Exclusive Interview : पुराने हिन्दी सिनेमा का नया फ्लेवर है 'मरजावां'

punjabkesari.in Tuesday, Nov 19, 2019 - 11:13 AM (IST)

नई दिल्ली। समय के साथ-साथ बॉलीवुड (Bollywood) में भी कहानी को प्रेजेंट करने का तरीका बदल रहा है। लेकिन पुराने सिनेमा को एक बार फिर से लोगों के जहन में जिंदा करने के लिए फिल्म 'मरजावां' (Marjaavaan) इस शुक्रवार रिलीज हो चुकी है। ये फिल्म एक फुल एंटरटेनमेंट पैकेज है जिसमें प्यार, बलिदान और बदला, हर किस्म का तड़का लगाया गया है।

 

फिल्म 'एक विलेन' (Ek Villian) के बाद इस फिल्म में एक बार फिर से सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra) और रितेश देशमुख (Riteish Deshmukh) की दमदार जोड़ी देखने को मिल रही है। इस फिल्म को डायरेक्ट किया है मिलाप जावेरी (Milaap Zaveri) ने। इसे प्रोड्यूस किया है निखिल आडवाणी (Nikhil Advani), दिव्या खोसला कुमार (Divya Khosla Kumar), भूषण कुमार (Bhushan Kumar), कृष्ण कुमार (Krishan Kumar) और मोनिशा आडवाणी (Monisha Advani) ने। फिल्म का प्रमोशन करने दिल्ली पहुंचे सिद्धार्थ, रितेश और मोनिशा ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं इसके प्रमुख अंश।

 

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बचपन में देखता था ऐसा सिनेमा : सिद्धार्थ मल्होत्रा
इस किस्म के हीरो का किरदार निभाने में मुझे बहुत मजा आया क्योंकि ये हीरो ऐसी चीजें करता है जो मैं असल जिंदगी में नहीं करता। मैं बचपन से ऐसा सिनेमा देखता था जिसमें अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan), सनी देओल (Sunny Deol), संजय दत्त (Sanjay Dutt) इस तरह के किरदार करते थे और उन्हें देखकर जहन में ख्याल आता था कि कितना मजा आएगा ऐसे रोल निभाने में। ये मेरी खुशकिस्मती है कि मैं इस तरह का किरदार निभा रहा हूं।

 

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मेरी फिल्मों के शुक्रवार ने बहुत कुछ सिखाया
ये मेरी अच्छी किस्मत थी कि एक्टर बनने से पहले मुझे एक फिल्म में असिस्ट करने का मौका मिला। कह सकता हूं कि वो मेरे लिए फिल्म स्कूल जैसा था। बाकी इंडस्ट्री में आने के बाद आपके शुक्रवार आपको बहुत कुछ सिखाते हैं। मैंने मेरी फिल्मों के शुक्रवार से ज्यादा सीखा है जब वो मेरे मुताबिक नहीं गए। जब फिल्म चल जाती है तो अक्सर हम उसमें खामियां ढूंढ कर ये नहीं सोचते कि इसमें हम और क्या बेहतर कर सकते थे लेकिन जब फिल्म अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती तो हम उन बातों पर गौर करते हैं।

 

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डायलॉग पढ़कर हुआ था नर्वस : रितेश देशमुख
मिलाप जावेरी एक बहुत ही अच्छे डायलॉग राइटर हैं और वो खुद एक ऑडियंस के नजरिए से कुछ भी लिखते हैं। यही वजह है कि वो इतनी अच्छी लाइन्स लिख देते हैं कि जब हम सेट पर पहुंच कर उन्हें पढ़ते हैं तो दिमाग में एक ही बात होती है कि क्या हम इसे अच्छी तरह से निभा पाएंगे और सीन शूट करने के बाद एक ही बात दिमाग में होती है कि अब बस ऑडियंस इन्हें इंजॉय करे।

 

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बॉलीवुड ने सिखाई एक बात
मुझे इस इंडस्ट्री में 16 साल हो गए हैं। हर तरह के रोल मैं कर चुका हूं, लेकिन अभी भी मैं ये नहीं कह सकता कि मुझे किसी एक तरह का रोल नहीं करना। मैं आगे भी हर तरह के रोल करना चाहूंगा। बॉलीवुड से मैंने एक बात सीखी है कि अगर आप यहां सच्चे दिल से मेहनत करो तो आपको काम मिलेगा और अगर आपका बर्ताव लोगों के प्रति अच्छा है तो आपको काम लगातार मिलता रहेगा।

 

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कहानी सुनते ही काट दिया था चेक : मोनिशा आडवाणी
मिलाप ने पहले मुझे 20 मिनट में पूरी कहानी सुनाई और कहानी सुनते ही मैं एक झटके में खड़ी हुई और अपने अकाउंटेंट को चेक काटने के लिए कहा। इसके बाद मैंने तुरंत चेक मिलाप को दिया और कहा ये कहानी अब हमारी है। मिलाप के अंदर जितना भी जज्बा है वो सब उन्होंने इस फिल्म में डाल दिया है। इस फिल्म में दिल है, दर्द है और धमाका है। मिलाप ने इस फिल्म में कुछ नहीं छोड़ा।

 

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हाइट है विलेन की खासियत
हर विलेन में कुछ न कुछ खास होता है, हमारी फिल्म के विलेन की यही खासियत है कि वो बौना है। उसे देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता है कि वो कैसे इतना खतरनाक विलेन बन सकता है। मिलाप ने कहानी सुनाने के बाद तुरंत कहा कि ये किरदार तो रितेश ही निभाएंगे क्योंकि उन्हें बेहतर बता है कि कैसे जो एक डिस्एबिलिटी है वो आगे ना आ जाए और कैसे अपना डिफेंस वो इस काम के लिए बेहतर यूज कर सकता है। इस विलेन की ताकत फीजिकल नहीं बल्कि इसका खौफ है।


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Chandan

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