चौथे दिन भी जारी रहा नोटबंदी का असर : वीकैंड ने भी तोड़ी दुकानदारों की उम्मीद, न बिकने से सड़ी सब्जिया

punjabkesari.in Monday, Nov 14, 2016 - 08:33 AM (IST)

चंडीगढ़ (ब्यूरो): पांच सौ और एक हजार के नोट बंद होने के बाद लोगों में मची अफरा-तफरी अब तक नहीं थमी है। पूरा शहर लगातार चौथे दिन बैंकों और ए.टी.एम. के बाहर लाइन में खड़ा दिखा। सोमवार को गुरु पर्व के कारण रविवार को बैंकों और ए.टी.एम. पर ज्यादा भीड़ रही। इस बीच, छोटे नोट लोगों के हाथ में आ जाने के बावजूद बाजारों में कारोबार सामान्य नहीं हो पाया है। लोग सिर्फ रोज-मर्रा की जरूरत की वस्तुएं खरीद पा रहे हैं। सैक्टर-26 स्थित थोक मंडी में कारोबार ठप्प पड़ा है। सब्जी और फल सडऩे की नौबत आ गई है। राहत की बात यह है कि अफवाहों को छोड़ दें तो इस नोटबंदी का महंगाई पर असर नहीं पड़ा है। घी, तेल, रिफाइंड के दाम स्थिर बने हुए हैं तो स्टॉक बढ़ जाने से सब्जी के दाम कम हो रहे हैं। मंडी के व्यापारियों का मानना है कि फिलहाल एक हफ्ते तक कारोबार सामान्य होने की उम्मीद नहीं दिख रही है।

 

बाहर से आने वाला माल महंगा होने की उम्मीद
माल न बिकने से सब्जी और फल के थोक व्यापारियों के पास स्टॉक इतना हो गया है कि अब माल को सडऩे से बचाने के लिए वह कम दामों पर बेचने को मजबूर हैं। प्याज और जो फल पंजाब के बाहर से मंगाए जा रहे हैं, उनकी कीमत जरूर बढऩे के आसार बन गए हैं। क्योंकि बाहर से माल मंगाने के लिए व्यापारियों के पास पैसे नहीं हैं और थोड़ा-थोड़ा बिककर यह माल खत्म हो रहा है। हालत यह है कि 12 रुपए किलो तक बिकने वाला आलू आज 7 रुपए किलो तक बेचा गया है। सब्जियों से भरे ट्रक मंडी में तीन दिन से खड़े हैं।

नकली की अफवाह से दो हजार के नोट से भी परहेज

सोशल मीडिया पर दो हजार के नकली नोट की फोटो वायरल होने के बाद शहर के कई दुकानदार दो हजार का नोट ग्राहकों से लेने से कतरा रहे हैं। बहाना यह लगा देते हैं कि छुट्टे पैसे नहीं हैं। क्योंकि यह नोट बाजार में आने के बाद इसके सिक्योरिटी फीचर्स की जानकारी हर दुकानदार को नहीं है, जिससे वह यह चैक कर सके कि 2000 का नोट असली है या नकली। 

 

वीकैंड ने भी तोड़ी दुकानदारों की उम्मीद 
लोगों की भीड़ से घिरे रहने वाले बाजारों की रौनक 9 नवम्बर से ही चली गई है। बैंकों और ए.टी.एम. से कैश मिलना शुरू होने के बाद नोट बंदी के बीच आए पहले वीकेंड से दुकानदारों को उम्मीदें थीं लेकिन सब धरी रह गईं। आम तौर पर सैक्टर-22 की शास्त्री मार्कीट और सैक्टर -19 के रेहड़ी बाजार में रविवार के दिन पैर रखने को जगह नहीं होती लेकिन इस बार आधी भीड़ ही बाजार में नजर आई लेकिन छुट्टे पैसे के संकट में बिक्री फीकी ही रही।

 

 


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