अगर आसान रास्ता चुनती तो कैसे जीतती दुनिया? बेहद कठिन था नेत्रा कुमान का ओलंपिक का सफर

punjabkesari.in Sunday, Apr 11, 2021 - 04:22 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  कुछ लोग ऐसे सपने देखते हैं, जो थोड़ी सी मेहनत से पूरे किए जा सकते हैं। कुछ ऐसे होते हैं जो अपने लिए मुश्किल लक्ष्य निर्धारित करते हैं और कठिन परिश्रम से उन्हें हासिल कर लेते हैं, लेकिन असाधारण प्रतिभा वाले कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो आसान रास्तों से गुजरते तो हैं, लेकिन अपने लिए मंजिल ऐसी चुनते हैं, जहां उनसे पहले किसी और के कदम न पड़े हों। नेत्रा कुमानन का जज्बा भी कुछ ऐसा ही है। वह तोक्यो ओलंपिक के लिए ‘क्वालिफाई' करने वाली भारत की पहली महिला नाविक हैं। देश में सामान्य रूप से खेले जाने वाले खेलों में भाग लेना और अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाते जाना बहुत मुश्किल नहीं होता, लेकिन ओलंपिक के लिए ‘क्वालिफाई' करना अपने आप में बहुत मुश्किल होता है।


पहली भारतीय नौका चालक का ‘क्वालीफायर' में शीर्ष स्थान
ऐसे में नौकायन जैसे कम प्रचलित और खर्चीले खेल में हाथ आजमाना और फिर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित खेल मेले में देश का प्रतिनिधित्व करने का गौरव हासिल कर लेना नेत्रा की कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति की मिसाल है। ओलंपिक की नौकायन स्पर्धा में पहली बार ऐसा हुआ है जब एक महिला ने अपनी प्रतिभा के दम पर अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर यह हक हासिल किया है। ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके एशियाई नौकायन महासंघ के अध्यक्ष मानव श्राफ ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है, जब किसी भारतीय नौका चालक ने ‘क्वालीफायर' में शीर्ष स्थान हासिल कर सीधे ओलंपिक में खेलने का हक हासिल किया है।


नेत्रा ने खुद चुनी अपनी राह
इससे पहले नौ पुरुष ओलंपिक नौका चालकों को ओलंपिक ड्रा में स्थान नहीं भर पाने के कारण भाग लेने का मौका दिया गया। यहां यह जान लेना दिलचस्प होगा कि 2014 और 2018 के एशियाई खेलों में भाग लेने के बाद पिछले साल विश्व कप में कांस्य पदक जीतने वाली नेत्रा ने अपने लिए खुद ही यह मुश्किल लक्ष्य निर्धारित किया है, वरना 12 साल की उम्र तक तो वह टेनिस, साइक्लिंग और बास्केटबॉल जैसे खेलों के साथ-साथ भरतनाट्यम नृत्य के क्षेत्र में कुछ करने का इरादा रखती थीं, लेकिन नौकायन से जुड़ने के बाद उन्होंने अपना इरादा और मंजिल दोनों बदल दिए। उन्होंने हाल ही में ओमान में एशियाई ‘क्वालीफायर' की ‘लेजर रेडियल' स्पर्धा में शीर्ष स्थान पर रहकर ओलंपिक टिकट हासिल कर अपनी मंजिल की तरफ पहला कदम उठाया।


​माता-पिता काे दिया सफलता का श्रेय
नेत्रा को उम्मीद है कि तोक्यो ओलंपिक में उनके प्रदर्शन से उनके आगे का रास्ता हमवार होगा। वह कहती हैं कि  यह मेरा पहला ओलंपिक है, मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करूंगी। यह 2024 में पेरिस में शीर्ष खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की ओर मेरा पहला कदम है।'' अपनी इस प्रारंभिक सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देने वाली नेत्रा का कहना है कि मैं आज जो कुछ भी हूं, अपने माता-पिता के कारण हूं, वे भावनात्मक और आर्थिक रूप से मेरा पूरा समर्थन करते हैं। उन्होंने मेरे लिए जो किया, उसके लिए उनका आभार व्यक्त करना बहुत छोटी चीज है। सबसे अच्छी बात यह है कि मेरे पिता ने हमेशा मेरा समर्थन किया और हर कदम पर मेरा साथ दिया।

 


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Content Writer

vasudha

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