संत प्रेमानंद महाराज ने समझाया - मां दुर्गा और राधा रानी में क्या है अंतर?
punjabkesari.in Tuesday, Sep 23, 2025 - 03:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क : हिंदु धर्म में राधा रानी और मां दुर्गा दोनों का विशेष स्थान है। दोनों ही देवियां श्रद्धा और विश्वास की प्रतीक हैं, लेकिन उनका महत्व और स्वरूप अलग-अलग माना जाता है।
राधा रानी का स्वरूप और महत्व
राधा रानी को भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य प्रेमिका और उनकी आत्मा कहा जाता है। उनका जीवन यह संदेश देता है कि ईश्वर तक पहुंचने का सबसे सुंदर मार्ग प्रेम और समर्पण है। राधा जी का स्वरूप कोमल और करुणामयी है। वे भक्ति, दया और प्रेम की मूर्ति मानी जाती हैं, इसलिए उन्हें भक्ति की देवी कहा जाता है।
मां दुर्गा का स्वरूप और महत्व
इसके विपरीत, मां दुर्गा शक्ति और पराक्रम की देवी हैं। उन्हें आदिशक्ति और रुद्ररूपिणी भी कहा जाता है। उनका स्वरूप तेजस्वी और वीर है। मां दुर्गा को शस्त्रों से सुसज्जित, सिंह पर विराजमान और अष्टभुजा या सोलह भुजा रूप में दर्शाया जाता है। वे दुष्टों का संहार कर धर्म की रक्षा करती हैं, इसलिए उन्हें शक्ति और पराक्रम की देवी माना जाता है।
प्रेमानंद महाराज ने समझाया अंतर
मथुरा-वृंदावन के प्रसिद्ध संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज से एक भक्त ने पूछा कि राधा रानी और मां दुर्गा में क्या अंतर है? इस पर उन्होंने कहा कि दोनों की शक्ति मूल रूप से एक ही है, लेकिन उनका स्वरूप और संदेश अलग है। महाराज जी के अनुसार, राधा रानी महाप्रेम की मूर्ति हैं, जहां सिर्फ और सिर्फ प्रेम की बात होती है। वे नीलकमल पर विराजमान होती हैं और उनके चरणों में फूल बिछाए जाते हैं ताकि कोई कांटा उन्हें आहत न करे। वहीं मां दुर्गा वीरता और संहार का स्वरूप हैं। वे राक्षसों के गले पर पैर रखकर उन्हें परास्त करती हैं और शक्ति का प्रकट रूप दिखाती हैं। यही सबसे बड़ा अंतर है - एक ओर प्रेम और भक्ति, तो दूसरी ओर शक्ति और पराक्रम।