S-400 से S-500 क्यों है इतना अलग? जानें इसकी रेंज और हाइपरसोनिक क्षमता का अंतर

punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 09:36 PM (IST)

नेशनल डेस्क : भारतीय सेना के हथियार भंडारों में रूस निर्मित S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम ऑपरेशन सिंदूर की सबसे बड़ी सफलता की कहानियों में से एक रहा है। इस सिस्टम के पांच रेजिमेंट का ऑर्डर 2018 में मॉस्को को $5.43 बिलियन के सौदे के तहत दिया गया था। इस वर्ष मई में भारत के आक्रामक सैन्य अभियानों के दौरान, S-400 ने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र के अंदर सैकड़ों किलोमीटर दूर तक कई पाकिस्तानी विमानों को सफलतापूर्वक डिटेक्ट, ट्रैक और मार गिराया, जिसने देश पर भारत की पूर्ण हवाई शक्ति प्रभुत्व (Air Power Dominance) सुनिश्चित की।

यह प्रणाली इतनी प्रभावी साबित हुई और एक शक्तिशाली निवारक के रूप में उभरी कि भारत अब पाँच और S-400 रेजिमेंट की मांग कर रहा है। भारतीय S-400 रेजिमेंट में 16 लॉन्चर वाहन शामिल होते हैं, जिन्हें दो बैटरी में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक बैटरी एक कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम और एक निगरानी एवं एंगेजमेंट रडार वाहन द्वारा सक्रिय होती है।

S-500: सैन्य मेन कोर्स का नया 'डिश'
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के एजेंडे में S-400 का विस्तार स्पष्ट है, लेकिन इस बार सैन्य बातचीत का मुख्य केंद्र S-400 का कहीं अधिक श्रेष्ठ उत्तराधिकारी S-500 प्रोमेथियस है।

S-500 को महज एक सुधरा हुआ अपग्रेड नहीं, बल्कि अत्यधिक श्रेष्ठ और विस्तारित क्षमताओं वाली एक पूरी तरह से अलग हथियार प्रणाली के रूप में पेश किया जा रहा है। S-400 सौदे के विपरीत, S-500 को सह-उत्पादन समझौते (Co-production Agreement) के रूप में पेश किया जा रहा है, जिसमें एक भारतीय साझेदार रूस की अल्माज़ एंटेय के साथ मिलकर मिसाइल के कुछ हिस्सों का स्थानीय स्तर पर निर्माण करेगा।

क्या चीजें S-500 को S-400 से अलग बनाती हैं?
S-500 प्रोमेथियस संभावित रूप से रूस के साथ भारत का अब तक का सबसे बड़ा एकल हथियार सौदा हो सकता है। S-400 भारत को क्षेत्रीय हवाई प्रभुत्व देता है, वहीं S-500 भारत को हवा, मिसाइल और निकट-अंतरिक्ष (Near-Space) प्रभुत्व देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इन दोनों प्रणालियों के बीच का अंतर केवल सतही नहीं है। आइए, कुछ मुख्य अंतरों पर नज़र डालते हैं:

रेंज:
S-400 की अधिकतम रेंज 400 किलोमीटर है।   

S-500 की रेंज बढ़कर लगभग 500-600 किलोमीटर तक पहुँच जाती है।

ऊँचाई (Altitude):
S-400 30 किलोमीटर तक की ऊँचाई पर लक्ष्यों को इंटरसेप्ट करता है।

S-500 निकट-अंतरिक्ष परत में 180-200 किलोमीटर तक की ऊँचाई पर लक्ष्यों को इंटरसेप्ट करता है।

लक्ष्य के प्रकार:
S-400 विमान, ड्रोन और क्रूज मिसाइलों का मुकाबला करता है।   

S-500 इन सभी के साथ-साथ लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का भी मुकाबला करता है, और इसे हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहनों के खिलाफ भी प्रभावी माना जाता है (हालांकि, यह अभी दावा के दायरे में है)।

रक्षा भूमिका (Defence Role):
S-400 थिएटर एयर डिफेंस का समर्थन करता है।

S-500 राष्ट्रीय स्तर पर हवाई, बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक रक्षा का समर्थन करता है।   

इंटरसेप्टर मिसाइल परिवार:
S-400 48N6 और 40N6 मिसाइलों का उपयोग करता है।   

S-500 में 77N6-N और 77N6-N1 हिट-टू-किल इंटरसेप्टर पेश किए गए हैं।

खतरे की श्रेणी:
S-400 सामरिक (Tactical) और परिचालन (Operational) खतरों को संभालता है।

S-500 सामरिक (Tactical) और रणनीतिक (Strategic) खतरों को संभालने के लिए बनाया गया है, और यह भविष्य के हाइपरसोनिक युद्ध के लिए भी तैयार है।

कवरेज प्रभाव:
S-400 क्षेत्र या सेक्टर के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा करता है।

S-500 पूरे देश में शहरों, रणनीतिक बुनियादी ढाँचों और कमांड नोड्स की सुरक्षा करता है।

S-500: क्षेत्रीय से महाद्वीपीय लाभ
S-400 ने भारत के जटिल हवाई रक्षा नेटवर्क के साथ अच्छी तरह से एकीकृत होने का प्रमाण दिया है, जिसमें भारत का अपना आकाश सिस्टम, इजरायली MRSAM और SpyDer सिस्टम शामिल हैं। S-500, अपने दुर्जेय प्रदर्शन मापदंडों के बावजूद, क्षेत्रीय हवाई लाभ के स्थान पर महाद्वीपीय मिसाइल और हाइपरसोनिक लाभ प्रदान करने की क्षमता रखता है। यह भारत की रक्षात्मक और निवारक क्षमताओं को एक नए रणनीतिक स्तर पर ले जाएगा।


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Content Editor

Shubham Anand

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