मंदिरों की दैनिक पूजा और त्योहारों में राजनीति की कोई भूमिका नहीं है : केरल उच्च न्यायालय

punjabkesari.in Friday, Feb 17, 2023 - 08:29 PM (IST)

 

नेशनल डेस्क: केरल उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि दैनिक पूजा और मंदिर के उत्सवों तथा समारोहों के संचालन में राजनीति की कोई भूमिका नहीं है। अदालत ने कहा कि न तो किसी भक्त को, न ही जिला प्रशासन को समारोहों में इस्तेमाल की जाने वाली सजावटी सामग्री के लिए एक विशिष्ट रंग का इस्तेमाल करने पर जोर देने का कानूनी अधिकार है। अदालत ने तिरुवनंतपुरम के मेजर वेल्लयानी भद्रकाली देवी मंदिर में कलियूट्टू उत्सव के आयोजन को लेकर एक मामले के संबंध में दायर दो याचिकाओं पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की।

मंदिर त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के प्रबंधन के अधीन है। एक श्रद्धालु को यह आग्रह करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है कि त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के प्रबंधन के तहत एक मंदिर में त्योहारों के लिए केवल भगवा या नारंगी रंग की सजावटी सामग्री का उपयोग किया जाए। न्यायमूर्ति अनिल के. नरेंद्रन और न्यायमूर्ति पी. जी. अजितकुमार की खंडपीठ ने 14 फरवरी को जारी आदेश में कहा कि इसी तरह, जिला प्रशासन या पुलिस इस बात पर जोर नहीं दे सकती है कि केवल 'राजनीतिक रूप से तटस्थ' रंगीन सजावटी सामग्री का उपयोग मंदिर के त्योहारों के लिए किया जाए।

याचिकाकर्ताओं में से एक ने आरोप लगाया कि सात फरवरी को जब मंदिर परिसर में सजावट का काम शुरू हुआ, तो पुलिस ने उन्हें मेहराब, तोरण और गोटा-किनारी आदि को भगवा रंग में बनाने से रोकने का निर्देश दिया और उन्हें सजावट के लिए धर्मस्थल परिसर में बहुरंगी सामग्रियों के इस्तेमाल का मौखिक निर्देश दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पूजा का अधिकार एक नागरिक अधिकार है, "निश्चित रूप से इसे पारम्परिक तरीके से और प्रत्येक मंदिर में प्रथा और परंपरा के अधीन मनाया जाता है"।

खंडपीठ ने कहा, "एक उपासक या एक भक्त को यह आग्रह करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है कि त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के प्रबंधन के तहत एक मंदिर में केवल भगवा/नारंगी रंग की सजावटी सामग्री का उपयोग त्योहारों के लिए किया जाए।'' आदेश में यह भी कहा गया है, "इसी तरह, जिला प्रशासन या पुलिस इस बात पर जोर नहीं दे सकती है कि मंदिरों के उत्सवों के लिए केवल 'राजनीतिक रूप से तटस्थ' रंग की सजावटी सामग्री का ही उपयोग किया जाता है। मंदिरों में दैनिक पूजा, समारोहों और त्योहारों के आयोजन में राजनीति की कोई भूमिका नहीं है।"


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Content Editor

rajesh kumar

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