‘आप'' की मान्यता रद्द करने की अर्जी: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को जवाब के लिए दिया समय

punjabkesari.in Tuesday, Jan 17, 2023 - 06:01 PM (IST)

 

नेशनल डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार को उस अर्जी पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय दे दिया जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) की मान्यता को रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि पार्टी ने धर्मनिरपेक्ष देश के संविधान की कथित अवहेलना कर, गणेश चतुर्थी को बढ़ावा देने के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल किया है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार को जवाबी हलफनामे दाखिल करने के लिए छह और हफ्तों का समय दिया। उच्च न्यायालय को सूचित किया गया कि निर्वाचन आयोग ने याचिका पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है, लेकिन दोनों सरकारों ने अबतक अपने रुख से अदालत को अवगत नहीं कराया है। पीठ ने कहा, ‘‘20 सितंबर 2021 को इस अदालत द्वारा दिए गए आदेश में खुलासा हुआ है कि प्रतिवादियों के वकीलों को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया गया था। प्रतिवादी संख्या एक और प्रतिवादी संख्या दो ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया गया है। उन्हें छह हफ्ते का और समय जवाब दाखिल करने के लिए दिया जाता है।''

उच्च न्यायालय ने 20 सितंबर 2021 को नोटिस जारी कर केंद्र, दिल्ली सरकार और निर्वाचन आयोग को याचिका पर जवाब देने को कहा था। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह यह नोटिस केंद्र, दिल्ली सरकार और निर्वाचन आयोग को जारी कर रहा है न कि राज्य के मुख्यमंत्री या अन्य मंत्रियों को। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता एम एल शर्मा ने कहा कि वह ‘आप' की मान्यता रद्द करने और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व अन्य मंत्रियों को संवैधानिक कार्यालयों से हटाने का निर्देश मांग रहे हैं क्योंकि उन्होंने संविधान और जनप्रतिनिधि कानून का ‘जानबूझकर उल्लंघन' किया और उनको हटाया जाना जनहित में है।

इससे पहले याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि ‘‘यह पूरी तरह से प्रेरित और शरारती' याचिका है जिसे जनहित याचिका का रंग दिया गया है और इसे भारी जुर्माने के साथ खारिज किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि ‘आप' नीत दिल्ली सरकार ने 10 सितंबर 2021 को गणेश चतुर्थी पूजा का आयोजन किया जिसका टेलीविजन चैनलों पर सजीव प्रसारण किया गया। याचिका में दावा किया गया है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा तय संवैधानिक सीमाओं के तहत राज्य किसी धार्मिक उत्सव को प्रोत्साहित नहीं कर सकता। याचिकाकर्ता ने कहा कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है और कोई भी सरकार सार्वजनिक धन का इस्तेमाल कर धार्मिक गतिविधियों में संलिप्त नहीं दिखनी चाहिए।


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Content Editor

rajesh kumar

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