अखनूर अस्पताल में सुविधाओं का कुछ यूं उड़ाया जा रहा है मजाक....

punjabkesari.in Friday, Aug 31, 2018 - 06:45 PM (IST)

अखनूर  (राजिंद्र): कस्बा तथा इसके आसपास के क्षेत्रों के लोगों के उपचार के लिए सरकारी उपजिला अस्पताल में सुविधाओं के आभाव से लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उपजिला अस्पताल में हजार से लेकर 1200 प्रतिदिन ओ.पी.डी. होने के साथ अस्पताल में प्रयाप्त मात्रा में दवाइयां न होने के कारण गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को बाजार से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है। 


क्या डाक्टरों की दवाई विक्रेताओं से है सांठ-गांठ
उपजिला अस्पताल अखनूर में कार्यरत डाक्टरों द्वारा छोटी सी बीमारी के लिए हजार से 1200 रुपए की दवाइयां लिखी पर्ची थमा देने के साथ ही रोगी मे असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है, जबकि कुछेक डॉक्टर द्वारा लिखी गई पर्ची की दवाइयां भी उसके द्वारा कही गई दुकान से ही मिलती है। इसके चलते रोगी के साथ आए तामीरदार में संशय की स्थिति बन जाती है कि उक्त डॉक्टर की दवाई विक्रेता के साथ सांठ-गांठ हैं। अब उपजिला अस्पताल में इस प्रकार आलम बन गया है कि रोगी सरकारी अस्पताल में लम्बी पर्ची दवाइयों की लिखे जाने के भय से निजी क्लीनिकों की तरफ  रुख करने में ही अपनी भलाई समझते हुए अस्पताल के प्रशासन को कोसते हैं।

 

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वार्डों में बंद शौचालय मरीजों के लिए बने समस्या
उपजिला अस्पताल में फी-मेल व मेल वार्डों में बने शौचालयों पर लगे ताले मरीजों के लिए गंभीर समस्या बन गए हैं जिसके चलते गंभीर रूप से बीमार व घायल रोगियों को बंद शौचालयों के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उपजिला अस्पताल में दाखिल रोगी के साथ आए तामीरदार कौशल्या देवी, राजरानी व प्रभा कुमारी ने अस्पताल प्रशासन के प्रति रोष प्रकट करते हुए बताया कि वार्ड में बने शौचालयों पर ताले लगाने के कारण रोगियों के लिए समस्या बनीं हुई है जिस कारण गंभीर रूप से रोगी को शौच के लिए बाहर ले जाने पर कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस अवसर पर तामीरदारों ने अस्पताल प्रबंधन से मांग करते हुए कहा कि बंद शौचालयों की सफाई करवाकर मरीजों को पेश आने वाली समस्या से निजात दिलाई जाए।

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अस्पताल परिसर में अवैध पार्किंग आपातकाल में बन जाती है परेशानी
उपजिला अस्पताल के परिसर में प्रशासनिक लापरवाही के कारण स्थानीय लोगों व दुकानदारों द्वारा की जाने वाली अवैध पार्किंग किसी आपातकाल में परेशानी पैदा कर देती है। 
अवैध पार्किंग के चलते आपातकाल में अस्पताल परिसर में से एम्बुलैंस निकालना भी चालक के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। लगातार कई-कई दिनों तक अस्पताल परिसर में खड़े वाहन अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।

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स्टैंड न होने से पॉलीथीन से बांधी जाती है ग्लूकोज की बोतलें
उपजिला अस्पताल में सुविधाओं के आभाव की पोल  मरीजों को ग्लूकोज चढ़ाने के लिए स्टैंड न होने से खुलती है जिसके चलते नर्स या पैरामैडीकल स्टाफ  के सदस्यों को अस्पताल में दाखिल होने वाले रोगी को ग्लूकोज चढ़ाने के लिए ग्लूकोज की बोतल को खिडक़ी के साथ पॉलीथीन या रस्सी के साथ बांधना पड़ता है। 
पॉलीथीन मुक्त के लिए जागरूक करने वाले अखनूर प्रशासन के प्रति रोगियों व तामीरदारों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि विक्रेता द्वारा जिस पॉलीथीन में दवाइयां डाल कर दी जाती हैं। उसी से खिडक़ी के साथ ग्लूकोज की बोतल को बांधना पड़ता है।

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सरकारी क्वार्टरों में नहीं रहते डॉक्टर
उपजिला अस्पताल में डाक्टरों के रहने के लिए लाखों रुपए की लागत से बनाए गए क्वार्टरों में डाक्टरों का न रहना लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। 
इस समस्या के बारे में लोगों ने बताया कि रात के समय कोई आपातस्थिति में रोगी आने पर कार्यरत डॉक्टर द्वारा प्राथमिक उपचार के साथ उसे मैडीकल कॉलेज जम्मू रैफर कर दिया जाता है, जबकि अगर रात के समय डॉक्टर सरकारी क्वार्टरों में रहे तो मरीज को जम्मू रैफर करने के मामलों में कमी आने के साथ मरीज तथा तामीरदारों को भी राहत मिल सकती है।


क्या कहते हैं ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी
उपजिला अस्पताल में सुविधाओं के आभाव के बारे में ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डा. अनिल कुमार शर्मा ने उपजिला अस्पताल में दवाइयों की सप्लाई कम होने की बात स्वीकारते हुए कहा कि उपजिला अस्पताल में सरकारी क्वार्टर डाक्टरों को अलाट किए गए हैं। अगर उन क्वार्टरों में कोई नहीं रहता, इसकी जांच की जाएगी। 
वार्ड में बंद शौचालयों के बारे में बी.एम.ओ. ने कहा कि वार्डों में स्वच्छता बनाए रखने के लिए उपजिला अस्पताल के परिसर में ही शौचालय बनाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए वचनबद्ध है।


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Monika Jamwal

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