मुगलकालीन विरासत को मिली नई जिंदगी, शालीमार बाग का शीश महल फिर से चमका, पर्यटकों के लिए खुला

punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 05:56 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली के ऐतिहासिक शालीमार बाग में स्थित करीब 400 साल पुराना शीश महल अब अपने पुराने वैभव में लौट आया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और दिल्ली विकास प्राधिकरण ने मिलकर इस मुगलकालीन धरोहर की मरम्मत और बहाली का कार्य पूरा किया है। अब यह स्थान जनता और पर्यटकों के लिए पूरी तरह खोल दिया गया है।

इतिहास की अहम कड़ी
शालीमार बाग का निर्माण 1653 में मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी अकबराबादी बेगम ने करवाया था। यही वह ऐतिहासिक स्थल है जहां 1658 में औरंगजेब का राज्याभिषेक हुआ था। दशकों की उपेक्षा के चलते यह महल खंडहर में तब्दील हो गया था, जिसे अब फिर से नया जीवन मिला है।

पारंपरिक शैली में बहाली का कार्य
डीडीए और एएसआई ने बहाली के कार्य में चूना, लखौरी ईंट, उड़द और गुड़ जैसे पारंपरिक निर्माण सामग्री का उपयोग किया है। बाग में मुगलकालीन चारबाग शैली को दोबारा अपनाया गया है जिससे इसका ऐतिहासिक लुक बरकरार रहे।

कैफे और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में नया रूप
पुरानी इमारतों में से दो कॉटेज को "रीडर्स कैफे कॉर्नर" और "कैफे शालीमार" में बदला गया है, जहां पर्यटक बैठकर पुस्तकें पढ़ सकते हैं और चाय-कॉफी का आनंद ले सकते हैं। तीसरी इमारत को आधुनिक गतिविधियों के लिए तैयार किया गया है। 

संस्कृति और आधुनिकता का संगम
परियोजना के अनावरण के मौके पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना, और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता उपस्थित रहे। शेखावत ने इसे ‘विकास भी, विरासत भी’ नीति का उदाहरण बताया।

राजनीतिक टिप्पणी भी बनी चर्चा का विषय
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने उद्घाटन समारोह में पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि "हमने जनता के लिए शीश महल को फिर से जीवित किया है, न कि निजी उपयोग के लिए।" उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल की कथित विलासिता की आलोचना की।


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Content Editor

Mansa Devi

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