व्यापारी वर्ग आया किसानों के साथ, कहा- हमारे पास खेती के लिए जमीन नहीं है, लेकिन जमीर है

punjabkesari.in Wednesday, Dec 09, 2020 - 12:23 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पंजाब में किसानों के भारत बंद का शांतिपूर्ण व्यापक असर दिखाई दिया तथा व्यापारियों ,दुकानदारों और विभिन्न संगठनों तथा राजनीतिक दलों ने बंद को सफल बनाने में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया ।  कृषि कानूनों के विरोध में 26 नवंबर से किसान दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।  मंगलवार को भारत बंद के दौरान व्यापारी वर्ग ने किसानों का साथ दिया। महिला स्वयंसेवकों का एक समूह ने दुकानदारों को दुकानें बंद करने और किसानों के समर्थन के लिए सेक्टर 17 चंडीगढ़ में भारत बंद के दौरान समर्थन करने की अपील की। महिला स्वयंसेवकों का कहना है कि  यह जज्बात का रिश्ता है, दिल का रिश्ता है जो खुलकर सामने आया है। 

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मॉडर्न ऑप्टिकल्स के मालिक बख्तावर सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हम किसानों का साथ हैं। उन्होंने कहा कि साडे कोल जमीन नहीं पर जमीर है (हमारे पास खेती के लिए जमीन नहीं है, लेकिन हमारे पास जमीर है।) शहर के सराभा नगर इलाके में हॉट ब्रेड्स और बेलफ्रेंस खाने वाले जोड़ों के मालिक हरजिंदर सिंह कुकरेजा (34) विरोध प्रदर्शन वाले खेतों के साथ सड़कों पर थे। इससे पहले दिन में, कुकरेजा अन्य स्टोर मालिकों के साथ किसानों का स्वागत करने के लिए सराभा नगर बाजार में एकत्र हुए थे।

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माल रोड पर एक कपड़ा स्टोर, निलिबर के मालिक सोनू निलिबर (52) ने कहा कि मैंने और दोस्तों ने बंद को समर्थन देने का फैसला किया। मैंने देखा कि पूरा देश इस समय किसानों के साथ खड़ा है। शहर का अधिकांश हिस्सा किसानों का समर्थन करना चाहता है। उनकी पत्नी, पुनीत निलिबर (45) ने कहा, हर दिन खाने की मेज पर हम किसानों के बारे में ही बात करते हैं। हम उन्हें खाने के लिए धन्यवाद देते हैं जो हम खा रहे हैं। उनके लिए एक गहरी कृतज्ञता, इसलिए एक दिन के लिए बंद का अवलोकन करना कोई बड़ी बात नहीं है, वे ठंड में सड़कों पर बैठे रहते हैं। उन्होंने कहा कि हम किसानों के साथ हैं। लुधियाना में एक सेनेटरी गुड्स की दुकान चलाने वाले हरमिंदर सिंह टुटेजा ने कहा, किसानों की आय हमें प्रभावित करने वाली है। यदि वह खेत कानूनों से नाखुश है, तो उन्हें क्यों लागू किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि हमारे अधिकांश एनआरआई ग्राहकों का पंजाब में ग्रामीण आधार है। हम अच्छी तरह जानते हैं कि अगर किसान दुखी हैं, तो राष्ट्र दुखी है।

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किसान आंदोलन : अमित शाह और किसान नेताओं के बीच वार्ता विफल 
वहीं कृषि सुधार कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों से छठे दौर की वार्ता से ठीक एक दिन पहले गतिरोध समाप्त करने के प्रयासों के तहत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और किसान नेताओं के एक समूह के बीच मंगलवार रात को हुई वार्ता विफल रही। किसान नेता तीनों कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अडे रहे और सरकार द्वारा दिए गए संशोधनों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। वहीं, कुछ नेताओं ने बुधवार को यहां विज्ञान भवन में सरकार के साथ प्रस्तावित छठे दौर की वार्ता में शामिल नहीं होने की चेतावनी भी दी। जबकि, अन्य ने कहा, च्च्उनका अगला कदम सरकार द्वारा उन संशोधनों से संबंधित लिखित में दिए गए आश्वासन पर निर्भर करेगा, जिसका आज की बैठक में अमित शाह ने वादा किया है।अन्य नेता ने कहा,  कल की बैठक की कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने जो भी लिखित में देने का निणर्य लिया है, उन संशोधनों को हम स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि हम चाहते हैं कि इन कानूनों का निरस्त किया जाये।'' हालांकि, शाह के साथ बैठक में शामिल होने वाले कुछ नेता आवश्यक संशोधनों और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था के संबंध में आश्वासन के पक्ष में दिखे। 

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Anil dev

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