पीरियड्स के दौरान महिलाओं को भगवान की पूजा करना चाहिए या नहीं? प्रेमानंद जी महाराज ने बताया सच
punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 06:36 PM (IST)
नेशनल डेस्क : देश में लंबे समय से यह धारणा चली आ रही है कि महिलाओं को मासिक धर्म यानी पीरियड्स के दौरान मंदिर नहीं जाना चाहिए और न ही पूजा-पाठ करना चाहिए। कई लोग इसे शरीर की कमजोरी और आराम की आवश्यकता से जोड़ते हैं, जबकि धार्मिक परंपराओं में भी इस समय को लेकर कई नियमों का उल्लेख मिलता है। इसी विषय पर वृंदावन-मथुरा के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने भी अपने विचार साझा किए हैं।
पीरियड्स में पूजा करने पर क्या कहते हैं प्रेमानंद महाराज?
महाराज का कहना है कि मासिक धर्म महिलाओं के शरीर में होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो हर महीने आती है और शरीर के शुद्धिकरण का हिस्सा है। उनके अनुसार, इस समय स्त्री को स्नान कर साफ-सुथरा रहना चाहिए और यदि संभव हो तो भगवान के दर्शन दूर से कर लेने चाहिए। वह कहते हैं कि मंदिर में सेवा करना या पूजा सामग्री को सीधे स्पर्श करना आवश्यक नहीं है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात मन की भक्ति है। भगवान तक पहुंच भावनाओं की पवित्रता से होती है, न कि केवल शारीरिक उपस्थिति से।
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शास्त्रों में क्या उल्लेख मिलता है?
प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार, पीरियड्स के पहले तीन दिनों में महिलाओं को प्रसाद बनाने या पूजा-पाठ जैसे धार्मिक कार्यों से विरत रहना चाहिए। यह समय शरीर को आराम देने और मानसिक शांति बनाए रखने का माना जाता है। महाराज के अनुसार, इस दौरान महिलाएं केवल भगवान के नाम का जप करें और खुद को पूरी तरह आराम दें।
मासिक धर्म के दौरान पालन करने योग्य नियम
अंत में उन्होंने कहा कि मासिक धर्म के तीन दिनों में महिलाओं को मन से भजन, जप और भगवान का स्मरण जरूर करना चाहिए। भक्ति से दूरी नहीं बनानी चाहिए, क्योंकि सच्ची पूजा मन की शुद्धता से ही होती है।
