राष्ट्रपति चुनाव: ऐसे होती है वोटों की गिनती

punjabkesari.in Thursday, Jul 20, 2017 - 11:27 AM (IST)

नई दिल्लीः सोमवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना आज होगी और नए राष्ट्रपति के नाम की घोषणा शाम 5 बजे तक होने की उम्मीद है। शाम तक साफ हो जाएगा कि देश का अगला  राष्ट्रपति कौन होगा। वहीं  राष्ट्रपति पद के लिए वोटों की गिनती की प्रक्रिया भी बड़ी दिलचस्प होती है।

- वोटों की गिनती शुरू होते ही सबसे पहले संसद भवन की मतपेटी खोली जाती है। इसके बाद राज्यों की मतपेटियों को वर्णमाला के क्रम में खोला जाता है।

-वोटों की गिनती 4 अलग-अलग मेजों पर होती है। इस 8 चरण होंगे।

-चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही उम्मीदवार की जीत तय नहीं होती बल्कि राष्ट्रपति वहीं बनता है जो सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वोटों का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल करे।

-चुनाव में पहले से तय होता है कि जीतने वाले को कितना वोट हासलि करने हैं। इस समय इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के वोटों का कुल 10,98,882 है। यानी जीत के लिए उम्मीदवार को 5,49,442 वोट  हासिल करने होंगे।

-जब विधायक वोट डालते हैं तो उन्हें लिखना होता है कि उनकी पहली पंसद का उम्मीदवार कौन-सा है और दूसरे और तीसरे नंबर पर कौन। इस हिसाब से जिसको कम वोट मिले वो पहले ही रेस से बाहर हो जाता है।

-पहले उस कैंडिडेट को रेस से बाहर किया जाता है, जिसे पहली गिनती में सबसे कम वोट मिले। लेकिन उसको मिले वोटों में से यह देखा जाता है कि उनकी दूसरी पसंद के कितने वोट किस उम्मीदवार को मिले हैं। फिर सिर्फ दूसरी पसंद के ये वोट बचे हुए उम्मीदवारों के खाते में ट्रांसफर किए जाते हैं। यदि ये वोट मिल जाने से किसी उम्मीदवार के कुल वोट तय संख्या तक पहुंच गए तो वह उम्मीदवार विजयी माना जाएगा। अन्यथा दूसरे दौर में सबसे कम वोट पाने वाला रेस से बाहर हो जाएगा और यह प्रक्रिया फिर से दोहराई जाएगी।

-छोटे-छोटे दूसरे ग्रुप्स के वोट निर्णायक साबित होते हैं। यानी जरूरी नहीं कि लोकसभा और राज्यसभा में जिस पार्टी का बहुमत हो, उसी का दबदबा चले। विधायकों का वोट भी अहम है।

-सेकंड प्रायॉरिटी के वोट ट्रांसफर होने के बाद सबसे कम वोट वाले कैंडिडेट को बाहर करने की नौबत आने पर अगर दो कैंडिडेट्स को सबसे कम वोट मिले हों, तो बाहर उसे किया जाता है, जिसके फर्स्ट प्रायॉरिटी वाले वोट कम हों।

-अगर अंत तक किसी प्रत्याशी को तय कोटा न मिले, तो भी इस प्रक्रिया में कैंडिडेट बारी-बारी से रेस से बाहर होते रहते हैं और आखिर में जो बचेगा, वही विजयी होगा।


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