प्रयागराज महाकुंभ 2025 : दुनिया का सारा पर्यटन मिलकर महाकुंभ की बराबरी नहीं कर सकता - केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत
punjabkesari.in Tuesday, Jan 14, 2025 - 09:59 PM (IST)
नेशनल डेस्क : भारत के केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में महाकुंभ और भारत के सांस्कृतिक पुनर्निर्माण पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में हर साल जुटने वाले 45 करोड़ श्रद्धालुओं की संख्या पूरे विश्व के पर्यटन को भी मात दे देती है। उनका कहना था कि यह विशाल धार्मिक समागम न केवल धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत प्रभावशाली है। शेखावत का मानना है कि कुंभ का वैश्विक स्तर पर सही मूल्यांकन नहीं किया गया है।
एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब हम महाकुंभ की बात करते हैं तो यह सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर और समाज की एकजुटता का प्रतीक है। उन्होंने कहा, "45 करोड़ लोग अकेले कुंभ में भाग लेते हैं, जबकि दुनियाभर के पर्यटन स्थलों को मिलाकर भी यह संख्या नहीं बन सकती।"
उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि फ्रांस में हर साल 4 करोड़, थाईलैंड में 4.5 करोड़ और दुबई में 2 से 2.5 करोड़ पर्यटक आते हैं। जबकि भारत में केवल 1.30 करोड़ पर्यटक ही आते हैं। शेखावत ने स्पष्ट किया कि इन आंकड़ों को देखकर यह साफ है कि कुंभ का आयोजन दुनिया के सबसे बड़े पर्यटन इवेंट्स से भी कहीं ज्यादा विशाल और महत्वपूर्ण है।
कुंभ का वैश्विक आर्थिक योगदान बताया
कुंभ के बारे में बात करते हुए शेखावत ने इसके आर्थिक पहलू पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "हम कुंभ के धार्मिक और सामाजिक पहलुओं की चर्चा करते हैं, लेकिन इसका आर्थिक प्रभाव भी बेहद अहम है। हर साल उज्जैन में महाकाल के दर्शन के लिए लगभग 4.5 करोड़ लोग आते हैं, जो खुद में एक बड़ा पर्यटन आंदोलन है। लेकिन यह आंकड़ा कभी भी हमारी अर्थव्यवस्था में योगदान के तौर पर सही से पहचाना नहीं गया।" केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई कि इस बार कुंभ में 15 से 20 लाख अंतरराष्ट्रीय पर्यटक भी शामिल होंगे, जो भारतीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा योगदान होगा।
राम मंदिर और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का सूरज बताया
शेखावत ने यह भी कहा कि भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक गौरव का सूरज फिर से उग चुका है। उन्होंने कहा, "500 साल पहले जब बाबर के सेनापति ने राम मंदिर को ध्वस्त किया था, तो भारत के सौभाग्य का सूरज भी अस्त हो गया था। लेकिन अब, राम मंदिर के पुनर्निर्माण के साथ भारत की सांस्कृतिक धरोहर और समृद्धि की ओर एक नया कदम बढ़ चुका है।"
उन्होंने इसे सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत के रूप में देखा और कहा कि आज देश में अपने संस्कृति और धार्मिक विरासत पर गर्व किया जा रहा है, जबकि पूर्व सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया था।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने दिया आत्मविश्वास का संदेश
शेखावत ने कहा, "भारत के लोग कभी भी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से दूर नहीं थे, लेकिन पहले सरकारों ने इसका महत्व नहीं समझा। अब यह सरकार अपने संस्कृति और विरासत को फिर से सम्मानित कर रही है।" इस सरकार के तहत भारत में सांस्कृतिक जागरूकता और पुनर्निर्माण की एक नई दिशा दिखाई दे रही है।
शेखावत के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत का धार्मिक पर्यटन, खासकर कुंभ, न केवल सांस्कृतिक बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। अगर इस पहलू को वैश्विक स्तर पर सही से पहचाना जाए तो यह भारत के लिए एक नई दिशा और समृद्धि की राह खोल सकता है।