क्या आईएसआईएस अब अपनी नौसेना बनाएगा

punjabkesari.in Wednesday, May 11, 2016 - 05:49 PM (IST)

कुछ समय पहले जानकारी मिली थी कि आईएसआईएस अपनी नौसेना बनाना चाहता है। वह भूमध्यसागर में आने वाले जहाजों पर हमले करने की फिराक में है। नाटो के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक लीबिया के तटीय इलाकों में इस संगठन के बढ़ते प्रभाव के कारण समुद्री हमलों का भी खतरा मंडराने लगा है। इसमें वे हाई वेपंस क्वालिटी सिस्टम का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन आतंकियों के पास चीन,रूस और कोरिया निर्मित हथियार पहुंच चुके हैं। इसी संदर्भ में एक ताजा खबर है कि ब्रिटेन में मर्चेंट नेवी का प्रशिक्षण लेने वाला अली अलौसेमी इस आतंकी संगठन में शामिल हो चुका है। वह इससे पहले कुवैत की एक शिपिंग कंपनी में काम कर चुका है। आशंका व्यक्त की गई है कि आईएसआईएस समुद्र के रास्ते हमले कर सकता हे। इसमें संभवत:ब्रिटिश ठिकानों को निशाना बनाया जाए।

खास बात यह है कि आईएसआईएस ने ट्विटर पर अपनी ताकत दिखा चुका है। उसका  प्रोपेगेंडा फैलाने के आरोपों का सामना कर रहे एक ट्विटर हैंडल से आईएसआईएस की सैन्य शक्ति दिखाई गई है। इसमें उसके पास तमाम संहारक हथियार दिख रहे हैं। उसके पास इतनी सैन्य शक्ति हो चुकी है कि वह लगातार सीरिया, इराक समेत दुनिया में तबाही मचा रहा है। अमरीका जैसी महाशक्ति को हथियारों की नई खेप तैयार करनी पड़ रही है। उसके पास खतरनाक टैंक हैं, जो उसे किसी भी शहर को जीतने की शक्ति देते हैं। ये टैंक मेड इन अमरीका के हैं। इन्हें उसने इराकी सुरक्षा बलों से छीना हैं। आईएसआईएस की फौज आज दुनिया की किसी भी सैन्य शक्ति से टकराने का माद्दा रखने लगी है। एंटी एयरक्राफ्ट गन से वह लड़ाकू विमानों को गिरा सकता है। 

इनसे वह दूर बैठे जहाजों पर निशाने लगा सकता है। मशीनगनों की बदौलत वह सरकारी सुरक्षा चौकियों पर धावा बोलता है। बताया जाता है कि आईएसआईएस के पास वे हथियार हैं, जो ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमरीका में बनाते हैं। उसका दावा है कि अधिकतर बड़े हथियार इराकी सुरक्षाबलों से छीने गए हैं।

फ़्रांस की राजधानी पेरिस में बड़ा आतंकी हमला हुआ था। यूरोप उससे उबर ही नहीं पाया था कि फिर एक और हमला ब्रसेल्स में हो गया! इससे दुनिया के सबसे खतरनाक और ताकतवर आतंकी संगठन के रूप कुख्यात आईएसआईएस की ताकत और पहुंच का तो शायद कोई अनुमान ही नहीं लगाया जा सकता है। हां,वह कितना मजबूत और ताकतवर है कि उसके खिलाफ अमरीका, रूस, फ़्रांस, ब्रिटेन जैसे दुनिया के सभी ताकतवर देश लगातार लड़ रहे हैं। वे अपनी ताकत लगाए हुए हैं। उसके ठिकानों पर निरंतर हमले हो रहे हैं। इसके बावजूद वह खत्म होने की बजाय एक के बाद एक आतंकी वारदातों को अंजाम देता जा रहा है।

प्रतीत होता है कि आईएसआईएस ने कहीं न कहीं आतंकी हमला करने की एक नई प्रणाली विकसित कर ली है। इसके तहत जिस देश में हमला करना हो, वहां अपने लोगों को भेजने की बजाय वहीं के लोगों को अपने से जोड़ लेता है। इस काम में उसके लिए सोशल मीडिया सर्वाधिक सहयोगी भूमिका निभा रहा है। हमला करने के बाद अपनी न्यूज़ एजेंसी के जरिए उसकी जिम्मेदारी भी ले रहा हैै। हालांकि आतंकी संगठन द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेने की यह प्रथा कोई नई नहीं है। ऐसा शुरू से होता रहा है कि आतंकी संगठन हमला करने के बाद उसकी जिम्मेदारी लेकर संबधित राष्ट्र को अपनी ताकत का परिचय और चुनौती देते हैं। ओसामा बिन लादेन भी अपने समय में यह करता था। हालांकि अधिकाधिक आतंकी संगठन वीडियो जारी कर यह जिम्मेदारी लेते हैं मगर, आईएस ने एमाक नाम की न्यूज एजेंसी खोली हुई है। इसके जरिये वह इस तरह की सूचनाएं प्रसारित करवाने से लेकर अपनी विचारधारा के प्रचार-प्रसार तक सारे काम करवा रहा है।

आईएसआईएस की सैन्य शक्ति से मुकाबला जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है कि साइबर संसार में भी उसे समाप्त किया जाए। जो देश उसके खिलाफ लड़ रहे हैं, उनके लिए यह करना कठिन नहीं है। जरूरत है कि वे इस दिशा में गंभीर हों। उसके  ठिकानों पर बमवर्षा करने जैसी कोशिशों से वो कमजोर नहीं हो रहा। उसे यदि पूरी तरह से ख़त्म करना है तो उसके सोशल मीडिया नेटवर्क की पहचान कर उसे भी ध्वस्त करना होगा। इसके लिए अगर सभी देशों को अपने निगरानी तंत्र स्थापित करने होंगे। इन्हीं साइबर साधनों के माध्यमों के जरिये वह इराक और सीरिया में बैठे-बैठे हजारों मील दूर देश में अपने आदमी तैयार ककेर हमला करवाने में सक्षम हो रहा है। कहीं कुछ दिनों बाद यह खबर न आ जाए कि आर्इ्एसआईएस ने हवाई शक्ति का भी गठन कर लिया है।


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