मनरेगा मजदूरों के साथ मोदी सरकार ने किया मजाक, वेतन में सिर्फ 1 रुपए का इजाफा!

punjabkesari.in Thursday, Apr 27, 2017 - 04:05 PM (IST)

नई दिल्ली: देश में मजदूरों की स्थिती सुधरने की जगह और बिगड़ती जा रही है या फिर यह कह सकते हैं कि केंद्र सरकार ने मजदूरों के बारे में सोचना बंद कर दिया है। यूपीए सरकार में शुरु की गई महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना (मनरेगा) में इस वित्त वर्ष दिहाड़ी में 2.7 फीसदी की मामूली बढ़ोत्तरी की गई है जबकि पिछले साल 5.7 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई थी।

1 रुपए की वेतन में वृद्धि
देश के कुछ राज्यों में मनरेगा की हालत तो बहुत ही खराब है जैसे- जैसे असम, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में तो 1 अप्रैल से मनरेगा के तहत दैनिक मजदूरी में वृद्धि सिर्फ 1 रुपए ही हुई है। सूखा प्रभावित राज्यों जैसे तमिलनाडु और उड़ीसा में मजदूरों की दिहाड़ी में 2 रुपए और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 3 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है। 

हरियाणा में मजदूरी सबसे अधिक
अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, सबसे कम मजदूरी वाले राज्य झारखंड और बिहार हैं। यहां मजदूरों को प्रतिदिन 168 रुपए की मजदूरी मिलती है। जो पिछले साल 167 रुपए था। इसके अलावा सबसे ज्यादा दिहाड़ी देने वाले राज्यों में हरियाणा नंबर एक पर है। यहां के मजदूरों को प्रतिदिन 277 रुपए मजदूरी दी जाती है जो पिछले साल 259 रुपए था।


ग्रामीण विकास मंत्रालय को मुख्य सचिव ने लिखा खत
इस बीच, झारखण्ड के मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने ग्रामीण विकास मंत्रालय को एक पत्र लिखा है कि वह 1 वें वेतन वृद्धि से निराश हैं। साथ ही लिखा कि पिछले 10 वर्षों में देश की औसत राष्ट्रीय वास्तविक मजदूरी 20त्न से अधिक बढ़ गई है, जबकि मनरेगा के कर्मचारियों की वृद्धि इसी अवधि में 4.7त्न रही है। 2017 भारत के आर्थिक सर्वे के मुताबिक, सबसे ज्यादा आउट-माइग्रेशन झारखंड में है। यहां न्यूनतम कृषि मजदूरी 224 रुपए प्रति दिन है। इससे पहले वित्त मंत्रालय ने ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा स्थापित एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को खारिज कर दिया था जिसमें राज्यों में अकुशल कृषि मजदूरों को दिए गए न्यूनतम मजदूरी के बराबर उन्हें लाने के लिए मनरेगा के मजदूरी के निष्पक्ष संशोधन की मांग की गई थी।
 


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