक्तियों के प्रभाव में कार्य कर रहा है। इस कुंडली पर ग्रह गोचर यह संकेत दे रहा है कि भविष्य में सत्ता पक्ष को अपना पद खोना पड़ सकता है क्योंकि अष्टम भाव पर राहु का प्रभाव आ रहा है, अगले माह जब सूर्य तुला राशि में गोचर करेंगे तब, कनाडा के प्रधानमंत्री का पद जा सकता है। ऐसे योग ग्रह गोचर में बन रहे हैं।