प्रियंका प्रवेश BJP का किला नेस्तनाबूद करने की रणनीति!

punjabkesari.in Thursday, Jan 24, 2019 - 10:52 AM (IST)

नई दिल्ली: जनवरी की तारीख थी। इसी दिन मायावती और अखिलेश यादव का चिरप्रतीक्षित राजनैतिक मिलन समारोह था। एक तरफ  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह की संभावित अंदाज में बखिया उधेडऩे की कोशिश कर रहे थे तो दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दुबई में प्रवासी भारतीयों के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगे थे। बाद में सपा-बसपा गठजोड़ के बारे में उनसे पत्रकारों ने पूछा तो राहुल ने कहा कुछ चमत्कार होने बाकी हैं। यह भी कहा कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव ‘पूरी ताकत’ से लड़ेगी। तो क्या बुधवार दोपहर जब राहुल गांधी ने कांग्रेस मुख्यालय से प्रेस नोट जारी कर प्रियंका गांधी के मनोनयन की घोषणा की तो यह चमत्कार वही था, जिसकी योजना उनकी दुबई यात्रा से पहले से चल रही थी? जिस समय घोषणा हुई राहुल अमेठी में थे और प्रियंका विदेश में। \

PunjabKesari

अमेठी में राहुल ने इस बारे दो और महत्वपूर्ण बातें कहीं। पहली बात यह थी कि कांग्रेस अब फ्रंटफुट पर लड़ेगी। दूसरी बात के ज्यादा राजनैतिक मायने थे, यानी अगर सपा-बसपा चाहें तो लोकसभा की सीटों को लेकर अब भी बातचीत संभव है। नहीं तो उनका रास्ता अलग, हमारा अलग। अब सवाल है कि कांग्रेस के इस ‘ब्रह्मास्त्र’ का असर कितना बड़ा होगा और इसकी जद में सिर्फ भारतीय जनता पार्टी या मोदी एंड कंपनी है या फिर फिलहाल विपक्ष में बैठे और नेता भी। तय है कांग्रेस नरेंद्र मोदी सरकार को तो किसी तरह से निपटाना चाहती ही है पर इस ब्रह्मास्त्र के निशाने पर बाकी भी हैं, जो येन-केन-प्रकारेण केंद्रीय सत्ता की कुर्सी की तलाश में हैं। प्रियंका को लाने से जहां देश भर के कांग्रेसी उत्साहित होंगे वहीं यह भाजपा के महिला व युवा वोट बैंक में सेंध लगाने में भी कारगर साबित होगा। 

PunjabKesari

सबसे पहला सवाल है कि राजनीति में प्रियंका के प्रवेश का लाभ किसको मिलेगा या नुकसान सबसे ज्यादा किसको होगा? सवाल का जवाब उत्तर प्रदेश से। यहीं से महागठबंधन की गांठ बंधना शुरू हुई है और 2019 में नरेंद्र मोदी के सत्ता सिंहासन पर सवाल यही से उठे हैं। या फिर कांग्रेस की यह घोषणा सपा-बसपा के विस्तारित गठजोड़ का ही एक हिस्सा है? यानी आमने-सामने लड़ो, थोड़ी-बहुत गाली-गलौच भी हो जाए तो चलेगा पर उद्देश्य एक ही होना चाहिए कि भाजपा का वोट कटे। सीधे-सीधे देखने में तो लग सकता है कि कांग्रेस में प्रियंका के आने से जिस उत्साह का संचार होगा, उससे सीधे अगर सवर्ण वोट कुछ भी कांग्रेस की तरफ बढ़ गया तो सपा-बसपा के गठजोड़ के दर्द से कराह रही भारतीय भाजपा की पूर्वी यूपी में मजबूत पकड़ है। प्रियंका गांधी के सामने भाजपा के इन महारथियों का सामना करने और उनका किला ढहाने की चुनौती होगी। राहुल ने प्रियंका के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त करते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है।

PunjabKesari

सिंधिया को कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। कांग्रेस की ओर से पहली बार किसी राज्य में दो प्रभारी महासचिव नियुक्त किया गया है। अभी तक एक ही प्रभारी महासचिव हुआ करता था। गुलाम नबी आजाद अब तक यूपी के प्रभारी महासचिव थे। प्रियंका और सिंधिया की नियुक्ति से ही साबित हो गया कि कांग्रेस के लिए यूपी कितना अहम है। यूपी से मुक्त किए गए राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद को हरियाणा का प्रभारी बनाया है। हरियाणा के प्रभारी महासचिव रहे कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इसके साथ ही राहुल ने पार्टी के वरिष्ठ नेता के.सी. वेणुगोपाल को संगठन महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी है जो पहले की तरह कर्नाटक के प्रभारी की भूमिका निभाते रहेंगे। संगठन महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे अशोक गहलोत के राजस्थान का सीएम बनने के बाद वेणुगोपाल की नियुक्ति की गई है।  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Anil dev

Recommended News

Related News