दूसरे चरण में महाराष्ट्र में कितनी आसान है भाजपा की राह

punjabkesari.in Friday, Apr 26, 2024 - 09:05 AM (IST)

नेशनल डेस्क: लोकसभा चुनाव में 21 राज्यों की 102 सीटों पर पहले चरण में कम मतदान को लेकर सभी राजनीतिक दल परेशान हो कर ये आकलन करने में जुटे हैं कि उन्हें वोटिंग पैटर्न से कितना नुकसान या फायदा होगा। इस बीच भाजपा 26 अप्रैल को होने जा रहे दूसरे चरण के मतदान को लेकर ज्यादा रक्षात्मक हो गई है। खासकर महाराष्ट्र के पहले दौर के चुनाव में कम वोटिंग होने के बाद भाजपा सतर्क है। रिपोर्ट के मुताबिक दूसरे दौर के चुनाव में विदर्भ की पांच और मराठवाडा की तीन सीटों पर चुनाव है, लेकिन इनमें से कई पर भाजपा को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

डी.एम.के. फैक्टर होगा निर्णायक
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र में इस चुनाव में सबसे बड़ा फैक्टर दलित, मराठा-मुस्लिम और कुनबी (डी.एम.के.) हैं। असल में राज्य में दलित मतदाता विदर्भ और मराठवाडा में निर्णायक होता है। जानकारों का कहना है कि  इसलिए विपक्ष द्वारा  बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान को बदलने का प्रचार भाजपा की राह की राह में मुश्किलें खड़ी कर सकता है।  इन इलाकों में यह बात फैलने लगी है कि अगर भाजपा सत्ता में आई, तो वह बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान को बदल देगी। हालांकि पीएम मोदी बार-बार दोहरा रहे हैं कि संविधान को कोई ताकत नहीं बदल सकती, लेकिन दलितों में बाबासाहेब का दर्जा भगवान से कम नहीं है, इसलिए चाहे नवबौद्ध हों या दलित, संविधान से छेड़छाड़ की बात अगर उनके जेहन में अटक गई तो चुनाव का रुख बदल सकता है। बाबासाहेब आंबेडकर के पोते और वंचित बहुजन आघाडी के नेता प्रकाश आंबेडकर अपनी हर सभा में भाजपा से संविधान को खतरा होने की बात पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं। विपक्ष कह रहा है कि अगर भाजपा और मोदी सत्ता में लौटे, तो अगली बार चुनाव ही नहीं होगा।

मराठा समाज और मुस्लिमों की भूमिका
दूसरी तरफ मराठा समाज भी आरक्षण की मांग को लेकर लगातार आंदोलन करता रहा है। जालना में जिस तरह से मराठा आंदोलनकारियों पर पुलिस ने लाठियां चलाईं, उसके वीडियो मराठा समाज के वॉट्सऐप ग्रुप पर अब भी घूम रहे हैं। राज्य में मराठा समाज करीब 30 फीसदी तक माना जाता है। अगर ये नाराज हुए तो भी भाजपा के कई दिग्गज नेता मुश्किल में आ सकते हैं। रिपोर्ट कहती है कि मराठवाडा में मुस्लिम समाज भी पूरी तरह भाजपा के खिलाफ नजर आ रहा है। इनकी संख्या कहीं 7 फीसदी, तो कहीं 13 फीसदी तक है। विदर्भ और मराठवाडा तक फैला कुनबी समाज पहले से भाजपा के विरोध में खड़ा दिखाई दे रहा है। ऐसे में, राज्य में अब यदि कोई बड़ा मुद्दा नहीं आया, तो भाजपा के लिए मुश्किल बढ़ सकती है। हालांकि जानकार मान रहे हैं कि पहले दौर की पांच सीटों में भाजपा का पलड़ा ही कुछ भारी है।


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Content Editor

Mahima

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