सरकार की नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति से भारत में टेस्ला की राह होगी आसान

punjabkesari.in Monday, Apr 22, 2024 - 11:52 AM (IST)

ऑटो डेस्क. सरकार की नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति में कुछ मुख्य शर्तों की पेशकश की गई है, जो टेस्ला को चीन के मुकाबले (शांघाई में संयंत्र की स्थापना) ज्यादा उदार नजर आ रही हैं। कंपनी ने शांघाई में वर्ष 2019 में अपना संयंत्र स्थापित किया था।


नई नीति के तहत भारत ने तीन साल में 25 प्रतिशत घरेलू मूल्य वर्द्धन (डीवीए) तक पहुंचने और पांच साल में (स्वीकृति पत्र जारी होने की तारीख से) 50 प्रतिशत डीवीए तक पहुंचने की स्थानीयकरण अवधि की पेशकश की है।


दूसरी तरफ चीन के संयंत्र में इस्तेमाल होने वाले 95 प्रतिशत कलपुर्जी को स्थानीय रूप से खरीदा जाता है, जिससे वहां बड़ी तादाद में चीनी कलपुर्जा आपूर्ति आधार तैयार हो रहा है। जब कंपनी ने वर्ष 2019 में वहां अपने संयंत्र की शुरुआत की थी तो करीब एक तिहाई कलपुर्जे चीन के होते थे।


टेस्ला ने लीथियम आयन बैटरियां मुहैया कराने के लिए पैनासॉनिक के साथ समझौता किया है, लेकिन चीन में उसने अपने ज्यादातर कलपुजों के लिए चीनी बैटरी निर्माता सीएटीएल से भागीदारी की थी। उसका वर्ष 2025 तक सीएटीएल के साथ अनुबंध है। सीएटीएल दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी निर्माता है।


टेस्ला ने अमेरिका, जर्मनी और कनाडा में कंपनियों का अधिग्रहण किया है और उन्हें टेक्नोलॉजी के कई क्षेत्रों में चीन में भी लेकर आई है। उसने अपनी भागीदार के साथ कोबाल्ट फ्री लीथियम आयन फॉस्फेट बैटरियां बनाने के लिए भूमि खरीद का समझौता किया है।


भारत में निर्माण करने वाली कार कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पीएलआई योजना के अधीन पात्र हैं और वे 50 प्रतिशत डीवीए के साथ उत्पादन शुरू करेंगी। 


नीति में आयात शुल्क भी 60-100 प्रतिशत से घटाकर कारों (5 साल के लिए 35,000 डॉलर से अधिक सीआईएफ-कोस्ट, इंश्योरेंस एंड फ्रेट मूल्य के साथ) पर सिर्फ 15 प्रतिशत किया गया है। हालांकि इसमें कंपनियों को 50 करोड़ डॉलर के न्यूनतम निवेश से देश में निर्माण संयंत्र लगाने के लिए तीन साल का समय दिया गया है। चीन में मस्क ने संयंत्र स्थापना के लिए दो साल का समय मांगा था, लेकिन इसे घटाकर एक साल करने को कहा गया था। संयंत्र का निर्माण जनवरी 2019 में शुरू हुआ और अक्टूबर 2019 में उत्पादन शुरू हो गया। कंपनी ने पांच साल में 2 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है और चीन सरकार ने बाजार दर के दसवें हिस्से पर भूमि मुहैया कराने की पेशकश की।


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Content Editor

Parminder Kaur

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